गर्भाशय में संक्रमण हो या pregnancy न होने की समस्या हो ; कुछ पौधों की मदद से हम इन समस्याओं का निदान पा सकते हैं ।
महानिम्ब (बकायन) ; किसी भी प्रकार का विकार अगर uterus में है तो इसके पत्तों को धोकर उनका रस 5-5 ग्राम की मात्र में प्रात: सायं लें । इससे सभी infections ,मासिक स्राव का अवरोध , अति रक्त स्राव ,अनियमितता आदि समस्याओं से छुटकारा मिलेगा । इसकी पत्तियां पानी में उबालकर , फिटकरी मिलाकर , उस पानी से अच्छी तरह से धोने पर infections खत्म होते हैं । इसके पत्ते , बीज और छाल को मिलाकर , 5 ग्राम की मात्रा में लें । इसका काढ़ा बनाकर सुबह शाम पीने से भी infections खत्म होते हैं ।
कायाकल्प वटी लेने से भी infections समाप्त हो जाते हैं ।
कण्टकारी (कटैली) ; इसके बैंगनी रंग के फूल होते हैं । अगर pregnancy न हो पा रही हो तो सफ़ेद फूलों वाली कंटकारी का पौधा इस्तेमाल करना बेहतर रहता है । वैसे बैंगनी फूलों वाली कंटकारी भी ठीक रहती है । periods आने से तीन पहले इसकी 5 ग्राम जड़ का काढ़ा खाली पेट लेना है और यह periods आने के 5 दिन बाद तक लेते रहना है । यह प्रयोग बिलकुल निरापद है ।
pregnancy होने के बाद उल्टी , खाँसी , जी मिचलाना , भूख न लगना आदि कई समस्याएँ हैं । तब इसके 5 ग्राम पंचांग ( गीला या सूखा ) को लेकर उसमे 5--6 मुनक्का मिलकर काढ़ा बनाएं । इसे पीने से इन समस्याओं से तो छुटकारा मिलेगा ही साथ में गर्भ की रक्षा भी होगी ।
धतूरा ; बार बार abortion हो जाता हो तो धतूरे की जड़ को धागे के साथ कमर में बाँध लें । इससे abortion नहीं होगा ।
तुलसी ; संतान सुख के लिए 200 ग्राम तुलसी के बीजों में 500 ग्राम मिश्री मिलकर ; इस मिश्रण को 5-5 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह शाम लें । इससे infertility की समस्या ठीक होती है ।
पुनर्नवा (साठी) ; इस पौधे को शोथाग्नि भी कहते हैं । uterus में सूजन के लिए इसके छाया में सूखे हुए पंचांग के पाउडर को सुबह शाम 5-5 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी या दूध के साथ लें । इससे सूजन और संक्रमण ठीक हो जाएँगे ।
इलायची ; नपुंसकता की समस्या हो तो इलायची + बला के बीज + तुलसी के बीज मिलाकर प्रात:, शाम सेवन करें ।
अगस्त्य ( sesbania) ; Uterus में infections हों ,सूजन हो ,या फिर खुजली हो तो इसकी पत्तियों के रस को रुई में भिगोकर लगाना चाहिए । इससे vaginal infections और swelling भी ठीक होती है । इसके पत्तों में नीम के पत्तों का रस मिलाकर धोने से हर प्रकार के infections खत्म होते हैं ।
कूठ (costus) ; पुरुषों को कमज़ोरी हो तब भी यह लाभदायक है ।
चांगेरी ( indian sorrel) ; अगर Uterus या anus बाहर निकलने की समस्या हो तो , 5-10 ग्राम चांगेरी के पत्ते के रस को छानकर उसमें फिटकरी मिलाकर रुई से अच्छी तरह धोएं । मूलबन्ध लगाकर प्रतिदिन प्राणायाम करें। इससे आशाजनक परिणाम आ सकते हैं ।
अमलतास ( indian sorrel) ; यौन दुर्बलता होने पर अमलतास के फली का 15-20 ग्राम गूदा रात को भिगो दें व सवेरे मिश्री या शहद मिलाकर लें । धातुक्षीणता या दुर्बलता होने पर इसकी फलियों के बीजों को भूनकर , पावडर करके , बराबर मिश्री मिला लें । इसे सवेरे शाम एक -एक ग्राम ले सकते हैं ।
सत्यानाशी (argemone, maxican prickly poppy) ; अगर शक्ति का ह्रास महसूस होता हो तो इसकी जड़ का पावडर मिश्री के साथ लें । नपुंसकता के लिए इसके जड़ के टुकड़े को बड़ के रस की एक भावना (भिगोकर सुखाना) दें । पान के पत्तों के रस की दो भावनाएं दें । फिर चने जितना भाग सुबह शाम दूध के साथ लें ।
दूधी, दूधिया घास,(milk hedge) ; गर्भधारण में समस्या आ रही हो तो इसका पावडर नियमित रूप से लें या इसका काढ़ा बनाकर लें ।
धातकी (woodfordia) ; अगर संतानप्राप्ति न हो पा रही हो तब यह पेड़ लाभदायक है । नील कमल का फूल और धातकी का फूल बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री के साथ कुछ समय लेने से गर्भस्थापन होने में आसानी रहती है |
तेजपत्ता (bay leaves) ; गर्भाशय की शुद्धि के लिए अजवायन +सौंठ +तेजपत्ता उबालकर पिलायें ।
भारंगी ( turk's turban moon) ; Fibroid या cyst खत्म करनी हो तो , 3 ग्राम भारंगी के पंचांग में थोडा तेल मिलाकर लगा लें । हर्पीज़ की बीमारी में पत्ते पीसकर लगा दें और पत्तों का काढ़ा पीयें ।
तिल (sesame ) ; हर्पीज़ की बीमारी में इसके पत्ते पीसकर लगा दें और पत्तों का काढ़ा पीयें ।
बथुआ (chenopodium) ; यौनदुर्बलता हो तो 20 ग्राम बीजों का काढ़ा शहद के साथ लें । या फिर 5 ग्राम बीज सवेरे दूध के साथ लें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; नपुंसकता खत्म करने के लिए 3 प्याज 250 ग्राम दूध में पकाएं । मावा बनने पर देसी घी में भूनें । फिर 3-4 चम्मच शहद मिलाएं और रोज़ दूध के साथ लें ।
पीपल (sacred fig ) ; इसके फल का पावडर लेने से sperm count बढ़ जाता है , गर्भाशय का संक्रमण खत्म होता है । अगर संतान सुख न हो तो भी इसके फल का पावडर लाभ करता है । पीपल पुरुष जाति का हो तो पुराना होने पर इसकी जड़ें नीचे लटक जाती हैं ; इसे इसकी दाढ़ी कहते हैं । अगर संतान न हो रही हो तो इसकी दाढ़ी 1 gm +3gm फल का पावडर लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करें । यह periods शुरू होने के 15 दिन तक लेना है । अगर बेटा चाहिए तो बछड़े वाली गाय का दूध लें और अगर बेटी चाहिए तो बछिया वाली गाय का दूध लें ।
धतूरा (prickly poppy) ; पैर के तलुओं पर इसका तेल मलने से नामर्दी का इलाज़ किया जाता है ।
कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade ) ; अगर pregnancy नहीं हो पा रही , तो इसकी पांच ग्राम जड़ को चार सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें । इसे periods के तीन दिन पहले से शुरू करें ; और लगातार आठ दिन तक लें ।
छुईमुई (touch me not) ; uterus बाहर आता है तो इसकी पत्तियां पीसकर रुई से उस स्थान को धोएँ । Uterus में कोई विकार है तो , इसके एक ग्राम बीज सवेरे खाली पेट लें ।
अपामार्ग , लटजीरा ; अगर uterus में सूजन है तो इसके पत्तों का रस लगायें और इसके पत्तों के काढ़े से धोएं ।
गर्भ धारण नहीं होता तो , periods के शुरू के चार दिनों तक इसकी दस ग्राम जड़ को 200 ग्राम दूध में पकाकर लें . यह खाली पेट लेना है ; केवल पहले, दूसरे और तीसरे महीने तक. फिर अच्छा परिणाम सामने आ सकता है |
पलाश (flame of the forest ) ; फूल का पावडर विषनाशक और पौष्टिक होता है . यह कामोद्दीपक होता है और sexual disorders भी ठीक करता है | इसका पावडर मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच दूध के साथ ले सकते हैं . इससे प्रमेह , white discharge आदि भी ठीक होते है|
संतानहीनता होने पर, इसके बीज के पावडर में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें ।
अपराजिता ; गर्भाशय बाहर आता हो तो इसके पत्ते +चांगेरी घास (खट्टा मीठा) +फिटकरी उबालकर , उस पानी से धोएं। सूजाक या संक्रमण हो तो इसके पत्ते उबालकर धोएं।
कचनार ; कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है । 10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें। इससे सभी तरह की गांठें ऊपरी या भीतर की , कैंसर की गांठ, गर्भाशय की गांठें तो खत्म होती ही हैं । साथ ही हारमोन भी ठीक हो जाते हैं ।
गोखरू ; इसका काढ़ा गर्भाशय के विकारों को ठीक करता है। अगर 10 ग्राम गोखरू के बीज और 2 ग्राम अजवायन मिलाकर काढ़ा पीया जाए तो delivery के बाद गर्भाशय को शुद्ध करता है।
इलायची ; नपुंसकता की समस्या हो तो इलायची + बला के बीज + तुलसी के बीज मिलाकर प्रात:, शाम सेवन करें ।
अगस्त्य ( sesbania) ; Uterus में infections हों ,सूजन हो ,या फिर खुजली हो तो इसकी पत्तियों के रस को रुई में भिगोकर लगाना चाहिए । इससे vaginal infections और swelling भी ठीक होती है । इसके पत्तों में नीम के पत्तों का रस मिलाकर धोने से हर प्रकार के infections खत्म होते हैं ।
कूठ (costus) ; पुरुषों को कमज़ोरी हो तब भी यह लाभदायक है ।
चांगेरी ( indian sorrel) ; अगर Uterus या anus बाहर निकलने की समस्या हो तो , 5-10 ग्राम चांगेरी के पत्ते के रस को छानकर उसमें फिटकरी मिलाकर रुई से अच्छी तरह धोएं । मूलबन्ध लगाकर प्रतिदिन प्राणायाम करें। इससे आशाजनक परिणाम आ सकते हैं ।
अमलतास ( indian sorrel) ; यौन दुर्बलता होने पर अमलतास के फली का 15-20 ग्राम गूदा रात को भिगो दें व सवेरे मिश्री या शहद मिलाकर लें । धातुक्षीणता या दुर्बलता होने पर इसकी फलियों के बीजों को भूनकर , पावडर करके , बराबर मिश्री मिला लें । इसे सवेरे शाम एक -एक ग्राम ले सकते हैं ।
सत्यानाशी (argemone, maxican prickly poppy) ; अगर शक्ति का ह्रास महसूस होता हो तो इसकी जड़ का पावडर मिश्री के साथ लें । नपुंसकता के लिए इसके जड़ के टुकड़े को बड़ के रस की एक भावना (भिगोकर सुखाना) दें । पान के पत्तों के रस की दो भावनाएं दें । फिर चने जितना भाग सुबह शाम दूध के साथ लें ।
दूधी, दूधिया घास,(milk hedge) ; गर्भधारण में समस्या आ रही हो तो इसका पावडर नियमित रूप से लें या इसका काढ़ा बनाकर लें ।
धातकी (woodfordia) ; अगर संतानप्राप्ति न हो पा रही हो तब यह पेड़ लाभदायक है । नील कमल का फूल और धातकी का फूल बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री के साथ कुछ समय लेने से गर्भस्थापन होने में आसानी रहती है |
तेजपत्ता (bay leaves) ; गर्भाशय की शुद्धि के लिए अजवायन +सौंठ +तेजपत्ता उबालकर पिलायें ।
भारंगी ( turk's turban moon) ; Fibroid या cyst खत्म करनी हो तो , 3 ग्राम भारंगी के पंचांग में थोडा तेल मिलाकर लगा लें । हर्पीज़ की बीमारी में पत्ते पीसकर लगा दें और पत्तों का काढ़ा पीयें ।
तिल (sesame ) ; हर्पीज़ की बीमारी में इसके पत्ते पीसकर लगा दें और पत्तों का काढ़ा पीयें ।
बथुआ (chenopodium) ; यौनदुर्बलता हो तो 20 ग्राम बीजों का काढ़ा शहद के साथ लें । या फिर 5 ग्राम बीज सवेरे दूध के साथ लें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; नपुंसकता खत्म करने के लिए 3 प्याज 250 ग्राम दूध में पकाएं । मावा बनने पर देसी घी में भूनें । फिर 3-4 चम्मच शहद मिलाएं और रोज़ दूध के साथ लें ।
पीपल (sacred fig ) ; इसके फल का पावडर लेने से sperm count बढ़ जाता है , गर्भाशय का संक्रमण खत्म होता है । अगर संतान सुख न हो तो भी इसके फल का पावडर लाभ करता है । पीपल पुरुष जाति का हो तो पुराना होने पर इसकी जड़ें नीचे लटक जाती हैं ; इसे इसकी दाढ़ी कहते हैं । अगर संतान न हो रही हो तो इसकी दाढ़ी 1 gm +3gm फल का पावडर लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करें । यह periods शुरू होने के 15 दिन तक लेना है । अगर बेटा चाहिए तो बछड़े वाली गाय का दूध लें और अगर बेटी चाहिए तो बछिया वाली गाय का दूध लें ।
धतूरा (prickly poppy) ; पैर के तलुओं पर इसका तेल मलने से नामर्दी का इलाज़ किया जाता है ।
कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade ) ; अगर pregnancy नहीं हो पा रही , तो इसकी पांच ग्राम जड़ को चार सौ ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें । इसे periods के तीन दिन पहले से शुरू करें ; और लगातार आठ दिन तक लें ।
छुईमुई (touch me not) ; uterus बाहर आता है तो इसकी पत्तियां पीसकर रुई से उस स्थान को धोएँ । Uterus में कोई विकार है तो , इसके एक ग्राम बीज सवेरे खाली पेट लें ।
अपामार्ग , लटजीरा ; अगर uterus में सूजन है तो इसके पत्तों का रस लगायें और इसके पत्तों के काढ़े से धोएं ।
गर्भ धारण नहीं होता तो , periods के शुरू के चार दिनों तक इसकी दस ग्राम जड़ को 200 ग्राम दूध में पकाकर लें . यह खाली पेट लेना है ; केवल पहले, दूसरे और तीसरे महीने तक. फिर अच्छा परिणाम सामने आ सकता है |
पलाश (flame of the forest ) ; फूल का पावडर विषनाशक और पौष्टिक होता है . यह कामोद्दीपक होता है और sexual disorders भी ठीक करता है | इसका पावडर मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच दूध के साथ ले सकते हैं . इससे प्रमेह , white discharge आदि भी ठीक होते है|
संतानहीनता होने पर, इसके बीज के पावडर में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें ।
अपराजिता ; गर्भाशय बाहर आता हो तो इसके पत्ते +चांगेरी घास (खट्टा मीठा) +फिटकरी उबालकर , उस पानी से धोएं। सूजाक या संक्रमण हो तो इसके पत्ते उबालकर धोएं।
कचनार ; कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है । 10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें। इससे सभी तरह की गांठें ऊपरी या भीतर की , कैंसर की गांठ, गर्भाशय की गांठें तो खत्म होती ही हैं । साथ ही हारमोन भी ठीक हो जाते हैं ।
गोखरू ; इसका काढ़ा गर्भाशय के विकारों को ठीक करता है। अगर 10 ग्राम गोखरू के बीज और 2 ग्राम अजवायन मिलाकर काढ़ा पीया जाए तो delivery के बाद गर्भाशय को शुद्ध करता है।
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