Sunday, August 28, 2011

yellow berried nightshade (कंटकारी)




यह पौधा कोई उगाना नहीं चाहता , यूं ही उग जाता है . यह कांटेदार जामुनी फूल वाला पौधा बहुत फायदेमंद है . खासकर फेफड़े और गले के रोगों में तो , इसका जवाब ही नहीं . इस पूरे सूखे हुए पौधे को तीन या चार ग्राम के करीब लेकर दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें . जब रह जाए एक चौथाई तो छानकर पी लें . यह सवेरे खाली पेट लें . इससे तुरंत खांसी में फायदा होता है . च्यवनप्राश में भी इसे डाला जाता है . अगर दमा या एलर्जी हो तो इस पौधे का ताज़ा रस एक या दो ग्राम लें और शहद में मिलाकर चाटें .
                                      जाड में दर्द हो तो इसका रस रुई में लगाकर जाड के नीचे रखें . इसको पानी में उबालकर उस पानी के कुल्ले करें . epilepsy या migraine में इसका ताज़ा रस दो दो बूँद नाक में टपकायें . यह सवेरे खाली पेट करना चाहिए . दोनों बीमारियाँ बिलकुल ठीक हो जाती हैं .
                                       गंजेपन में या बालों में रूसी हो तब इसका रस बालों की जड़ों में लगाएँ . पेशाब रुक रुककर आता हो तो सूखे पौधे को पांच ग्राम लें और चार सौ ग्राम पानी में उबालें . जब एक चौथाई रह जाए तो खाली पेट पी लें . लीवर में सूजन हो तब भी यही काढ़ा सवेरे शाम लें .
     गर्भावस्था में उलटी आती हों , जी मिचलाता हो या फिर बार बार abortion होने की समस्या हो तो , इसे सूखा पांच छ: ग्राम लेकर उसमें पांच छ: मुनक्का मिलाएं . इसे चार सौ ग्राम पानी में पकाएं . एक चौथाई रहने पर खाली पेट पी लें . और अगर pregnancy नहीं हो पा रही , तो इसकी पांच ग्राम जड़ को चार सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें . इसे period के तीन दिन पहले से शुरू करें ,और लगातार आठ दिन तक लें .
                       खाली जगहों पर बिना उगाये ये बेकार सा दिखने वाला पौधा कितना गुणकारी है !







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