आंवला बहुत अधिक उपयोगी है .
त्रिफला के रूप में तो सभी इसे ले सकते हैं .त्रिफला में इसे हरड और बहेड़ा के साथ मिलाया जाता है . यही तीन फल हमारे शरीर को बहुत सी बीमारियों से बचाते हैं .
यदि आंवले के ताज़े रस की दो दो बूँद आँखों में ड़ाल ली जाएँ तो नेत्रज्योति बढती है . इससे आँखों की हर तरह की परेशानी भी दूर होती है . अगर ताज़ा आंवला न मिले तो मिट्टी के बर्तन में आंवले की छाया में सुखाई हुई 2-3 कलियाँ 25 ml पानी में भिगो दें . इस पानी को शीशी में भरकर रख लें . इस पानी की भी दो -दो बूँद आँखों में ड़ाल सकते हैं . इसकी 5-7 कलियाँ 50-60 ml पानी में रात को भिगो दें . सवेरे यह पानी छानकर इससे eyewash करें . एक छोटे बर्तन में इसे डालकर आँखें खोलें और बंद करें . आँखों की ज्योति बढाने के लिए दो तीन चम्मच रस प्रात:काल लें या हर रोज़ आधा या एक चम्मच आंवला पावडर पानी के साथ ले सकते हैं .
बालों के लिए आंवला, शिकाकाई रीठा और भृंगराज मिलाकर , लोहे की कढ़ाई में पकाकर बालों में लेप करें . कुछ घंटे बाद धो दें . तो बाल बहुत अच्छे हो जाते हैं .इसके बीज की गिरी को पीस कर बालों की जड़ों में लगाया जाए तो बाल मजबूत हो जाते हैं .
नकसीर की समस्या के लिए सवेरे दो चम्मच रस खाली पेट ले लिया जाए , तो बहुत आराम मिलता है .
पीलिया हो तब भी आंवले का रस बहुत लाभदायक है . हिचकी के लिए पीपली+ आंवला+ सोंठ बराबर मात्रा में मिला लें.
सवेरे खाली पेट तीन ग्राम और शाम को भी तीन ग्राम लेने से हिचकियों से छुटकारा मिल जाता है .
Acidity की समस्या में इसका पावडर 5 ग्राम रात को भिगो दें .सवेरे छानकर मिश्री मिलाकर पीयें . पसीने से दुर्गन्ध आती हो तो सवेरे शाम 3-3 ग्राम आंवले के पावडर का सेवन करें . इसके फलों का रस कांच की शीशी में भरकर धूप लगायें . यह खराब नहीं होगा . फिर 15 ml एक गिलास पानी में मिलाकर, मिश्री मिलाकर पीयें . इससे गर्मी कम लगेगी और उल्टियाँ भी ठीक होंगी .
नियमित रूप से आंवला लेने से बाल काले रहते हैं और झड़ने भी बंद हो जाते हैं.
पसीने अधिक आने पर भी इसका रस या पाउडर पांच ग्राम तक लेने से फायदा होता है .
उलटी होने पर भी इसका रस लेना अच्छा रहता है , या फिर इसका पावडर शहद के साथ लें.
बवासीर में भी इसका रस लाभदायक रहता है .
बहुत गर्मी लगती हो तब भी इसका रस नियमित रूप से लें . पेट में अल्सर या colitis की समस्या हो या फिर दस्त लगे हों , तो इसका रस या पावडर लाभ देता है .
पेट साफ़ न हो रहा हो तो इसे नियमित रूप से लेना अच्छा रहता है .
इससे अनीमिया भी ठीक होता है .
मूत्र विकारों में इसके तने की छाल व पत्तियां 10 ग्राम लें . इन्हें 400 ग्राम पानी में पकाएं . जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें . यह काढ़ा सुबह शाम लेना है .
यह रसायन के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है . अर्थात , इसे 40 दिन तक नियमपूर्वक लिया जाए , पूरा शरीर नये जैसा हो जाता है . मदन मोहन मालवीय इसका रसायन के रूप में प्रयोग किया करते थे . अगर आंवले के पावडर को 21 बार आंवले रस में भिगोकर, सुखाकर पावडर बनाया जाए तो इसे आमलिकी रसायन कहते हैं .इसकी बहुत थोड़ी सी मात्रा लेना आँखों के लिए बहुत लाभकारी होता है . इससे खून की कमी , त्वचा के रोग , गर्मी के रोग, white discharge की समस्या आदि सभी ठीक होते हैं .
अगर रक्तपित्त की बीमारी हो तो 10 gram आंवले का पावडर और 5 gram हल्दी मिला लें . इसे एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें .
इसके अतिरिक्त आंवला और नीमपत्र मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें . इसका काढ़ा सवेरे शाम पीने से कुष्ट रोग में भी लाभ होता है और रक्त शुद्ध हो जाता है .
कितने अधिक लाभ हैं इसके? है न ये अमृत फल!
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