Tuesday, April 24, 2012

मेरे प्रोफेसर !

भाई ऊपर वाले कमरे में शेव बना रहे थे ; उन्हें ज़ल्दी तैयार होकर दूल्हा जो बनना था ! मैं उन्हें चाय पकडाने के लिए ऊपर पहुंची ही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई . माँ ने दरवाज़ा खोला . मैं ऊपर से देख रही थी . दरवाज़े पर मेरे अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर खड़े थे और मेरे बारे में पूछ रहे थे . में हतप्रभ सी देखती ही रह गई !
                    मैंने अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर साहब को भाई के विवाह का निमंत्रण पत्र देकर उन्हें बड़े आग्रहपूर्वक भाई के विवाह में आने का न्यौता अवश्य दिया था . मुझे इस बात का भी पूरा भान था कि कक्षा की उनकी सबसे चहेती शिष्या में ही थी . लेकिन वे सचमुच विवाह में सम्मिलित होंगे ;  ऐसा विचार कल्पनातीत था .
            " देख ! तेरे प्रोफ़ेसर आये हैं ." माँ की आवाज़ से मेरी तन्द्रा टूटी . भाई को चाय पकड़ाकर , लपककर में नीचे गई . मैंने उन्हें नमस्कार किया और घर के सभी मेहमानों से उनका परिचय कराने लगी . मेरे बड़े ताउजी के बेटे भी बारात में जाने के लिए निमंत्रित थे . वे भी बैठक में ही बैठे थे . जैसे ही मैं उन दोनों का परिचय करने के लिए बढी ; वे दोनों पूर्व परिचित की मुद्रा में नजर आने लगे . मेरे अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर आगे बढकर मेरे ताउजी के बेटे को नमस्कार कर रहे थे और वे प्रसन्न मुद्रा में उनका अभिवादन स्वीकार कर रहे थे .
                         मैंने अपने प्रोफ़ेसर साहब को नमस्कार किया और उनका परिचय अपने ताउजी के बेटे से करने लगी , " सर! ये रमेश भाईसाहब है ; दिल्ली विश्वविद्यालय ..........." 
                        मैं अपना वाक्य पूरा भी न करने पाई थी कि मेरे ताउजी के बेटे बोल उठे ," अरे भई, ये हमारे ही चेले हैं . आज तेरे प्रोफेसर हैं तो क्या हुआ ? पढ़ाया तो हमीं ने है ." ये कह कर रमेश भाईसाहब ठहाका लगा कर हंस पड़े . मेरे प्रोफेसर साहब भी मुस्कुरा रहे थे बोले , " अजीब इत्तेफाक है ; मैं तुम्हारा प्रोफेसर ,  और तुम्हारे भैया मेरे प्रोफेसर !" 
             आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता से मैं बोली ," सर ! ये बड़े संयोग की बात है . आप कृपया भैया के पास बैठें . मैं आपके लिए जलपान लाती हूँ . "
            मैंने उनके सामने जलपान रखा और फिर माँ के साथ काम में लग गई . भाई की बारात दो घंटे बाद ही रवाना होनी थी . काम बहुत थे , और समय कम था . मैंने सोचा प्रोफेसर साहब बारात में तो साथ ही जायेंगे . फिर उन्हें बातचीत करने के लिए रमेश भाईसाहब भी मिल गए हैं ; इसलिए उनके बोर होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता . फिर मुझे तैयार भी होना था . मैं अन्दर कमरे में चली गई . 
                   पांच दस मिनट बाद ही प्रोफेसर साहब ने मुझे बुलवाया . वे भाई के विवाह के नाम का शगुन मेरे हाथ पर रखते हुए बोले ,"यह अपनी माताजी को दे देना . मैं चलता हूँ ."
                    मैं सकपका गई . मुझे बहुत अजीब सा लगा . मैंने कहा ," सर!  आप ऐसे कैसे जा सकते हैं ? भाई की बारात में तो साथ जाना ही है आपको ."
                 वे रुकने को तैयार नहीं थे ,  बोले ," अभी तो मुझे कोई काम है . बारात में नहीं जा सकूंगा . ठीक है ; मैं चलता हूँ . "  वे कहकर चल भी दिए और मैं अवाक् सी उन्हें जाते देखती रही .
                         मुझे ऐसा लगा कि शायद उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची . शायद उन्होंने सोचा कि अपने सबसे अच्छे विद्यार्थी के यहाँ समारोह में सम्मिलित होने का उनका फैसला गलत था . शायद उन्होंने सोचा कि मैंने उनका सम्मान नहीं किया . या फिर शायद वे अपने प्रोफेसर से झेंप रहे थे . 
                    कुछ क्षण तो मैं दरवाजे पर ही खडी रही . फिर मैंने सोचा कि सर से बाद में पूछ लूंगी कि कोई गलती तो नहीं हुई मुझसे ? मैं उनसे माफी मांग लूंगी .  ऐसा सोचकर मैंने शगुन के रूपये माँ को थमाए और तैयार होने में लग गई . 
                       विवाह के बाद जब लैक्चर रूम में उन्होंने लैक्चर दिया तो मुझे ऐसा लगा कि शायद वे मुझसे अनमने से हैं . मैंने सोचा तो था कि उनसे अपनी गलती पूछूंगी ; माफी मांग लूंगी ; आदि आदि ,  लेकिन साहस  न कर पाई . 
              आगले दिन मैं सर के लिए विवाह की मिठाई लेकर आई . मैंने कहा , " सर! माँ ने आपके लिए कुछ मिठाई भेजी है ; प्लीज़ ले लीजिये ." उन्होंने मुझे कुछ अजीब सी मुस्कुराहट देते हुए मिठाई ले ली . 
                         मैं उनसे कुछ भी पूछ पाने की हिम्मत न जुटा पाई . परन्तु अगर वे मुझसे नाराज़ हुए थे तो मुझे सचमुच इस बात का अफ़सोस है . आज अगर सर मुझे कहीं मिल जाएँ, तो मैं जरूर पूछ सकती हूँ कि वे मुझसे नाराज़ तो नहीं हैं ना ? क्यों सर ? आप पढ़ रहे हैं क्या ?  

Sunday, April 15, 2012

Infertility

Infertility की समस्या पहले से अधिक बढी है . इसके कारण हो सकते हैं ; तनाव , सब्जी, फलों में कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का होना , शारीरिक श्रम का अभाव और fast food इत्यादि .
                    कारण कोई भी हो , अगर कपालभाति प्राणायाम नियमित रूप से किया जाए तो इन सभी कारणों का प्रभाव भी बहुत कम होगा और infertility की समस्या भी शायद नहीं होगी .
                                  महिलाओं में infertility का एक कारण poly cystic ovary हो सकता है . अगर F S H और L H  हारमोन का असंतुलन हो तो poly cystic ovary की समस्या हो सकती है . इसके कारण periods भी असंतुलित होते हैं . या तो अधिक होते हैं या बहुत कम या फिर होने ही बंद हो जाते हैं . इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है ; प्रतिदिन कपालभाति प्राणायाम करें .
                             दशमूल क्वाथ के एक चम्मच को एक गिलास पानी में धीमी आंच पर पकाकर , जब वह आधा रह जाए तब पी लें . यह काढ़ा कुछ समय सुबह शाम लेते रहने से periods नियंत्रित हो जाते हैं . कपालभाति प्राणायाम के साथ यह काढ़ा भी लेते रहने से pregnancy की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है .
                                     अगर eggs कम बन रहे हों तो शिवलिंगी और पुत्र जीवक के बीजों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें . यह पावडर एक एक ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से बहुत जल्द ही pregnancy हो जाती है .
                                      पुरुषों को sperm count कम होने की समस्या हो तो यौवनामृत वटी , चन्द्र प्रभावटी और शिलाजीत रसायन की एक एक गोली लेते रहें और प्राणायाम करते रहें .
              अश्वगंधा , शतावर , सफ़ेद मूसली और कौंच के बीज ;  ये सब मिलाकर लेने से भी  sperm count बढ़ते हैं .

दूध कम होने पर .........

अगर नवजात शिशु के लिए दूध कम पड़ता है और बच्चा भूखा रह जाता है, तो माता शतावर का चूर्ण 1-2 ग्राम सवेरे शाम दूध के साथ ले ले . इससे पूरा दूध आना प्रारम्भ हो जाता है . कुछ और जड़ी बूटियाँ भी इसमें सहायक हैं :
~ रुद्रवंती    रुद्रवन्ती + शतावर +अश्वगंधा मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सवेरे शाम लेने से लाभ होता है ।
~ कदम्ब     कदम्ब के फल का पावडर और शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें ।
~ करेला      करेले की सब्जी रोज खाने से दूध भी पूरा आता है और माता को arthritis भी होने की सम्भावना से मुक्ति मिलती है ।
~ पिप्पली     2 ग्राम शतावर और 1 ग्राम पिप्पली का पावडर नियमित रूप से लेने से दूध भी खूब आता है और बच्चा भी हृष्ट पुष्ट होता है ।नवप्रसूता माताएं तीन ग्राम शतावर +एक ग्राम पिप्पली का पावडर दूध बढ़ाने के लिए सुबह शाम ले सकती हैं . इससे शरीर भी जल्द  ही सामान्य स्थिति में आ जाएगा .
~  शीशम        शीशम के पत्तों को पीसकर उसकी लुगदी स्तन पर कुछ घंटे लगाने से दूध अधिक आना शुरू हो जाता है ।  पशुओं के थनों में थनैला रोग भी इसके पत्तों की लुगदी लगाने से समाप्त हो जाता है। 
~  मुलेठी          मुलेठी और शतावर का पावडर,  दूध में पकाकर लेने से दूध खूब आता है और बच्चा भी तंदुरुस्त होता है । केवल मुलेठी के पावडर को दूध में पकाकर लेने से भी फायदा होता है ।  माताओं को दूध कम है तो इसकी जड़ के पावडर के साथ शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम एक एक चम्मच दूध के साथ लें । पशुओं का पेट ठीक रखना है या दूध बढ़ाना है तो उनके चारे में इसका पावडर 100 ग्राम मिला दें . पशु दूध तो अधिक मात्रा में देते ही हैं ; साथ ही उनका दूध भी औषधीय गुणयुक्त भी हो जाता है । 

~  सेमल (silk cotton tree )  ;  अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें ।  स्तन में शिथिलता हो तो  इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें । 

          पशुओं का भी अगर दूध कम आए या थनैला नाम का रोग हो जाए तो उन्हें 50-60 ग्राम शतावर की जड़ का पावडर दिया जा सकता है । इससे रोग भी ठीक होगा और दूध भी अधिक आएगा । अगर शीशम के पत्तों की लुगदी को पशुओं के थनों पर लगाकर 7-8 घंटे के लिए छोड़ दिया जाए , तो थनैला रोग तो ठीक होता ही है दूध की मात्रा भी बढ़ जाती है ।
100 ग्राम मुलेठी की जड़  पशुओं को चारे के साथ खिला दी जाए तो उनके पेट की बीमारियाँ खत्म होती हैं और उनका दूध बहुत बढ़ जाता है । इस दूध को पीने से इंसानों की बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं ।

Saturday, April 14, 2012

उल्टी, दस्त (vomiting and diarrhoea)

उल्टियाँ और दस्त होने पर पानी में नमक और चीनी डालकर इसका घोल लें .  मुक्ताशुक्ती भस्म 10 ग्राम +शंख भस्म 10 ग्राम +मोती पिष्टी 5 ग्राम ;   इन तीनों का पावडर मिलाकर रख लें .
                            अगर दो से तीन महीने के बच्चे को उल्टी दस्त हैं तो एक चावल के दाने के बराबर यह  पावडर बच्चे को दें . अगर थोड़ा बड़ा बच्चा है तो मूंग के दाने के बराबर , और भी अधिक बड़ा है तो चने के बराबर मात्रा में यह चूर्ण दें . अगर बड़ा व्यक्ति है तो आधा ग्राम की मात्रा में यह पावडर ले सकता है . इससे उल्टियों और दस्तों में तुरंत आराम आता है .

Thursday, April 12, 2012

Hernia

             प्रारम्भिक अवस्था की हर्निया की बीमारी में कपड़ा या बेल्ट बांधकर धीरे धीरे प्राणायाम करें . धीरे धीरे प्राणायाम करनेसे हर्निया में लाभ होता है . बाह्य प्राणायाम  सबसे अधिक लाभदायक होता है . पूरा श्वास बाहर निकालकर कुछ क्षण  पेट को ऐसे ही रखें . फिर धीरे धीरे श्वास अन्दर लें .  पीछे झुकने वाले आसन न करें . अमरुद के 4-5 पत्ते +युक्लिप्ट्स के 4-5 पत्ते +आम के 4-5 पत्ते ; इन सभी को मिलाकर, कूटकर, इनका काढ़ा पीयें . इससे आँतों की झिल्ली मजबूत हो जाती है . 
                                  कांचनार गुग्ग्लु या वृद्धि बाधिका वटी और सर्वक्ल्प क्वाथ आदि का प्रयोग किया जा सकता है . लेकिन ज्यादा हर्निया बढने पर आपरेशन ही करना पड़ता है .

Monday, April 9, 2012

नींद की समस्या (insomnia )

                                              अनुलोम विलोम प्राणायाम निरंतर नियमपूर्वक किया जाए तो यह समस्या आ ही नहीं सकती और अगर यह समस्या आ भी गई है तो ठीक हो जाती है . Ring finger के top पर थोडा दबा लें . शारीरिक श्रम अवश्य करें .
                                                   सर्पगंधा 50 ग्राम +जटामासी100 ग्राम +ब्राह्मी 50 ग्राम ; इन सबको मिलाकर रात को 1 -2  ग्राम पानी के साथ ले लें . इससे एलोपेथी की दवाओं से छुटकारा मिल जाएगा . बहुत छोटे बच्चे को यह समस्या है तो बादाम रोगन की माथे पर और सिर में मालिश कर दें . बहुत अधिक समस्या है तो बच्चे को केवल जटामासी ही थोड़ी मात्रा में  दे दें .
                  सिर्फ  मेधावटी  की दो दो गोली सवेरे शाम लेने से भी नींद की समस्या हल हो जाती है . बच्चे एक एक गोली सवेरे शाम ले सकते हैं. .  
                             पिप्पली को भूनकर उसके पावर का नस्य लेने से भी नींद ठीक आती है । सोते समय 1=2 ग्राम पिप्पली के पावडर को दूध के साथ लेने से भी नींद की समस्या से मुक्ति मिलती है ।
\            5 ग्राम भाँग के पावडर में 1-2 ग्राम सर्पगंधा का पावडर मिलाकर रात को सोते समय कुछ दिन लिया जाए तो नींद ठीक आने लगती है । सहदेवी के पौधे को शयन कक्ष में रखने से या इसके सूखे पौधे को तकिए के नीचे रखकर सोने से भी नींद अच्छी आती है ।       
              बहुत अधिक नींद आती हो तो सौंफ का पानी लेते रहने से नींद ठीक हो जाती है .

Sunday, April 8, 2012

मोतियाबिंद (cataract)

आँखों की बीमारियाँ बहुत गंभीर समस्या हैं . ग्लूकोमा और मोतियाबिंद से तो बहुत परेशानी होती है .
                 कपालभाति प्राणायाम निरंतर रूप से करते रहने से मोतियाबिंद की समस्या को स्वयम ही समाप्त होते देखा गया है .
                    सप्तामृत लौह 20 ग्राम +आम्लिकी रसायन 200 ग्राम +मुक्ताशुक्ति 20 ग्राम +मोतीपिष्टि 2-4 ग्राम  ;  इन सबको मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लेने से बहुत लाभ होता है .
                                                              आंवले का जूस , आंवले का पावडर , आंवले का मुरब्बा और गर्मियों में अमृत रसायन ;  ये सभी आँखों के लिए बहुत लाभदायक हैं . Retinal Pigmentosa और रतौंधी जैसी बीमारियाँ भी इससे ठीक होती हैं .
                    हथेली में  तर्जनी और मध्यमा अँगुलियों के नीचे वाले स्थान पर acupressure करें . यह आँख का point होता है .
                   सवेरे नित्यकर्म से निवृत्त होकर मुंह में ताज़ा पानी भरकर आँखों में खूब छींटे मारें और मुंह का पानी बाहर निकाल दें . सवेरे नंगे पाँव मुलायम दूब घास पर चलें . हरी सब्जियों का प्रयोग करें . तीन से चार लिटर पानी अवश्य पीयें .
                               देसी घी या तेल का दीया जलाकर त्राटक करें . कुछ क्षण लगातार लौ को देखकर आँखें बंद कर लें .   उगते बाल सूर्य का कुछ क्षण त्राटक करें .इसे सूर्य साधना या सविता साधना भी कहा जाता है . प्रारम्भ में  लगभग आधा मिनट भी काफी रहेगा . सूर्य को अर्घ्य दें और उस पानी की धारा में सूर्य की रोशनी को देखें .
                                  कम उम्र है और B P या heart problem नहीं है तो शीर्षासन और सर्वांग आसन भी लगभग  2-5 मिनट तक करना,  लाभप्रद होता  हैं .

वृक्क (kidney)

वृक्क अर्थात किडनी खराब होने से क्रेटनिन का level  2-3 से भी अधिक पहुंच जाता है . अमूमन यह एक डेढ़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए . इस बीमारी के मुख्य कारण हैं ; कृत्रिम उर्वरक और कीटनाशक ! इन्हें छानते छानते किडनी की हालत खराब हो जाती है .
                            कपाल भाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम अगर आधा आधा घंटा प्रतिदिन किया जाए तो एक दम लाभ होता है . हथेली के बीच में , और छोटी अंगुली के top पर acupressure करना चाहिए .
                                                   वृक्क दोषहर क्वाथ एक एक चम्मच का काढ़ा बनाकर लिया जा सकता है . या फिर वृक्क दोषहर वटी की एक एक गोली ली जा सकती है . पुनर्नवादी मंडूर आवश्यकता अनुसार लिया जा सकता है . साथ में चन्द्रप्रभावटी भी ली जा सकती है .
                                सुबह नीम के पत्तों का रस और शाम को पीपल के पत्तों का रस एक एक चम्मच लेने से किडनी के निष्क्रिय cells भी सक्रिय हो जाते हैं .
                      Protein diet बिलकुल बंद कर देनी चाहिए . यहाँ तक कि मूंग जैसी दालों का प्रयोग भी न के बराबर कर देना चाहिए . नमक बंद कर दें या बिलकुल कम कर दें . पानी की मात्रा कम कर दें .
                          जिनका क्रेटनिन स्तर 14 तक पहुंच गया था , उन्हें भी इन उपायों को अपनाने से लाभ हुआ . Urea का स्तर 40 से नीचे होना चाहिए . जिन व्यक्तियों का urea का स्तर 100-150 तक आ गया था , उन्होंने भी प्राणायाम करके और प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके अपनाकर लाभ उठाया . 

हृदय (heart)

 आजकल की दौड़ भाग भरी जीवन पद्धति ने जीवन को तनाव से परिपूर्ण कर दिया है . इसका परिणाम है हृदय से सम्बंधित तरह तरह की बीमारियाँ जैसे दिल का बड़ा होना, एंजाइना , हृदय का अवरुद्ध होना आदि . Ejection Fraction 60 के करीब होना चाहिए लेकिन अवरुद्धता होने के कारण यह  20-25 तक  ही रह जाता है .
                                   इसके लिए सभी प्राणायाम धीरे धीरे करने चाहिएँ ; विशेष तौर पर भर्स्तिका और भ्रामरी प्राणायाम .  हथेली की छोटी अंगुली के नीचे वाली रेखा पर acupressure करना चाहिए .
लौकी ;           सुबह खाली पेट ,  लौकी में 7 पत्ते तुलसी और 7 पत्ते पुदीने के साथ तीन चार काली मिर्च मिलाकर जूस पीने से अद्भुत लाभ होता है . लौकी कडवी बिलकुल नहीं होनी चाहिए . सर्दियों में जूस को थोडा गुनगुना कर के लिया जा सकता है .
 अर्जुन ;      अर्जुन की छाल दो तीन ग्राम की मात्रा में लेकर उसे एक गिलास पानी में उबालें . जब आधा गिलास रह जाए तो थोडा दूध मिलाकर चाय की तरह पी ले. शुरू में थोडा स्वाद शायद अच्छा न भी लगे , फिर भी इसका लगातार सेवन करने से अच्छे परिणाम सामने आते हैं . अर्जुन की छाल के पावडर में सूखी देसी गुलाब की पंखुडियां भी मिलाई जा सकती हैं .
                                  अर्जुनारिष्ट 4-4 चम्मच खाने के बाद लिया जा सकता है . हृदयामृत 2-2 गोली सुबह शाम ले सकते हैं .
                     अधिक समस्या है तो संगेयासव पिष्टी 5 ग्राम +अकीक पिष्टी 5 ग्राम +मोती पिष्टी 2-4 ग्राम +योगेन्द्र रस 1-2 ग्राम ;  इन सभी को मिलाकर 60 पुडिया बना लें . एक एक पुडिया सवेरे शाम शहद के साथ ले लें .  

इलायची  ;    बड़ी इलायची के दानों का पावडर अर्जुन की छाल  के काढ़े में डालकर पीने से एंजाइना , हृदय की समस्या में भी लाभ होता है । 


                                 यदि 80 प्रतिशत तक भी blockage हो गई है ; तब भी इन उपायों को अपनाने से और शांत मन से आस्थावान होते हुए निरंतर प्राणायाम करने से काफी फायदा होते देखा गया है ।


              

भूलने की बीमारी

भूलने की बीमारी बड़ी उम्र में एक आम समस्या हो जाती है . आजकल बच्चों में भी भूलने की बीमारी और एकाग्रता की कमी देखी जाने लगी है . I Q बढ़ाने के लिए और memory sharp करने के लिए प्राणायाम अवश्य करने चाहिएँ|
                 आँखें बंद करके भर्स्तिका प्राणायाम 2-4 मिनट , कपालभाति प्राणायाम 10-15 मिनट और अनुलोम विलोम प्राणायाम भी लगभग 10-15 मिनट तक करना चाहिए . अनुलोम विलोम प्राणायाम तो बहुत अधिक महत्वपूर्ण है . हमारे दायें और बाएं नासास्वरों का मस्तिष्क के साथ सीधा सम्बन्ध है . इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास करते रहने से से भूलने की बीमारी से बचा जा सकता है . उद्गीथ और भ्रामरी प्राणायाम भी 4-5 बार कर लेने से एकाग्रता बढाने में बहुत लाभ होता है |
                          मेधा वटी एक एक गोली सवेरे शाम लेने से बुद्धि तीक्ष्ण होने में मदद मिलती है और याददाश्त बढती है . ये दो दो गोली तक भी सवेरे शाम ली जा सकती हैं . बादाम रोगन को माथे पर लगाने से , नाक में एक दो बूँद डालने से लाभ होता है . दूध में एक चम्मच बादाम रोगन डालकर लिया जा सकता है . अखरोट भी मस्तिष्क के लिए बहुत लाभदायक होता है . ब्राह्मी एक से दो ग्राम तक या शंखपुष्पी भी इतनी ही मात्रा में दूध या पानी के साथ प्रतिदिन ले सकते हैं . ज्योतिष्मति (मालकांगनी ) के 2-3 बीजों का पावडर लिया जा सकता है . वचा का एक दो ग्राम पावडर सवेरे शाम ले सकते हैं |
                                     देसी गाय का शुद्ध दूध और घी मेधा को तीव्र करने में बहुत सहायक होता है . नित्यप्रति शांत मन से, श्वासों पर ध्यान करने से,  भूलने की बीमारी पर नियन्त्रण पाया जा सकता है |

Saturday, April 7, 2012

pregnancy


गर्भवती महिलाओं को बहुत सावधानियाँ रखनी पडती हैं . आजकल बच्चों को जन्म से ही बीमारियाँ सताने लगती हैं . अगर स्वस्थ बच्चे चाहिएँ तो गर्भावस्था में ही माँ को अपना ध्यान रखना होगा .
                                सवेरे और शाम को धीमी गति  से सभी लगभग  प्राणायाम किये जा सकते हैं . लेकिन कपालभाति प्राणायाम बिलकुल भी नहीं करना चाहिए .  भर्स्तिका प्राणायाम ; (यानि धीमे धीमे फेफड़े पूरे भरकर , फिर धीरे धीरे सांस छोड़ना ) , और अनुलोम विलोम प्राणायाम तो बहुत आसानी से किये जा सकते हैं .
                   उल्टियाँ आने की समस्या होने पर थोड़ी सी मोतीपिष्टी  चाट लें . यह समस्या ठीक हो जाएगी.इससे कोई नुक्सान भी नहीं होता .
                                                        अगर थायराइड की समस्या है तो दवा न लें .  अंगूठे के नीचे वाले गुदगुदे पॉइंट पर acupressure करें . इसके अतिरिक्त उज्जाई प्राणायाम करें;  अर्थात मुंह बंद करके , आवाज़ करते हुए  नाक से साँस अंदर खींचें . इससे गले अन्दर के हिस्से में थोडा सा खिंचाव भी महसूस होता है . जब फेफड़े पूरे भर जाएँ तो कुछ क्षण तक सांस भरे रहने दें . बाद में बाएं नथुने से धीरे धीरे सांस छोड़ें . यह उज्जाई प्राणायाम दो या तीन बार तक करें . इससे थायराइड की समस्या नहीं होगी .
                                               उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाए तो अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है . इसके साथ लौकी का जूस भी गुनगुना करके लें. शीशम के चार पांच पत्तों का रस लेना भी इसमें मदद करता है .  अगर मुक्तावटी  का भी सेवन कर लिया जाए तो रक्त चाप ठीक हो जाता है . इससे गर्भस्थ शिशु को भी कोई हानि नहीं होती . प्राणायाम करने से बच्चे को पूरी  oxygen की मात्रा मिलती है , जो कि बच्चे के समुचित विकास के लिए बहुत आवश्यक है .
                                                          अगर बुखार हो जाए तो गिलोय की डंडी का सेवन करें . ताज़ी न मिले तो अमृता सत या गिलोय घन वटी ले सकते हैं .  इसके लिए सुदर्शन घनवटी  भी ली जा सकती है . बुखार में  अंग्रेजी दवाइयां न लें . इससे बच्चे में विकलांगता आ सकती है .
                                                       सूजन हो तो एक चम्मच गोखरू +एक चम्मच पुनर्नवा को एक गिलास पानी में मंदी आंच पर उबालें .जब आधा गिलास रह जाए तो ठंडा करके  पी लें . इससे कोई हानि नहीं है .  दशमूल का थोड़ी कम मात्रा में,  प्रयोग कर सकते हैं . सर्वक्ल्प क्वाथ  भी सूजन खत्म करता हैं .
                                       अगर  ब्लीडिंग की जरा भी समस्या आ जाए तो घबराएँ नहीं . शीशम के पत्तों  का रस देने से यह समस्या बिलकुल ठीक हो जाती है . सर्दी के दिन हों तो इसमें थोड़ी काली मिर्च मिला लें . किसी भी प्रकार के discharge होने पर यही प्रयोग पूरी तरह कारगर रहता है .
                                   गर्भावस्था में  स्वाध्याय अवश्य करें और  स्वस्थ विचार रखें . किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें . भ्रामरी प्राणायाम भी सवेरे दो तीन बार अवश्य करें . अवश्य ही आपके घर में एक पुण्यात्मा का आगमन होगा .

Monday, April 2, 2012

नकसीर की समस्या


नकसीर की समस्या अक्सर गर्मी के दिनों में हो जाती है . नाक से खून बहना प्रारम्भ हो जाता है , जो कि बड़ी कठिनाई से बंद होता है .
                प्राकृतिक चिकित्सा के तौर पर इसके लिए छोटे छोटे उपाय किये जा सकते हैं . गाँव में तो इसके लिए मक्खन निकलने से पहले जो अधबिलोया दही होता है ; वह दिया जा सकता है . यह नकसीर का बहुत ही अच्छा इलाज है . कुछ ही दिन यह दही लेने से नकसीर की समस्या हल हो जाती है .
                                         शीशम या पीपल के पत्तों को पीसकर या कूटकर , उसका रस नाक में 4-5 बूँद ड़ाल दिया जाए तो एक क्षण में में ही तुरंत आराम आता है .
                                   अगर लगातार शीशम के पत्ते पीसकर उनका शर्बत सवेरे शाम पीया जाए तो नकसीर की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाती है . ठंडी तासीर वालों को इसमें काली मिर्च मिला लेनी चाहिए .  बिल्व ( बेल) के पत्ते भी साथ में डालकर शरबत पीने से और भी अधिक लाभ होता है .
                                           अनुलोम- विलोम प्राणायाम प्रतिदिन सवेरे शाम खाली पेट करते रहने से, नकसीर की समस्या,  हो ही नहीं सकती . नकसीर की बीमारी से बचने के लिए गर्म चीज़ न खाएं . बैंगन इत्यादि कुछ सब्जियां भी गर्म होती हैं ; इनके सेवन से बचें .

Prostate glands

Prostate glands के बढने की समस्या केवल पुरुषों को ही होती है . यह 40 - 50  वर्ष तक की उम्र में भी हो सकती है;  और इससे अधिक उम्र में भी . इस ग्रन्थि का वजन लगभग  20  ग्राम तक होता है . लेकिन प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढने पर इसका वजन 40 - 50 ग्राम तक, यहाँ तक कि,  100 ग्राम तक भी होते देखा गया है . यह खतरनाक हो सकता है . इस बीमारी में बार बार पेशाब जाना पड़ता है . एक बार में पूरा पेशाब नहीं होता . थोडा थोडा करके पेशाब आता है . इससे  नींद पूरी नहीं होने पाती .
                                                                  इसके उपचार के लिए  कपालभाति प्राणायाम सर्वश्रेष्ठ है . इससे बहुत अधिक लाभ देखा गया है . Acupressure के लिए हथेली के बीचों बीच वाले point पर बार बार दबाने से भी फायदा होता है .  चन्द्रप्रभा और गोक्षुरादी वटी लेने से लाभ होता है . विषतिन्दूक वटी की एक एक गोली भी ली जा सकती है ; अगर बार बार पेशाब आता हो .
                     सवेरे सवेरे  लौकी का जूस +7  पत्ते तुलसी +5  काली मिर्च मिलाकर जूस पीने से अद्भुत फायदा होता है .
        उम्र बढने पर पुरुषों को यह समस्या अवश्य ही आ सकती है . इसलिए बेहतर है,  कि नियमित रूप से कपालभाति प्राणायाम करते रहें , और इस बीमारी से बचे रहें .