प्रारम्भिक अवस्था की हर्निया की बीमारी में कपड़ा या बेल्ट बांधकर धीरे धीरे प्राणायाम करें . धीरे धीरे प्राणायाम करनेसे हर्निया में लाभ होता है . बाह्य प्राणायाम सबसे अधिक लाभदायक होता है . पूरा श्वास बाहर निकालकर कुछ क्षण पेट को ऐसे ही रखें . फिर धीरे धीरे श्वास अन्दर लें . पीछे झुकने वाले आसन न करें . अमरुद के 4-5 पत्ते +युक्लिप्ट्स के 4-5 पत्ते +आम के 4-5 पत्ते ; इन सभी को मिलाकर, कूटकर, इनका काढ़ा पीयें . इससे आँतों की झिल्ली मजबूत हो जाती है .
कांचनार गुग्ग्लु या वृद्धि बाधिका वटी और सर्वक्ल्प क्वाथ आदि का प्रयोग किया जा सकता है . लेकिन ज्यादा हर्निया बढने पर आपरेशन ही करना पड़ता है .
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