Sunday, September 11, 2011

. अंजीर ( fig) रोगनिवारक मेवा !

अंजीर का फल जितना खाने में स्वादिष्ट लगता है ; उतना ही गुणों से भी भरपूर है. अगर दुर्बलता है तो दो अंजीर रात को थोड़े पानी में भिगो दें . सवेरे पहले पानी पी लें . फिर अंजीर को चबा चबा कर खाएं . हृदय रोगी या निम्न रक्तचाप वाले भी यही प्रयोग कर सकते हैं . अगर सूखा अंजीर खाया जाए तो इसकी तासीर गर्म होती है , लेकिन कुछ देर भिगो देने पर तासीर ठंडी हो जाती है .लीवर ठीक नहीं है , हीमोग्लोबिन कम है या पाचन शक्ति कम हो गयी है ; तब भी यह भरपूर फायदा करता है . अगर constipation है तो इसे लेने से पेट साफ़ हो जाता है .

                   खांसी होने पर अंजीर , मुलेठी और तुलसी मिलाकर काढ़ा लिया जा सकता है .श्वास रोग हो तब भी इसे खा सकते हैं यह नुक्सान नहीं करती . periods irregular हों तो दशमूलारिष्ट के साथ साथ अंजीर भी लेते रहें . अगर पीलिया हो गया है तो सर्वक्ल्प क्वाथ में अंजीर डालकर काढ़ा बनाएं . पीलिया बहुत जल्द ठीक होगा ..इसके रोज़ लेने से फोड़े फुंसी भी नही होते . चेहरे की कांति बढ़ती है . उर्जा आती है . आप आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाते हैं . है न मज़े की बात मेवा की मेवा और लाभ अनगिनत  

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