सिरदर्द हो तो इसके पत्तों को पीसकर माथे पर लगा लें .
कफ , sinus , बलगम या एलर्जी हो तो इसके पत्तों के रस में थोडा सा पानी मिलाकर दो दो बूँद नाक में डालें . पानी न मिलाया जाए तो इसका रस नाक में बहुत लगता है .
भूख कम लगती हो , बच्चों को मन्दाग्नि की शिकायत हो तो , पुदीने और अदरक मिलाकर इसके पत्तों की चटनी खिलाएं . इसमें प्राकृतिक तौर पर खट्टापन होता है ; इसलिए यह चटनी स्वादिष्ट भी खूब लगती है .
विषम अग्नि में (अर्थात कभी भूख कम हो और कभी ज्यादा लगती हो ) भी यह चटनी बड़ी कारगर रहती है . आँतों में infection हो जाए , तो भी इसके पत्तों की चटनी लें या इसके पत्तों का रस ले लें .
रक्त प्रदर होने पर या over bleeding होने पर, इसके पत्तों को पीसकर मिश्री मिलाकर पीयें . बवासीर या piles की बीमारी में इसको ताज़ी लें , या फिर इसकी सूखी पत्तियों का पावडर 1-2 ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें . कहीं पर चोट लग जाए तो इसके पत्ते पीसकर लुगदी बांधें .
दांतों को मजबूत करना है तो , चांगेरी +लौंग +हल्दी +सेंधा नमक +फिटकरी ; इन सबको मिलाकर महीन पावडर करें और नित्यप्रति मंजन करें . इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे . मसूढ़ों में पस हो जाए तो इसके पत्तों के रस से मसूढ़ों की मालिश करें या फिर इसके पत्तों के रस में फिटकरी मिलाकर कुल्ले करें .
Uterus या anus बाहर निकलने की समस्या हो तो , 5-10 ग्राम चांगेरी के पत्ते के रस को छानकर उसमें फिटकरी मिलाकर रुई से अच्छी तरह धोएं . मूलबन्ध लगाकर प्रतिदिन प्राणायाम करें . इससे आशाजनक परिणाम आ सकते हैं .
मांसपेशियां ढीली पद गई हों , या झुर्रियाँ खत्म करनी हों तो चांगेरी के पत्तों के रस में सफ़ेद चन्दन घिसकर नित्यप्रति नियमित रूप से लगायें . त्वचा तंदरुस्त हो जायेगी .
अगर नशे की लत हो ; चाहे भांग , अफीम की या कोई और भी क्यों न हो ; और उसे छुड़ाना चाहते हैं तो , चांगेरी के पत्तों का रस प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में पिलायें . इससे नशा करने की इच्छा ही नहीं होगी .
No comments:
Post a Comment