आप जानते हैं न कि धतूरा शिवजी का प्रिय पौधा है. वास्तव में यह है ही इतना गुणवाला !
कानों की पीड़ा के लिए ,पत्तों का रस 100 ग्राम 25 ग्राम लहसुन 10 ग्राम नीम के पत्ते 50 ग्राम सरसों के तेल में धीमी आंच पर पकाएं . जब केवल तेल रह जाए, तो छानकर शीशी में भर लें . कान में दर्द हो तो एक दो बूँद टपका दें .
दमा या साँस की बीमारी होने पर, इसकी सूखी पत्तियां व फल बराबर मात्रा में लें . फलों को कुचल लें. अब दोनों को मिलाकर मिटटी की हंडिया में जला लें. इस राख या भस्म को एक चौथाई ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटा जाए, तो आशातीत सफलता मिलती है .
धूम्रपान की शुरुआत शायद उपचार के रूप में हुई होगी ; क्योंकि धतूरे के पत्तों की चिलम लेने से दमा का दौरा एकदम शांत होता है.
धूम्रपान की शुरुआत शायद उपचार के रूप में हुई होगी ; क्योंकि धतूरे के पत्तों की चिलम लेने से दमा का दौरा एकदम शांत होता है.
जोड़ों में दर्द या सूजन हो तो इसके पत्ते पर तेल लगाकर बांधें . स्तन में गांठ होने पर भी इसका पत्ता बाँध सकते हैं .
इसके बीज का तेल सांप के काटने पर और अन्य जतुओं के काटने पर इस्तेमाल होता है .
पैर के तलुओं पर इसका तेल मलने से नामर्दी का भी इलाज़ किया जाता है.
सबसे आश्चर्यजनक बात है की इसकी जड़ को कमर में बाँध लेने भर से गर्भपात की समस्या खत्म हो जाती है
इसमें कोई संदेह नहीं कि धतूरा शिवजी का प्रिय पौधा है!
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