वृक्क अर्थात किडनी खराब होने से क्रेटनिन का level 2-3 से भी अधिक पहुंच जाता है . अमूमन यह एक डेढ़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए . इस बीमारी के मुख्य कारण हैं ; कृत्रिम उर्वरक और कीटनाशक ! इन्हें छानते छानते किडनी की हालत खराब हो जाती है .
कपाल भाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम अगर आधा आधा घंटा प्रतिदिन किया जाए तो एक दम लाभ होता है . हथेली के बीच में , और छोटी अंगुली के top पर acupressure करना चाहिए .वृक्क दोषहर क्वाथ एक एक चम्मच का काढ़ा बनाकर लिया जा सकता है . या फिर वृक्क दोषहर वटी की एक एक गोली ली जा सकती है . पुनर्नवादी मंडूर आवश्यकता अनुसार लिया जा सकता है . साथ में चन्द्रप्रभावटी भी ली जा सकती है .
सुबह नीम के पत्तों का रस और शाम को पीपल के पत्तों का रस एक एक चम्मच लेने से किडनी के निष्क्रिय cells भी सक्रिय हो जाते हैं .
Protein diet बिलकुल बंद कर देनी चाहिए . यहाँ तक कि मूंग जैसी दालों का प्रयोग भी न के बराबर कर देना चाहिए . नमक बंद कर दें या बिलकुल कम कर दें . पानी की मात्रा कम कर दें .
जिनका क्रेटनिन स्तर 14 तक पहुंच गया था , उन्हें भी इन उपायों को अपनाने से लाभ हुआ . Urea का स्तर 40 से नीचे होना चाहिए . जिन व्यक्तियों का urea का स्तर 100-150 तक आ गया था , उन्होंने भी प्राणायाम करके और प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके अपनाकर लाभ उठाया .
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