घृतकुमारी का पौधा हमारे जीवन के लिए वरदान है . त्वचा पर झाइयाँ , झुर्रियां पड़ जाएँ तो इसके गूदे की मालिश करने से त्वचा पर चमक आ जाती है . त्वचा जल जाए तो इसके गूदे से ज्यादा बढ़िया इलाज हो ही नहीं सकता . जलन तो तुरंत ही समाप्त हो जायेगी . बहुत जल्दी recovery हो जाएगी और निशान तो पड़ेगा ही नहीं . अगर त्वचा पर कोई पुराना निशान हो या त्वचा सख्त हो गई हो तो इसके गूदे और शहद को उस पर लगाकर तीन चार घंटे के लिए छोड़ दो और फिर धो दो . अगर गठिया (arthritis) की बीमारी है , तो इसके गूदे को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करो और इसका गूदा गर्म करके बांधलो . अगर साथ ही थोडा गूदा खाली पेट खा लिया जाए तो सोने पर सुहागा होगा
अगर पाचन ठीक तरह से नहीं हो रहा या लीवर खराब है तो इसे सब्जी या लड्डू बनाकर खाएं ; या फिर इसका गूदा खाली पेट खा लो . E S R ज्यादा है तब भी यह बहुत मददगार है . इसके एक लिटर गूदे में पचास ग्राम काला नमक डालो और दस ग्राम काली मिर्च . फिर 60 ml निम्बू का रस मिलाकर कांच के मर्तबान में रखकर दस-पन्द्रह दिन धूप में रखो . यह स्वादिष्ट गूदा एक चम्मच सवेरे शाम लेते रहने से liver ठीक रहता है .शुगर की बीमारी में इसका गूदा लेते रहने से फायदा होता है . इसी से कुमारीआसव बनाया जाता है . यह पेट के लिए लाभदायक है. ulcer या कब्ज़ होने पर इसके रस में एरंड का तेल डालकर ले लें
इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढती है . हर तरह की सूजन में इसका लेप फायदा करता है. इसको नियमित रूप से लेने पर रक्तअल्पता (anemia) की बीमारी ठीक होती है . इसके गूदे को खाने से शरीर के हारमोन भी संतुलित रहते हैं . यदि पीरियड के दौरान अधिक bleeding हो तो प्रात:काल 20 ग्राम गूदे में 3 ग्राम गेरू का पावडर मिलाकर ले लो . छोटे से बच्चे को motion नहीं आ रहा हो तो इसके गूदे में हींग भूनकर मिला लो और बच्चे की नाभि के आसपास लगा दो . यदि पेट में दर्द या अफारा हो तो इसका बीस ग्राम गूदा ले सकते हैं .
इसको प्रयोग करने से कैंसर में भी लाभ देखा गया है .खांसी में इसका टुकड़ा लेकर गर्म करें , फिर उसपर काली मिर्च और काला नमक लगाकर खाएं . स्तन में गाँठ होने पर इसको एक तरफ से छीलकर गर्म करके बाँध लें . कमर दर्द , slip disc या sciatica की परेशानी हो तो इसका गूदा आटे में गूंधकर रोटी खाओ . इसका गूदा लेने सेबच्चों की allergy भी ठीक हो जाती है.
बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हों तो भुने काले तिल , गुड और घृतकुमारी को मिलाकर लड्डू बनायें और बच्चों को खिलाएं . ये लड्डू prostrate gland बढ़ने पर भी लिए जा सकते हैं .
खुजली या शीत पित्त होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें.
सर्दी , जुकाम हो या food poisoning हो जाए ; किसी प्रकार की एलर्जी हो या लीवर की समस्या हो, यह सभी में मदद करता है. यह हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं की वृद्धि करता है. इसमें ऐसा घी है, जो हमें हमेशा कुमार या कुमारी रखता है. तभी तो इसका नाम घृतकुमारी है !
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