साहसपूर्ण जीवन का पल पल जोशीला हो
हर पथ बन जाए सुगम चाहे पथरीला हो
बाधा तो आयें पर बादल सी बह जाएँ
हों झंझावात मगर निर्मलता रह जाए
तन हो सशक्त पर मन में कोमलता हो
ढृढ़ हों संकल्प कि जिनमें बहती पावनता हो
प्रखर बुद्धि में निहित भावों का तेज़ हो
मधुर हो सशक्त मृदु वाणी में ओज हो
शांत बही धारा सी मन की गति न्यारी हो
अधरों पर नित्य नई खिलती फुलवारी हो
क्रोध सरीखे शत्रु का दूर कहीं वास हो
निकट तुम्हारे सदा हास परिहास हो
तुम बनो संबल हर दीन दुखी मानव का
मूक सहारा बनो कठिन आर्त जीवन का
पग पग पर आंधी से लड़ने की क्षमता हो
भीष्म इरादों भरी चाह में भीषणता हो
जीवन में भावभरी सहने की शक्ति हो
साहस हो कर्म में और मन में भक्ति हो
मान का हो मन, अपमान का हो डर नहीं
रहें प्रशस्त प्रेरणाएँ, देखो तुम मुड़कर नहीं
रहें प्रशस्त प्रेरणाएँ, देखो तुम मुड़कर नहीं
सरस्वती का ऐसा तुम पर वरद हस्त हो
जिससे नेक जीवन का मार्ग ही प्रशस्त हो
लक्ष्मी भी कृपा करे दास न बना ले यों
लालच से भर जाए जीवन का दामन ज्यों
कूटनीति छल कपट दूर हों सदा तुमसे
करुणा कोमलता बरसे नित्य ही सजग मन से
हर मदद देते रहो और सुख पाते तुम रहो
गीत खुशियों के सदा ही गुनगुनाते तुम रहो
दंभ न आए कभी पाओ सभी जब शिखर तुम
नम्रता बहती रहे और राह बन जाए सुगम
ध्यान रखोगे सभी के मान और सम्मान का
मिलेगा हर एक पल फिर प्यार का मुस्कान का
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