आँखों की बीमारियाँ बहुत गंभीर समस्या हैं . ग्लूकोमा और मोतियाबिंद से तो बहुत परेशानी होती है .
कपालभाति प्राणायाम निरंतर रूप से करते रहने से मोतियाबिंद की समस्या को स्वयम ही समाप्त होते देखा गया है .
सप्तामृत लौह 20 ग्राम +आम्लिकी रसायन 200 ग्राम +मुक्ताशुक्ति 20 ग्राम +मोतीपिष्टि 2-4 ग्राम ; इन सबको मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लेने से बहुत लाभ होता है .
आंवले का जूस , आंवले का पावडर , आंवले का मुरब्बा और गर्मियों में अमृत रसायन ; ये सभी आँखों के लिए बहुत लाभदायक हैं . Retinal Pigmentosa और रतौंधी जैसी बीमारियाँ भी इससे ठीक होती हैं .
हथेली में तर्जनी और मध्यमा अँगुलियों के नीचे वाले स्थान पर acupressure करें . यह आँख का point होता है .
सवेरे नित्यकर्म से निवृत्त होकर मुंह में ताज़ा पानी भरकर आँखों में खूब छींटे मारें और मुंह का पानी बाहर निकाल दें . सवेरे नंगे पाँव मुलायम दूब घास पर चलें . हरी सब्जियों का प्रयोग करें . तीन से चार लिटर पानी अवश्य पीयें .
देसी घी या तेल का दीया जलाकर त्राटक करें . कुछ क्षण लगातार लौ को देखकर आँखें बंद कर लें . उगते बाल सूर्य का कुछ क्षण त्राटक करें .इसे सूर्य साधना या सविता साधना भी कहा जाता है . प्रारम्भ में लगभग आधा मिनट भी काफी रहेगा . सूर्य को अर्घ्य दें और उस पानी की धारा में सूर्य की रोशनी को देखें .
कम उम्र है और B P या heart problem नहीं है तो शीर्षासन और सर्वांग आसन भी लगभग 2-5 मिनट तक करना, लाभप्रद होता हैं .
कपालभाति प्राणायाम निरंतर रूप से करते रहने से मोतियाबिंद की समस्या को स्वयम ही समाप्त होते देखा गया है .
सप्तामृत लौह 20 ग्राम +आम्लिकी रसायन 200 ग्राम +मुक्ताशुक्ति 20 ग्राम +मोतीपिष्टि 2-4 ग्राम ; इन सबको मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लेने से बहुत लाभ होता है .
आंवले का जूस , आंवले का पावडर , आंवले का मुरब्बा और गर्मियों में अमृत रसायन ; ये सभी आँखों के लिए बहुत लाभदायक हैं . Retinal Pigmentosa और रतौंधी जैसी बीमारियाँ भी इससे ठीक होती हैं .
हथेली में तर्जनी और मध्यमा अँगुलियों के नीचे वाले स्थान पर acupressure करें . यह आँख का point होता है .
सवेरे नित्यकर्म से निवृत्त होकर मुंह में ताज़ा पानी भरकर आँखों में खूब छींटे मारें और मुंह का पानी बाहर निकाल दें . सवेरे नंगे पाँव मुलायम दूब घास पर चलें . हरी सब्जियों का प्रयोग करें . तीन से चार लिटर पानी अवश्य पीयें .
देसी घी या तेल का दीया जलाकर त्राटक करें . कुछ क्षण लगातार लौ को देखकर आँखें बंद कर लें . उगते बाल सूर्य का कुछ क्षण त्राटक करें .इसे सूर्य साधना या सविता साधना भी कहा जाता है . प्रारम्भ में लगभग आधा मिनट भी काफी रहेगा . सूर्य को अर्घ्य दें और उस पानी की धारा में सूर्य की रोशनी को देखें .
कम उम्र है और B P या heart problem नहीं है तो शीर्षासन और सर्वांग आसन भी लगभग 2-5 मिनट तक करना, लाभप्रद होता हैं .
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