भूलने की बीमारी बड़ी उम्र में एक आम समस्या हो जाती है . आजकल बच्चों में भी भूलने की बीमारी और एकाग्रता की कमी देखी जाने लगी है . I Q बढ़ाने के लिए और memory sharp करने के लिए प्राणायाम अवश्य करने चाहिएँ|
आँखें बंद करके भर्स्तिका प्राणायाम 2-4 मिनट , कपालभाति प्राणायाम 10-15 मिनट और अनुलोम विलोम प्राणायाम भी लगभग 10-15 मिनट तक करना चाहिए . अनुलोम विलोम प्राणायाम तो बहुत अधिक महत्वपूर्ण है . हमारे दायें और बाएं नासास्वरों का मस्तिष्क के साथ सीधा सम्बन्ध है . इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास करते रहने से से भूलने की बीमारी से बचा जा सकता है . उद्गीथ और भ्रामरी प्राणायाम भी 4-5 बार कर लेने से एकाग्रता बढाने में बहुत लाभ होता है |
मेधा वटी एक एक गोली सवेरे शाम लेने से बुद्धि तीक्ष्ण होने में मदद मिलती है और याददाश्त बढती है . ये दो दो गोली तक भी सवेरे शाम ली जा सकती हैं . बादाम रोगन को माथे पर लगाने से , नाक में एक दो बूँद डालने से लाभ होता है . दूध में एक चम्मच बादाम रोगन डालकर लिया जा सकता है . अखरोट भी मस्तिष्क के लिए बहुत लाभदायक होता है . ब्राह्मी एक से दो ग्राम तक या शंखपुष्पी भी इतनी ही मात्रा में दूध या पानी के साथ प्रतिदिन ले सकते हैं . ज्योतिष्मति (मालकांगनी ) के 2-3 बीजों का पावडर लिया जा सकता है . वचा का एक दो ग्राम पावडर सवेरे शाम ले सकते हैं |
देसी गाय का शुद्ध दूध और घी मेधा को तीव्र करने में बहुत सहायक होता है . नित्यप्रति शांत मन से, श्वासों पर ध्यान करने से, भूलने की बीमारी पर नियन्त्रण पाया जा सकता है |
आँखें बंद करके भर्स्तिका प्राणायाम 2-4 मिनट , कपालभाति प्राणायाम 10-15 मिनट और अनुलोम विलोम प्राणायाम भी लगभग 10-15 मिनट तक करना चाहिए . अनुलोम विलोम प्राणायाम तो बहुत अधिक महत्वपूर्ण है . हमारे दायें और बाएं नासास्वरों का मस्तिष्क के साथ सीधा सम्बन्ध है . इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास करते रहने से से भूलने की बीमारी से बचा जा सकता है . उद्गीथ और भ्रामरी प्राणायाम भी 4-5 बार कर लेने से एकाग्रता बढाने में बहुत लाभ होता है |
मेधा वटी एक एक गोली सवेरे शाम लेने से बुद्धि तीक्ष्ण होने में मदद मिलती है और याददाश्त बढती है . ये दो दो गोली तक भी सवेरे शाम ली जा सकती हैं . बादाम रोगन को माथे पर लगाने से , नाक में एक दो बूँद डालने से लाभ होता है . दूध में एक चम्मच बादाम रोगन डालकर लिया जा सकता है . अखरोट भी मस्तिष्क के लिए बहुत लाभदायक होता है . ब्राह्मी एक से दो ग्राम तक या शंखपुष्पी भी इतनी ही मात्रा में दूध या पानी के साथ प्रतिदिन ले सकते हैं . ज्योतिष्मति (मालकांगनी ) के 2-3 बीजों का पावडर लिया जा सकता है . वचा का एक दो ग्राम पावडर सवेरे शाम ले सकते हैं |
देसी गाय का शुद्ध दूध और घी मेधा को तीव्र करने में बहुत सहायक होता है . नित्यप्रति शांत मन से, श्वासों पर ध्यान करने से, भूलने की बीमारी पर नियन्त्रण पाया जा सकता है |
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