Tuesday, May 24, 2011

भौं भौं !!!

                                                                   


सर्दियों की शाम थी. मैं माँ के साथ रसोईघर में खाना बना रही थी . दोनों भाई ऊपर पढाई कर रहे थे . बाउजी अभी दफ्तर से घर आए नहीं थे. खाना बन चुकने के बाद माँ ने कहा ,"प्रभा को जगा दे . बड़ी देर से सो रही है . वह उठकर खाना खा लेगी ." प्रभा मुझसे छ: साल छोटी मेरी बहन है . वह दिन में सोई थी . बहुत देर से वह सोए ही जा रही थी तो बड़ा अजीब सा लग रहा था कि कहीं वह बीमार तो नहीं ! वह कमज़ोर बहुत थी और गाया बगाया बीमार पड़ ही जाती थी .
               रसोई से बाहर निकलकर बरामदा था और उसके अन्दर बड़ा कमरा था . उसी में प्रभा सो रही थी . रजाई से पूरी तरह ढकी हुई प्रभा को मैंने जगाया ,"प्रभा ! उठ जा . खाना बन गाया है .आजा खा ले ." रजाई के अंदर से आवाज़ आई ,"भौं भौं."  मैं हैरान हो गई. मैंने कहा ,"प्रभा , तेरी आवाज़ को क्या हो गया है? ठीक तरह से बोल."   फिर से आवाज़ आई ,"भौं!भौं!"  अब मैं परेशान थी . मैंने रजाई ऊपर उठाई .अरे !यह क्या? एक छोटा पिल्ला बिस्तर से निकलकर भागा . मैं सकपका गई . मैंने माँ को बताया कि बिस्तर में प्रभा नहीं थी बल्कि एक पिल्ला निकलकर बाहर भागा है . माँ भी हैरान हो गई . घर में उसे ढूँढा तो वह मिली नहीं . अब तो चिंता हो गई . यह कैसे हो सकता है कि प्रभा पिल्ले में परिवर्तित हो जाए ? चिंता बढती जा रही थी कि क्या करें ?
                                                  तभी कुछ देर में प्रभा दरवाजे से अन्दर आती दिखाई दी . सबकी जान में जान आई . माँ ने कहा ,"तू तो सो रही थी . बाहर से कैसे आ रही है ?" प्रभा ने बताया कि वह तो बहुत पहले ही जाग चुकी थी . उसे लगा बहुत शाम हो चुकी है और खेलने का समय हो गया है ; तो वह सहेलियों के पास खेलने के लिए चली गई थी . जब हमने उसे सारी बात बताई , तो उसे झेंप भी बहुत आई और वह हैरान भी हुई . उसने कहा,"बाहर जाते समय मुझे दरवाज़ा बंद करना ध्यान नहीं रहा ; इसीलिये शायद पिल्ला घुस गया . और तुम दोनों रसोई में थे तो वह कमरे में चला गया ."  "और तू बिस्तर में नहीं थी ,तो वह रजाई में घुसकर मज़े में आराम करने लगा." मैंने प्रभा का वाक्य पूरा किया तो सब हंस पड़े . 
                       बहुत अरसा हुआ यह सब हुए ; परन्तु किसी पिल्ले की  प्यारी सी भौं भौं सुनकर यह वाकया फिर याद आ जाता है 

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