नन्हे से अर्भक ने अंगडाई ली 
माँ के अंतर्मन ने ममता से स्पन्दित हो 
अनुभव किया हल्की, भोली सरसराहट का 
नि: शब्द मौन अस्फुट चेतना के अस्तित्व का 
सुखद अनुभूति एक पल की 
झुरझुरा गई तन मन 
बोध कराती हुई अलौकिक , अनुपम आनन्द 
सरल स्पर्श से 
कोमल भाव भंगिमाओं से    
 कुछ कही अनकही चेष्टाओं से 
अवबोध कराती हैं 
अपने अधिकार का 
माँ के ममत्व पर 
सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर
माँ तुम मेरी हो 
बस मेरी !!
 
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