गर्भवती महिलाओं को बहुत सावधानियाँ रखनी पडती हैं . आजकल बच्चों को जन्म से ही बीमारियाँ सताने लगती हैं . अगर स्वस्थ बच्चे चाहिएँ तो गर्भावस्था में ही माँ को अपना ध्यान रखना होगा .
सवेरे और शाम को धीमी गति से सभी लगभग प्राणायाम किये जा सकते हैं . लेकिन कपालभाति प्राणायाम बिलकुल भी नहीं करना चाहिए . भर्स्तिका प्राणायाम ; (यानि धीमे धीमे फेफड़े पूरे भरकर , फिर धीरे धीरे सांस छोड़ना ) , और अनुलोम विलोम प्राणायाम तो बहुत आसानी से किये जा सकते हैं .
उल्टियाँ आने की समस्या होने पर थोड़ी सी मोतीपिष्टी चाट लें . यह समस्या ठीक हो जाएगी.इससे कोई नुक्सान भी नहीं होता .
अगर थायराइड की समस्या है तो दवा न लें . अंगूठे के नीचे वाले गुदगुदे पॉइंट पर acupressure करें . इसके अतिरिक्त उज्जाई प्राणायाम करें; अर्थात मुंह बंद करके , आवाज़ करते हुए नाक से साँस अंदर खींचें . इससे गले अन्दर के हिस्से में थोडा सा खिंचाव भी महसूस होता है . जब फेफड़े पूरे भर जाएँ तो कुछ क्षण तक सांस भरे रहने दें . बाद में बाएं नथुने से धीरे धीरे सांस छोड़ें . यह उज्जाई प्राणायाम दो या तीन बार तक करें . इससे थायराइड की समस्या नहीं होगी .
उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाए तो अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है . इसके साथ लौकी का जूस भी गुनगुना करके लें. शीशम के चार पांच पत्तों का रस लेना भी इसमें मदद करता है . अगर मुक्तावटी का भी सेवन कर लिया जाए तो रक्त चाप ठीक हो जाता है . इससे गर्भस्थ शिशु को भी कोई हानि नहीं होती . प्राणायाम करने से बच्चे को पूरी oxygen की मात्रा मिलती है , जो कि बच्चे के समुचित विकास के लिए बहुत आवश्यक है .
अगर बुखार हो जाए तो गिलोय की डंडी का सेवन करें . ताज़ी न मिले तो अमृता सत या गिलोय घन वटी ले सकते हैं . इसके लिए सुदर्शन घनवटी भी ली जा सकती है . बुखार में अंग्रेजी दवाइयां न लें . इससे बच्चे में विकलांगता आ सकती है .
सूजन हो तो एक चम्मच गोखरू +एक चम्मच पुनर्नवा को एक गिलास पानी में मंदी आंच पर उबालें .जब आधा गिलास रह जाए तो ठंडा करके पी लें . इससे कोई हानि नहीं है . दशमूल का थोड़ी कम मात्रा में, प्रयोग कर सकते हैं . सर्वक्ल्प क्वाथ भी सूजन खत्म करता हैं .
अगर ब्लीडिंग की जरा भी समस्या आ जाए तो घबराएँ नहीं . शीशम के पत्तों का रस देने से यह समस्या बिलकुल ठीक हो जाती है . सर्दी के दिन हों तो इसमें थोड़ी काली मिर्च मिला लें . किसी भी प्रकार के discharge होने पर यही प्रयोग पूरी तरह कारगर रहता है .
गर्भावस्था में स्वाध्याय अवश्य करें और स्वस्थ विचार रखें . किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें . भ्रामरी प्राणायाम भी सवेरे दो तीन बार अवश्य करें . अवश्य ही आपके घर में एक पुण्यात्मा का आगमन होगा .
No comments:
Post a Comment