अगर नवजात शिशु के लिए दूध कम पड़ता है और बच्चा भूखा रह जाता है, तो माता शतावर का चूर्ण 1-2 ग्राम सवेरे शाम दूध के साथ ले ले . इससे पूरा दूध आना प्रारम्भ हो जाता है . कुछ और जड़ी बूटियाँ भी इसमें सहायक हैं :
~ रुद्रवंती रुद्रवन्ती + शतावर +अश्वगंधा मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सवेरे शाम लेने से लाभ होता है ।
~ कदम्ब कदम्ब के फल का पावडर और शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें ।
~ करेला करेले की सब्जी रोज खाने से दूध भी पूरा आता है और माता को arthritis भी होने की सम्भावना से मुक्ति मिलती है ।
~ पिप्पली 2 ग्राम शतावर और 1 ग्राम पिप्पली का पावडर नियमित रूप से लेने से दूध भी खूब आता है और बच्चा भी हृष्ट पुष्ट होता है ।नवप्रसूता माताएं तीन ग्राम शतावर +एक ग्राम पिप्पली का पावडर दूध बढ़ाने के लिए सुबह शाम ले सकती हैं . इससे शरीर भी जल्द ही सामान्य स्थिति में आ जाएगा .
~ शीशम शीशम के पत्तों को पीसकर उसकी लुगदी स्तन पर कुछ घंटे लगाने से दूध अधिक आना शुरू हो जाता है । पशुओं के थनों में थनैला रोग भी इसके पत्तों की लुगदी लगाने से समाप्त हो जाता है।
~ मुलेठी मुलेठी और शतावर का पावडर, दूध में पकाकर लेने से दूध खूब आता है और बच्चा भी तंदुरुस्त होता है । केवल मुलेठी के पावडर को दूध में पकाकर लेने से भी फायदा होता है । माताओं को दूध कम है तो इसकी जड़ के पावडर के साथ शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम एक एक चम्मच दूध के साथ लें । पशुओं का पेट ठीक रखना है या दूध बढ़ाना है तो उनके चारे में इसका पावडर 100 ग्राम मिला दें . पशु दूध तो अधिक मात्रा में देते ही हैं ; साथ ही उनका दूध भी औषधीय गुणयुक्त भी हो जाता है ।
~ सेमल (silk cotton tree ) ; अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें । स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें ।
पशुओं का भी अगर दूध कम आए या थनैला नाम का रोग हो जाए तो उन्हें 50-60 ग्राम शतावर की जड़ का पावडर दिया जा सकता है । इससे रोग भी ठीक होगा और दूध भी अधिक आएगा । अगर शीशम के पत्तों की लुगदी को पशुओं के थनों पर लगाकर 7-8 घंटे के लिए छोड़ दिया जाए , तो थनैला रोग तो ठीक होता ही है दूध की मात्रा भी बढ़ जाती है ।
100 ग्राम मुलेठी की जड़ पशुओं को चारे के साथ खिला दी जाए तो उनके पेट की बीमारियाँ खत्म होती हैं और उनका दूध बहुत बढ़ जाता है । इस दूध को पीने से इंसानों की बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं ।
~ रुद्रवंती रुद्रवन्ती + शतावर +अश्वगंधा मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सवेरे शाम लेने से लाभ होता है ।
~ कदम्ब कदम्ब के फल का पावडर और शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें ।
~ करेला करेले की सब्जी रोज खाने से दूध भी पूरा आता है और माता को arthritis भी होने की सम्भावना से मुक्ति मिलती है ।
~ पिप्पली 2 ग्राम शतावर और 1 ग्राम पिप्पली का पावडर नियमित रूप से लेने से दूध भी खूब आता है और बच्चा भी हृष्ट पुष्ट होता है ।नवप्रसूता माताएं तीन ग्राम शतावर +एक ग्राम पिप्पली का पावडर दूध बढ़ाने के लिए सुबह शाम ले सकती हैं . इससे शरीर भी जल्द ही सामान्य स्थिति में आ जाएगा .
~ शीशम शीशम के पत्तों को पीसकर उसकी लुगदी स्तन पर कुछ घंटे लगाने से दूध अधिक आना शुरू हो जाता है । पशुओं के थनों में थनैला रोग भी इसके पत्तों की लुगदी लगाने से समाप्त हो जाता है।
~ मुलेठी मुलेठी और शतावर का पावडर, दूध में पकाकर लेने से दूध खूब आता है और बच्चा भी तंदुरुस्त होता है । केवल मुलेठी के पावडर को दूध में पकाकर लेने से भी फायदा होता है । माताओं को दूध कम है तो इसकी जड़ के पावडर के साथ शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम एक एक चम्मच दूध के साथ लें । पशुओं का पेट ठीक रखना है या दूध बढ़ाना है तो उनके चारे में इसका पावडर 100 ग्राम मिला दें . पशु दूध तो अधिक मात्रा में देते ही हैं ; साथ ही उनका दूध भी औषधीय गुणयुक्त भी हो जाता है ।
~ सेमल (silk cotton tree ) ; अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें । स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें ।
पशुओं का भी अगर दूध कम आए या थनैला नाम का रोग हो जाए तो उन्हें 50-60 ग्राम शतावर की जड़ का पावडर दिया जा सकता है । इससे रोग भी ठीक होगा और दूध भी अधिक आएगा । अगर शीशम के पत्तों की लुगदी को पशुओं के थनों पर लगाकर 7-8 घंटे के लिए छोड़ दिया जाए , तो थनैला रोग तो ठीक होता ही है दूध की मात्रा भी बढ़ जाती है ।
100 ग्राम मुलेठी की जड़ पशुओं को चारे के साथ खिला दी जाए तो उनके पेट की बीमारियाँ खत्म होती हैं और उनका दूध बहुत बढ़ जाता है । इस दूध को पीने से इंसानों की बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं ।
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