Tuesday, August 30, 2011

धतूरा : शिवजी का प्रिय पौधा !(prickly poppy)



 आप जानते हैं न कि धतूरा शिवजी का प्रिय  पौधा है.    वास्तव में यह है ही इतना गुणवाला !                                              
कानों की पीड़ा के लिए ,पत्तों का रस 100 ग्राम 25 ग्राम लहसुन 10 ग्राम नीम के पत्ते  50 ग्राम सरसों के तेल में धीमी आंच पर पकाएं . जब केवल तेल रह जाए, तो छानकर शीशी में भर लें . कान में दर्द हो तो एक दो बूँद टपका दें .
 दमा या साँस की बीमारी होने पर, इसकी सूखी पत्तियां व फल बराबर मात्रा में लें . फलों को कुचल लें. अब दोनों को मिलाकर मिटटी की हंडिया में जला लें. इस राख या भस्म को एक चौथाई ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटा जाए, तो आशातीत सफलता मिलती है .
                                              धूम्रपान की शुरुआत शायद उपचार के रूप में हुई होगी ; क्योंकि धतूरे के पत्तों की चिलम लेने से दमा का दौरा एकदम शांत होता है. 
जोड़ों में दर्द या सूजन हो तो इसके पत्ते पर तेल लगाकर बांधें . स्तन में गांठ होने पर भी इसका पत्ता बाँध सकते हैं .
                              इसके बीज का तेल सांप के काटने पर और अन्य जतुओं के काटने पर इस्तेमाल होता है . 
पैर के तलुओं पर इसका तेल मलने से नामर्दी का भी इलाज़ किया जाता है. 
सबसे आश्चर्यजनक बात है की इसकी जड़ को कमर में बाँध लेने भर से गर्भपात की समस्या खत्म हो जाती है
            इसमें कोई संदेह नहीं कि धतूरा शिवजी का प्रिय पौधा है!








Sunday, August 28, 2011

yellow berried nightshade (कंटकारी)




यह पौधा कोई उगाना नहीं चाहता , यूं ही उग जाता है . यह कांटेदार जामुनी फूल वाला पौधा बहुत फायदेमंद है . खासकर फेफड़े और गले के रोगों में तो , इसका जवाब ही नहीं . इस पूरे सूखे हुए पौधे को तीन या चार ग्राम के करीब लेकर दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें . जब रह जाए एक चौथाई तो छानकर पी लें . यह सवेरे खाली पेट लें . इससे तुरंत खांसी में फायदा होता है . च्यवनप्राश में भी इसे डाला जाता है . अगर दमा या एलर्जी हो तो इस पौधे का ताज़ा रस एक या दो ग्राम लें और शहद में मिलाकर चाटें .
                                      जाड में दर्द हो तो इसका रस रुई में लगाकर जाड के नीचे रखें . इसको पानी में उबालकर उस पानी के कुल्ले करें . epilepsy या migraine में इसका ताज़ा रस दो दो बूँद नाक में टपकायें . यह सवेरे खाली पेट करना चाहिए . दोनों बीमारियाँ बिलकुल ठीक हो जाती हैं .
                                       गंजेपन में या बालों में रूसी हो तब इसका रस बालों की जड़ों में लगाएँ . पेशाब रुक रुककर आता हो तो सूखे पौधे को पांच ग्राम लें और चार सौ ग्राम पानी में उबालें . जब एक चौथाई रह जाए तो खाली पेट पी लें . लीवर में सूजन हो तब भी यही काढ़ा सवेरे शाम लें .
     गर्भावस्था में उलटी आती हों , जी मिचलाता हो या फिर बार बार abortion होने की समस्या हो तो , इसे सूखा पांच छ: ग्राम लेकर उसमें पांच छ: मुनक्का मिलाएं . इसे चार सौ ग्राम पानी में पकाएं . एक चौथाई रहने पर खाली पेट पी लें . और अगर pregnancy नहीं हो पा रही , तो इसकी पांच ग्राम जड़ को चार सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें . इसे period के तीन दिन पहले से शुरू करें ,और लगातार आठ दिन तक लें .
                       खाली जगहों पर बिना उगाये ये बेकार सा दिखने वाला पौधा कितना गुणकारी है !







Thursday, August 25, 2011

घृतकुमारी (aloe vera)



घृतकुमारी का पौधा हमारे जीवन के लिए वरदान है . त्वचा पर झाइयाँ , झुर्रियां पड़ जाएँ तो इसके गूदे की मालिश करने से त्वचा पर चमक आ जाती है . त्वचा जल जाए तो इसके गूदे से ज्यादा बढ़िया इलाज हो ही नहीं सकता . जलन तो तुरंत ही समाप्त हो जायेगी . बहुत जल्दी recovery हो जाएगी और निशान तो पड़ेगा ही नहीं . अगर त्वचा पर कोई पुराना निशान हो या त्वचा सख्त हो गई हो तो इसके गूदे और शहद को उस पर लगाकर तीन चार घंटे के लिए छोड़ दो और फिर धो दो . अगर गठिया (arthritis) की बीमारी है , तो इसके गूदे को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करो और इसका गूदा गर्म करके बांधलो . अगर साथ ही थोडा गूदा खाली पेट खा लिया जाए तो सोने पर सुहागा होगा 
   अगर पाचन ठीक तरह से नहीं हो रहा या लीवर खराब है तो इसे सब्जी या लड्डू बनाकर खाएं ; या फिर इसका गूदा खाली पेट खा लो . E S R ज्यादा है तब भी यह बहुत मददगार है . इसके एक लिटर गूदे में पचास ग्राम काला नमक डालो और दस ग्राम काली मिर्च . फिर 60 ml निम्बू का रस मिलाकर कांच के  मर्तबान में रखकर दस-पन्द्रह दिन धूप में रखो . यह स्वादिष्ट गूदा एक चम्मच सवेरे शाम लेते रहने से liver ठीक रहता है .शुगर की बीमारी में इसका गूदा लेते रहने से फायदा होता है . इसी से कुमारीआसव  बनाया जाता है . यह पेट के लिए लाभदायक है. ulcer या कब्ज़ होने पर इसके रस में एरंड का तेल डालकर ले लें
                              सिरदर्द होने पर माथे पर इसका लेप कर लो . अगर माईग्रेन की समस्या है तो साथ में मेधावटी भी सवेरे शाम ले लो . इसे खाने से और सर और माथे पर लेप करने से आँखों की रोशनी भी बढ़ती है . ऑंखें मूँद कर इसके गूदे को रूई में लगाकर एक दो घंटे के लिए पलकों पर रखकर पट्टी बांध लो . इससे आँख के सभी रोग दूर होंगे और आँखों की रोशनी भी बढ़ेगी . बाल सफ़ेद हो रहे हैं तो इसका गूदा खाइए और साथ में सिर पर लेप कीजिये-- इसका गूदा ,भृंगराज ,दही और मुल्तानी मिटटी को मिलाकर. बस फिर चमत्कार देखिये और प्रसन्न हो जाइए  गंजे भी इसके गूदे को सिर पर नियमित रूप से लगाएँ , तो निश्चित रूप से फायदा होगा .
                        इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढती है . हर तरह की सूजन में इसका लेप फायदा करता है. इसको नियमित रूप से लेने पर रक्तअल्पता (anemia) की बीमारी ठीक होती है . इसके गूदे को खाने से शरीर के हारमोन भी संतुलित रहते हैं . यदि पीरियड के दौरान अधिक bleeding हो तो प्रात:काल 20 ग्राम गूदे में 3 ग्राम गेरू का पावडर मिलाकर ले लो . छोटे से बच्चे को motion नहीं आ रहा हो तो इसके गूदे में हींग भूनकर मिला लो और बच्चे की नाभि के आसपास लगा दो . यदि पेट में दर्द या अफारा हो तो इसका बीस ग्राम गूदा ले सकते हैं .
                                 इसको प्रयोग करने से कैंसर में भी लाभ देखा गया है .खांसी में इसका टुकड़ा लेकर गर्म करें , फिर उसपर काली मिर्च और काला नमक लगाकर खाएं . स्तन में गाँठ होने पर इसको एक तरफ से छीलकर गर्म करके बाँध लें . कमर दर्द , slip disc या sciatica की परेशानी हो तो इसका गूदा आटे में गूंधकर रोटी खाओ . इसका गूदा लेने सेबच्चों की allergy भी ठीक हो जाती है. 
                         बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हों तो भुने काले तिल , गुड और घृतकुमारी को मिलाकर लड्डू बनायें और बच्चों को खिलाएं . ये लड्डू prostrate gland बढ़ने पर भी लिए जा सकते हैं .
                     खुजली या शीत पित्त होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें. 
                       सर्दी , जुकाम हो या food poisoning हो जाए ; किसी प्रकार की एलर्जी हो या लीवर की समस्या हो, यह सभी में मदद करता है. यह हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं की वृद्धि करता है. इसमें ऐसा घी है, जो हमें हमेशा कुमार या कुमारी रखता है. तभी तो इसका नाम घृतकुमारी है !


                                               
              


Wednesday, August 17, 2011

एक आह्वान गीत

मैंने यह आह्वान गीत सुना . प्राणों में शक्ति का संचार कर देता है :



धरती की शान,
तू है मनु की संतान 
तेरी मुट्ठियों में बंद तूफ़ान है रे 
मनुष्य तू बड़ा महान है रे 

तू जो चाहे पर्वत पहाड़ों को तोड़ दे 
तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे 
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे  
तू जो चाहे धरती से अम्बर को जोड़ दे 
तू है शक्तिमान 
पवन सा गतिमान 
तेरी नभ से भी ऊंची उड़ान है रे 
मनुष्य तू बड़ा महान है रे 

धरती सा धैर्य तुझमें सूरज सा तेज 
तू जो चाहे तो तूफां को थाम ले 
पापों का वेग रुके, पशुता का शीश झुके 
तू जो अगर हिम्मत से काम ले 
अमर तेरे प्राण 
मिला तुझको वरदान 
तेरी वाणी में युग का आह्वान है रे 
मनुष्य तू बड़ा महान है रे 



प्यारा सा भजन

ये भजन मुझे बहुत प्रिय है....


सांसों का क्या भरोसा       
रुक जाएँ  कब कहाँ पर 
प्रभु का तू नाम जप ले 
यही आसरा यहाँ पर 
     मत हँस कभी किसी पे 
     न सता कभी किसी को 
     क्या जाने कल को तेरा
      क्या हाल हो यहाँ पर
जो हंस जैसा जीवन 
चाहता है ए बशर तू 
चुन ले गुणों के मोती 
बिखरे जहाँ जहाँ पर 
         कर कर्म इतना ऊंचा 
         कि बुलंदियों को छू ले 
         इज़्ज़त से नाम तेरा
         आ जाए हर ज़ुबां पर     

Saturday, August 13, 2011

आपका दोस्त अरंड (castor) !

                                                                                                               अरंड का पेड़  बहुत लाभदायक  है.                                                           हाथ पैर में सूजन हो या घुटनों में दर्द , बस इसका एक पत्ता गरम करके रात को बाँध लो. अगर पत्ते पर अरंड का तेल लगा लिया जाए तो और भी बेहतर है . हर तरह  का दर्द   सूजन इसका पत्ता सोख  लेता है . आँख  में कुछ  पड़ जाए  तो एक दो  बूँद  आँख में डालने पर वह आंसुओं के साथ बाहर आ जाएगा . यह निरापद है.  पत्तों  को पीसकर  आँख पर बांधलें . पलकों पर लुगदी की टिक्की रखकर पट्टी बाँध लें . आँख की लालिमा व जलन समाप्त हो जायेगी .
                    स्तन  कैंसर में  अरंड  के तेल  की मालिश करने से फायदा होता है. स्तन  की गाँठ पर इसका पत्ता बांधें  . एक पत्ता 200 ग्राम  पानी में उबालें जब  50 ग्राम बचे  तो पीयें . यह सवेरे खाली पेट लें. इससे स्तन कैंसर ठीक होता है. त्वचा  फटे  या त्वचा पर काले धब्बे हों, तो  इसके तेल की मालिश करने से त्वचा बिलकुल ठीक हो जाती है
गर्भिणी  स्त्री या नव  प्रसूता  के स्तनों  पर इसकी  गिरी को पीसकर लेप किया जाए तो  गांठें नहीं पड़ती और दूध भी अधिक आता है.Nipple अगर crack हो जाए तो इसका तेल लगा लेना सर्वोत्तम इलाज है . गर्भिणी स्त्री को अगर पीलिया हो जाए तो इसके 5 ग्राम पत्तों का रस  या  काढ़ा ले  सकती है . वैसे भी पीलिया में पांच दिन तक इसके पत्तों का रस आधा कप खाली पेट ले लिया जाए तो पीलिया बिलकुल ठीक होता है .
                              पेट  दर्द में  पानी  में 2 चम्मच  तेल  और  नीम्बू लिया जा सकता है .पेट दर्द तो खत्म होगा ही ,साथ ही यह आँतों  को शक्ति  भी देता है . दूध में मुनक्का उबालकर  और उसमें अरंडी का  तेल एक चम्मच डालकर सोने से पहले लिया जाये तो कब्ज़ भी नहीं रहता और आंतें भी मज़बूत होती हैं .
                                     amoebisis  में भी इसके तेल का प्रतिदिन सेवन किया जाए तो लाभ होता है . appendix  की परेशानी हो या सूजन हो तो एक या दो चम्मच तेल रात को दूध में डालकर पीयें . पेट में  कीड़े हों तो थोडा गुड खाकर बीस मिनट बाद इसके पत्तों का 5 ग्राम रस पी लें . pin worms  हों तो पत्तों का रस anus पर लगायें .  ascities  (जलोदर) की बीमारी में   पेट   फूल जाता है. इसमें अरंड के पंचांग (पाँचों अंग ) बीस ग्राम लेकर पचास ग्राम गोमूत्र में पकाएं . जब आधा रह जाए छानकर सवेरे खाली पेट पिएँ.
                                                      मोटापे में पेट की चर्बी घटानी हो तो अरंड की बीस ग्राम जड़ दो सौ ग्राम पानी में पकाएं . जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें. जादू का सा असर होगा ;लेकिन करना नियमित रूप से होगा. मासिक धर्म की पीड़ा में इसके एक पत्ते को दो सौ ग्राम पानी में पकाएँ. जब रह जाए पचास ग्राम; तो पी लें. उबलते समय अजवायन भी डाल दें तो अच्छा रहेगा . पेट पर इसका पत्ता गर्म करके बाँध लें , तो  दर्द बिलकुल ही समाप्त हो जाएगा 
           आपको हैरानी होगी कि जो bedsore किसी भी तरह ठीक नहीं होने में आते , वो इसका तेल लगाते रहने से कितनी जल्दी अच्छे हो जाते हैं. कितना अद्भुत है यह अरंड का वृक्ष ! अपने आस पास लगाइए न इसे ! आपसे पक्की दोस्ती निभाएगा .  

Tuesday, August 9, 2011

तनिक मुस्कुराओ ना !

इतनी चिंता कि भाल पर पड़े हैं बल?
मुस्कुराओ कि गाल पर पड़े डिम्पल 
मुस्कुराने से प्यार बढ़ता है 
थोडा हंसने से वैर घटता  है
दाम इसके नहीं है थोड़े भी
शान इसकी है पर अनोखी ही 
देने वाले का कुछ नहीं घटता 
मुस्कुराने से मान है बढ़ता
होगी मुस्कान मात्र इक पल की
बन उठेगी ये याद जीवन की
घर में खुशहाली लेके आएगी 
खुशियाँ सर्वत्र ये बिछाएगी 
ना तो ये मोल कहीं मिलती है
ना उधारी ही इसकी चलती है
ये सहेली है जिंदगी भर की
साथ देगी ये उम्र भर यूं ही
जिसने मुस्कान बांटी न हो कभी 
उसको दे डालो ये अभी की अभी
शायद उसको बहुत ज़रूरत है
असली मुस्कान की ये कीमत है
अब हंसी को ज़रा फैलाओ ना
मन मेरे ; तनिक मुस्कुराओ ना !



the paradox

I read some beautiful sentences; small sentences with deeper meaning hidden into them. Here are some of them....
We plan more, but accomplish less .
We have conquered outer space, but not inner space .
We have added years to life, but not life to years .
We have multiplied our possessions, but reduced our values .
We have more medicines, but less health
We have more conveniences, but even then we have less time .
We have more degrees, but less senses.
              I think this is the paradox of our age .

I should be a good listener.



I was thinking about myself . I felt, I am not a good listener. I think I make assumptions as to what the other person is going to speak even before listening to him. This is not correct . Sometimes I am too busy to listen to the other person . I do not know if this is wrong or right. Sometimes I am too tired. So my brain is just reluctant to grasp anything more . With a saturated brain I am just not in a mood to listen. Sometimes I have no interest in other person's topic. So I just can not listen to that person very attentively . Sometimes it so happens that the person before me is saying something ; and my mind is somewhere else. This is totally my fault. It should not happen. I should concentrate completely on what the other person is saying. But once in a while I find such a person, who talks continuously and does not give me a single chance to speak ; then believe me or not, I do not really want to be a good listener at that time!

Saturday, August 6, 2011

आंवला : अमृत फल

आंवला बहुत अधिक उपयोगी है . 
त्रिफला के रूप में तो सभी इसे ले सकते हैं .त्रिफला में इसे हरड और बहेड़ा के साथ मिलाया जाता है . यही तीन फल हमारे शरीर को बहुत सी बीमारियों से बचाते हैं . 
यदि आंवले के  ताज़े रस की दो दो बूँद आँखों में ड़ाल ली जाएँ तो नेत्रज्योति बढती है . इससे आँखों की हर तरह की परेशानी भी दूर  होती है . अगर ताज़ा आंवला न मिले तो मिट्टी के बर्तन में आंवले की छाया में सुखाई हुई 2-3 कलियाँ 25 ml पानी में भिगो दें . इस पानी को शीशी में भरकर रख लें . इस पानी की भी दो -दो बूँद आँखों में ड़ाल सकते हैं . इसकी 5-7 कलियाँ 50-60 ml पानी में रात को भिगो दें . सवेरे यह पानी छानकर इससे eyewash करें . एक छोटे  बर्तन में इसे डालकर आँखें खोलें और बंद करें .  आँखों की ज्योति बढाने के लिए दो तीन चम्मच रस प्रात:काल लें या हर रोज़ आधा या एक चम्मच आंवला पावडर पानी के साथ ले सकते हैं . 
                                                    बालों के लिए आंवला, शिकाकाई रीठा और भृंगराज मिलाकर , लोहे की कढ़ाई में पकाकर बालों में लेप करें . कुछ घंटे बाद धो दें . तो बाल बहुत अच्छे हो जाते हैं .इसके बीज की गिरी को पीस कर बालों की जड़ों में लगाया जाए तो बाल मजबूत हो जाते हैं .  
नकसीर की समस्या के लिए सवेरे दो चम्मच  रस खाली पेट ले लिया जाए , तो बहुत आराम मिलता है . 
पीलिया हो तब भी आंवले का रस बहुत लाभदायक है . हिचकी के लिए  पीपली+ आंवला+ सोंठ बराबर मात्रा में मिला लें. 
सवेरे खाली पेट तीन ग्राम और शाम को भी तीन ग्राम लेने से हिचकियों से छुटकारा मिल जाता है . 
                        Acidity की समस्या में इसका पावडर 5 ग्राम रात को भिगो दें .सवेरे छानकर मिश्री मिलाकर पीयें .  पसीने से दुर्गन्ध आती हो तो सवेरे शाम 3-3 ग्राम आंवले के पावडर का सेवन करें . इसके फलों का रस कांच की शीशी में भरकर धूप लगायें . यह खराब नहीं होगा . फिर 15 ml एक गिलास पानी में मिलाकर, मिश्री मिलाकर पीयें . इससे गर्मी कम लगेगी और उल्टियाँ भी ठीक होंगी . 
                                              नियमित रूप से आंवला लेने से बाल काले रहते हैं और झड़ने भी बंद हो जाते हैं. 
 पसीने अधिक आने पर भी इसका रस या पाउडर पांच ग्राम तक लेने से फायदा होता है . 
उलटी होने पर भी इसका रस लेना अच्छा रहता है , या फिर इसका पावडर शहद के साथ लें. 
बवासीर में भी इसका रस लाभदायक रहता है . 
बहुत गर्मी लगती हो तब भी इसका रस नियमित रूप से लें . पेट में अल्सर या colitis की समस्या हो या फिर दस्त लगे हों , तो इसका रस या पावडर लाभ देता है . 
पेट साफ़ न हो रहा हो तो इसे नियमित रूप से लेना अच्छा रहता है . 
इससे अनीमिया भी ठीक होता है .
मूत्र विकारों में इसके तने की छाल व पत्तियां 10 ग्राम लें . इन्हें 400 ग्राम पानी में पकाएं . जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें . यह काढ़ा सुबह शाम लेना है .
                                               यह रसायन के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है . अर्थात , इसे 40 दिन तक नियमपूर्वक लिया जाए , पूरा शरीर नये जैसा हो जाता है . मदन मोहन मालवीय इसका रसायन के रूप में प्रयोग किया करते थे . अगर  आंवले के पावडर को 21 बार आंवले रस में भिगोकर, सुखाकर पावडर बनाया जाए तो इसे आमलिकी रसायन कहते हैं .इसकी बहुत थोड़ी सी मात्रा लेना आँखों के लिए बहुत लाभकारी  होता  है . इससे खून की कमी , त्वचा के रोग , गर्मी के रोग, white discharge की समस्या आदि  सभी ठीक होते हैं . 
अगर रक्तपित्त की बीमारी हो तो 10 gram आंवले का पावडर और 5 gram हल्दी मिला लें . इसे एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें . 
इसके अतिरिक्त आंवला और नीमपत्र मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें . इसका काढ़ा सवेरे शाम पीने से कुष्ट रोग में भी लाभ होता है और रक्त शुद्ध हो जाता है .  
कितने अधिक लाभ हैं इसके? है न ये अमृत फल!   

Friday, August 5, 2011

बोझिल बचपन

" हर रोज़ विद्यालय में लेट आते हो ; और मुंह लटकाकर खड़े हो जाते हो . शर्म नहीं आती ?" मैं राहुल के ऊपर बरस रही थी और वह मुंह नीचा किये चुपचाप खड़ा था . लगभग प्रतिदिन वह विद्यालय में देरी से पहुँच रहा था . मैं उसकी कक्षाध्यापिका थी . ज्योंही उपस्थिति पंजिका खोलकर उपस्थिति लगाने को होती ; वह टपक जाता और मेरा पारा सातवें आसमान पर पहुँच जाता . 
                 इस बार तो हद ही हो गई . सात दिन से वह विद्यालय में नहीं आ रहा था . कोई खोज खबर भी नहीं थी . वह पढने में साधारण स्तर का विद्यार्थी था . कोई खास शरारती भी नहीं था . पर अनुशासन भी कोई चीज़ होती है . यह क्या की हर रोज़ या तो विद्यालय में देर से आएगा या फिर सात दिन गायब ही हो जाएगा . कोई फोन नंबर भी नहीं दिया हुआ था राहुल ने . प्रवेश पंजिका में पता ढूँढने की कोशिश की . मालूम हुआ की वहाँ से उसका परिवार कहीं और जा चुका था. बच्चों ने बताया की उसने उन्हें कभी अपना घर नहीं दिखाया . जब देखो टालता ही रहा . 
              अब तो मुझे बहुत क्रोध आया . आखिर ये लड़का कर क्या रहा है . मन में शंका हुई की कोई गलत काम तो नहीं कर रहा . यही चौदह पन्द्रह वर्ष की उम्र ही तो होती है , जब बच्चे भटक जाया करते हैं . प्रिंसिपल के ऑफिस में जाकर मैंने उन्हें सब कुछ बताया . उन्होंने सलाह दी की कुछ समय इंतज़ार कर लेते हैं ; फिर भी नहीं आया तो नाम काट देंगे .
           शनिवार को मेरा चतुर्थ कालांश खाली हुआ करता है . मैं अभ्यास पुस्तिकाएं जांच रही थी . अचानक राहुल ने स्टाफ रूम में आकर मेरे पैर छुए . मैं एकदम हैरान हो गई . मुझे गुस्सा भी बहुत आया . मैंने उसे गुस्से में खूब डांटा. वह कुछ देर तो चुपचाप खड़ा रहा फिर उसकी आँखों से टप टप आंसू गिरने लगे . उसके आंसू देखकर मेरा अध्यापिका का रौद्र स्वरूप कुछ मुलायम पड़ा . मैंने उसे पुचकारा और पूछा की वह क्यों नहीं आ रहा था . 
         कुछ क्षण बाद जब उसके आंसू थमे , तो वह बोला ,"मैडम , मेरे पिताजी को अस्पताल में ले जाना पड़ा . इसलिए नहीं आ सका ."
  "क्यों और कोई नहीं है घर में " मैंने पूछा 
" नहीं मैडम . मैं और मेरे पिता ; बस हम दो ही हैं "
" माँ कहाँ है ?" मैंने पूछा 
" जी , वे नहीं हैं . भगवान् के पास चली गई "
"ओह !" मुझे बहुत दु:ख हुआ जानकर की राहुल की माँ नहीं है .
"अब पिताजी कैसे हैं ?"
"अब पिताजी ठीक है . मैं उन्हें घर पर ले आया हूँ "
"तुम्हारे घर का भी कुछ अता पता नहीं . यहाँ तक की किसी बच्चे ने तुम्हारा घर ही नहीं देखा . रोज़ लेट आते हो . क्या चक्कर है ?"
मुंह नीचा करके बहुत ही मंद स्वर में वह बोला ," मेरे पिताजी को सांस की बीमारी है . इसलिए वे ज्यादा रिक्शा नहीं चला पाते. बहुत कम आमदनी होती है. इसीलिए मैं सवेरे सवेरे कारें साफ़ करके कुछ रूपये कमा लेता हूँ .  इस कारण ही अक्सर लेट हो जाता हूँ . परन्तु मैडम मैं किसी बच्चे को अपने घर की गरीबी दिखाना नहीं चाहता . इसलिए किसी बच्चे को भी आज तक अपना घर नहीं दिखाया ." वह चुप हो गया था .
 मैं भी चुप थी . कितना बोझिल है , इस बच्चे का बचपन !
थोड़ी देर बाद मैंने कहा ," बेटा शाबाश ! तुम पर गर्व है मुझे . परन्तु ये सब बातें पहले ही बता देनी चाहिए थी ."
वह चुप खड़ा रहा .
मैंने फिर कहा ,"तुम बहुत अच्छे और बहादुर बच्चे हो . पढाई  में पूरा मन लगाओ . कभी भी किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो मुझसे कहना, झिझकना नहीं ."
यह सुनकर उसके मुंह पर फीकी सी मुस्कान आ गई . उसने कहा ,"मैडम !  मेरा नाम मत काटिएगा. मैं कल से विद्यालय में आ जाऊंगा ."
" बिलकुल भी नहीं बेटे ! तुम्हारा नाम कैसे काट सकती हूँ ? तुम कल से नियमित रूप से आना शुरू करो . पिछला काम पूरा करने के लिए एक बच्चे की कापी दिलवा दूंगी .   

उसे वापिस जाते हुए मैं देखती रही . सोच रही थी ; बचपन पर कितना अधिक बोझ है !

B +




One should have positive attitude in life . Attitude can always be changed. If we have our nears and dears with positive attitude, then slowly we also start developing positive attitude towards life. When we think positively , good  hormones start flowing in our body system. These hormones help us in fighting from various diseases, and keeping us healthy. We should develop positive self talking. That also helps in thinking positively
            We can  try seeking feedback from others regarding our attitude.This can help us in big way. We should be introspective sometimes. We can think ,"Why did I behave the way I did". this will help us in analysing  ourselves. We should be critical to our self. Sometimes we should analyse whether our response in a given situation was appropriate.
             If we delay our response when confronted with unwanted situation, that can be of great help. Then our negative emotions like anger, jealousy, ego, fear will be somewhat  in more mild form and thus less harmful for our body. Taking deep breaths every now and then can also be of great help. We should also learn to have patience. We can change our attitude only if we are patient. Because changing our attitude takes time. Last but not the least, we should learn not to blame others. We should take personal responsibility to change and improve our attitude and B+.

learning is forever !

There is no end for learning. In fact life itself is learning. The moment we think we have learnt enough, that is the beginning of our decline. There is always a great need to update our knowledge and skills. One should learn from every situation and from every person. We should always retain our nascent curiosity to learn and discover new things in life.
        Being a teacher I always used to think that I know more than students. Gradually I learnt that sometimes a particular student may be knowing more than me. I became less rigid then. Rigidity hinders our learning capability. We should be open to accept any new idea from anyone! In my personal opinion I think every living and non living thing around us can become our teacher; if only we are a curious student.  

Wednesday, August 3, 2011

एक अनुभूत नुस्खा !

२०० ग्राम  अदरक का रस , २०० ग्राम लहसुन का रस और २०० ग्राम नीम्बू का रस मिलाकर मंदी आंच पर रखकर जब आधा रह जाए तो उसे ठंडा कर लें . फिर  ३०० ग्राम शहद इसमें मिलाकर रख रख दें . रोज़ सुबह खाली पेट इसकी केवल दो या तीन चम्मच ले लें . इसके बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं . इससे कोलेस्ट्रोल जमा नहीं होने पाता . और अगर जमा हो भी गया हो तो घुल जाता है . ये अनुभव एक बहुत पुराने वैद्य ने बताया . उन्होंने कहा इससे बहुत से दिल के मरीजों को लाभ हुआ है .