युवक युवतियाँ कभी कभी प्रमेह , श्वेत प्रदर , रक्त प्रदर आदि की बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं । लेकिन कुदरत की अनमोल जड़ी बूटियों के होते परेशान होने की आवश्यकता नहीं है । कुछ पौधे इस प्रकार हैं ;
शीशम ; शीशम के पत्ते बहुत ठंडी प्रकृति के होते हैं । इसके दो चार पत्तों को पीसकर , मिश्री मिलकर , शरबत बनाकर सवेरे खाली पेट पीने से इस बीमारी में आराम आता है । अगर किसी की प्रकृति शीतलता की ओर है तो उसे 2-4 काली मिर्च भी साथ पीसकर शरबत बनाना चाहिए ।
गेंदा (african marigold ) ; इस फूल का केवल ऊपर का ही पीला पंखुड़ियों वाला भाग लें । नीचे वाले काले भाग को न लें । इन्हे 15 ग्राम लेकर उसमे 2-3 चम्मच पानी मिलाकर , पीसकर रस बना लें । उसमे थोड़ी सी मिश्री मिलाकर , प्रात: सायं लें । पंखुड़ियों में एक दो गेंदे के पत्ते भी मिला सकते हैं ।
बबूल ; प्रमेह , धातु रोग या night fall आदि की बीमारी हो तो यह पौधा चमत्कारी है । सुबह सुबह 5-7 पत्तों को तोड़कर चबाएं और कुछ देर बाद निगल लें । उसके बाद एक गिलास पानी पी लें ।
अगर ताज़ी पत्तियां न मिलें तो इसकी छाया में सूखी हुई पत्तियों का पाउडर लें । उसमे थोड़ी मात्रा में मिश्री मिला दें । इसे 1 ग्राम से 3 ग्राम की मात्रा तक रोज़ लें ।
गंभारी ; गंभारी के बीज का पाउडर सवेरे शाम लिया जाए तो इन बीमारियों से राहत मिलती है ।
धातु रोग में गंभारी फल का पाउडर + आँवले का पाउडर बराबर मात्रा में लेकर उसमे थोड़ी मिश्री मिला लें । इसे सुबह शाम सादे पानी या दूध के साथ लिया जाए , तो यह रामबाण औषधि है ।
खजूर ; अगर शुक्राणुक्षीणता है या वीर्यदुर्बलता है तो खजूर बहुत पौष्टिक होता है ।
अगर प्रमेह , धातु रोग या कमजोरी है तो खजूर की 3-4 पत्तियों को कूटकर शरबत बनाएँ । इसका सेवन 15-20 दिन तक या फिर 1-2 माह तक भी इसका सेवन कर सकते हैं ।
अर्जुन ; अगर पित्तजन्य प्रमेह या प्रदर की बीमारी है तो इसकी छाल का दो चम्मच पाउडर रात को पानी में भिगो दें । प्रात: काल पाउडर को हिलाकर पानी को भी पी जाएँ । ज्यादा परेशानी है तो इसका पाउडर पानी में उबालकर , काढ़ा बनाकर पीएँ ।
सेमल ; 1-2 वर्ष के सेमल के पेड़ की जड़ बहुत कोमल होती है । इसे सेमल की मूसली कहते हैं । इस जड़ को उखाड़कर , उसके टुकड़े करके सुखा लें । इसका पाउडर धातु रोग व वीर्य दोष में लाभकर है । इसकी मूसली का पाउडर + विदारी कंद + शतावर + मिश्री मिलाकर , प्रात: सायं दूध के साथ लें । यह पौष्टिक , धातु वर्धक व शीतल होता है ।
ल्यूकोरिया हो तो इस कंद को कूटकर इसका पाउडर सवेरे शाम पानी के साथ लें ।
इसकी कोमल पत्तियां कूटकर पानी मिलाकर , शर्बत की तरह पीयें तो गर्मी दूर होती है , रक्त , पित्त ,स्वप्न दोष आदि में लाभ होता है ।
यह पुष्टिकारक व बलवर्धक है ।
गाजर ; White Discharge की शिकायत हो तो गाजर के रस में आंवला और पुदीना मिलाकर सेवन करें ।
गन्ना ; जूट का ऐसी बोरी (बैग ) लें , जिसमे कि पिछले दो तीन साल पहले गुड का storage किया गया हो । इस बोरी को जलाकर राख कर लें । यह राख औषधि का कार्य करती है । इसकी 2-2 ग्राम की मात्रा लेने से रक्त प्रदर और श्वेत प्रदर (white discharge ) की बीमारी ठीक होती है ।
भुइं आंवला ; प्रदर या प्रमेह की बीमारी इसके पंचांग का काढ़ा पीने से ठीक होती है ।
रेवनचीनी ; प्रमेह , धातु रोग आदि इसकी जड़ का पाउडर लेने से ठीक हो जाते हैं।
अगस्त्य (sesbania) ; इसके फूलों को बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच के बर्तन में रख दें . तीन चार दिन धूप दिखा दें . बस बन गया इसका गुलकंद ! इसे लेने से एकाग्रता बढती है इसे लेने से धातु दुर्बलता ठीक हो जाती है
White discharge की समस्या में , इसके फूलों का एक चम्मच पावडर दूध के साथ लिया जा सकता है । रक्त प्रदर होने पर फूलों और पत्तों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें। Uterus में infections हों ,सूजन हो ,या फिर खुजली हो तो इसकी पत्तियों के रस को रुई में भिगोकर लगाना चाहिए । इससे vaginal infections और swelling भी ठीक होती है । इसके पत्तों में नीम के पत्तों का रस मिलाकर धोने से हर प्रकार के infections खत्म होते हैं ।
चांगेरी ( indian sorrel) ; रक्त प्रदर होने पर या over bleeding होने पर, इसके पत्तों को पीसकर मिश्री मिलाकर पीयें।
अमलतास ( purging cassia) ; White discharge की समस्या में या यौन दुर्बलता होने पर अमलतास के फली का 15-20 ग्राम गूदा रात को भिगो दें व सवेरे मिश्री या शहद मिलाकर लें ।
गंभारी (verbenaceae) ; प्रमेह या यौन संबंधी रोग हों तो इसके फल के पावडर में बराबर मात्रा में आंवला मिला लें । अब इसमें मिश्री मिलाकर पानी या दूध के साथ सवेरे शाम प्रयोग करें ।
शिरीष ; सूजाक होने पर इसके पत्तों के के साथ नीम के पत्तों का रस भी मिला लें और धोएं ।
बबूल या कीकर ; प्रमेह रोगों में इसकी कोमल पत्तियां प्रात:काल चबाकर निगल लें । ऊपर से पानी पी लें ।
बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ; White discharge की समस्या हो तो , इसका पावडर और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाएं और एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
लौकी ( bottle gourd) ; लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए। इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है . यह प्रमेह , white discharge आदि को ठीक करता है ।
दूधी, दूधिया घास(milk hedge ) ; लिकोरिया की समस्या हो तो इसको सुखाकर, इसका पावडर नियमित रूप से लें या इसका काढ़ा बनाकर लें ।
बकायन, महानिम्ब (bead tree) ; White discharge की समस्या हो तो इसके बीज का पावडर +आंवला +मुलेठी मिलाकर 1-1 ग्राम सवेरे शाम ले लें ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; प्रदर रोग में इसकी जड़ का पावडर चावल के धोवन के साथ लें और इसके पत्तों का साग खाएं |
धातकी ,धाय (woodfordia) ; रक्त प्रदर या श्वेत प्रदर के लिए पठानी लोद, धातकी के फूल और चन्दन बराबर मात्रा में मिलाकर उसमें मिश्री मिलाकर लें ।
जलजमनी (broom creeper) ; श्वेत प्रदर(white discharge) हो या रक्त (bleeding) प्रदर हो तो इसकी 5-7 gram पत्तियों को पीसकर रस निकालें और एक कप पानी में मिश्री और काली मिर्च के साथ सुबह शाम लें । दो तीन दिन में ही असर दिखाई देगा ।
पत्थरचट (bryophyllum) ; श्वेत प्रदर या प्रमेह की बीमारी में भी इसके दोतीन पत्तों का रस ले सकते हैं ।
वासा (malabar nut) ; प्रमेह या धातु रोग होने पर इसके फूलों का पावडर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर एक एक चम्मच लें ।
दूब (grass ) ; White discharge की समस्या हो या bleeding अधिक हो , तब भी इसके पत्तों का 3-4 चम्मच रस लेना चाहिए ।
तिल (sesame) ; सूजाक जैसी भयंकर बीमारी हो जाए तो , इसकी 4-5 ग्राम पत्तियों का पावडर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें | सवेरे सवेरे इसे मसलकर अश्वगंधा के साथ पी लें | बीमारी अवश्य ठीक होगी |
भारंगी (turk's turban moon) ; हर्पीज़ की बीमारी में पत्ते पीसकर लगा दें और पत्तों का काढ़ा पीयें ।
गुड़हल, जबाकुसुम (shoe flower, china rose) ; अगर ल्यूकोरिया है , प्रमेह है या मूत्रदाह की बीमारी है तो , इसके तीन फूलों की डंडी हटाकर फूल को पीछे की तरफ से चूसें , यह मीठा लगेगा । फिर उसे चबाएं और ऊपर से पानी पी लें । यह सवेरे खाली पेट करें ।
मालती (rangoon creeper) ; इसके फूल और पत्तियां औषधि होते हैं । इसके फूलों से आयुर्वेद में वसंत कुसुमाकर रस नाम की दवाई बनाई जाती है । इसकी 2-5 ग्राम की मात्रा लेने से कमजोरी दूर होती है और हारमोन ठीक हो जाते है । प्रमेह , प्रदर , और मासिक धर्म आदि सभी समस्याओं का यह समाधान है ।
प्रमेह या प्रदर में इसके 3-4 ग्राम फूलों का रस मिश्री के साथ ले सकते हैं ।
बथुआ (chenopodium) ; White discharge के निदान के लिए इसके रस में पानी और मिश्री मिलाकर पीयें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; White discharge होने पर इसका 5-10 gram रस और 3-4 चम्मच शहद और पानी के साथ लें ।
सेमल (silk cotton tree) ; गर्मी की परेशानी हो , या प्रदर की शिकायत हो तो इसकी छाल को कूटकर शहद के साथ लें ।
भुट्टा (corn) ; White discharge की समस्या हो तो भुट्टे के बालों का मिश्री के साथ सेवन करें । अधिक bleeding या U T I infection है तो भुट्टे के बाल और शीशम के पत्ते मिलाकर लें ।
खीरा (cucumber) ; इसके बीज पौष्टिक होते हैं पर उष्ण नहीं होते । एक भाग खीरे के बीजों के साथ दो भाग आंवला मिलाएं और सवेरे शाम लें । इससे प्रमेह और प्रदर की बीमारी भी ठीक होगी और शरीर में जलन या दाह की अनुभूति होती हो तो वह खत्म हो जाएगी ।
आँवला ; आँवले के सेवन से ये बीमारियाँ ठीक होती हैं । आमलिकी रसायन का प्रयोग भी किया जा सकता है ।
अपामार्ग , लटजीरा ; White discharge की शिकायत है तो , इसके पत्तीं का 1-2 ग्राम रस एक कप पानी में डालकर , कुछ दिन लें।
गिलोय ; गिलोय का सेवन करने से ये बीमारियाँ ठीक होती हैं ।
पलाश (flame of the forest) ; इसके फूल का पावडर मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच दूध के साथ ले सकते हैं । इससे प्रमेह , white discharge आदि ठीक होते है ।
इसके बीज के पावडर में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें । इससे प्रमेह , प्रदर ठीक होते हैं ।
इसके गोंद को कमरकस कहते हैं . रक्त प्रदर(bleeding ) हो तो इसे आधा ग्राम की मात्रा में लें |
मरुआ ; इसके एक चम्मच बीज रात को भिगोकर सुबह मिश्री मिलाकर खाए जाएँ तो इससे शरीर में शक्ति तो आती ही है श्वेत प्रदर की बीमारी भी ठीक होती है ।
कालमेघ ; 2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें । इससे धातुरोग , white discharge आदि ठीक होते हैं।
अश्वगंधा ; इसकी जड़ों का पावडर एक एक चम्मच दूध के साथ लें। दूध से परेशानी हो तो पानी से भी ले सकते हैं। इससे white discharge समाप्त हो जाता है और शरीर की क्षमता बढ़ती है। कमर दर्द हो तब भी इसे सवेरे शाम लें।
जामुन ; आंवला और जामुन की गुठली बराबर मिलाकर 2 -2 ग्राम सवेरे शाम लें। white discharge की समस्या में यह मिश्रण मिश्री के साथ लें ।
शीशम ; White discharge की परेशानी हो तो इसकी छाल का पावडर दो चम्मच रात को भिगो दें। सवेरे मसलकर पीयें या काढ़ा बनाकर पीयें।
शीशम ; शीशम के पत्ते बहुत ठंडी प्रकृति के होते हैं । इसके दो चार पत्तों को पीसकर , मिश्री मिलकर , शरबत बनाकर सवेरे खाली पेट पीने से इस बीमारी में आराम आता है । अगर किसी की प्रकृति शीतलता की ओर है तो उसे 2-4 काली मिर्च भी साथ पीसकर शरबत बनाना चाहिए ।
गेंदा (african marigold ) ; इस फूल का केवल ऊपर का ही पीला पंखुड़ियों वाला भाग लें । नीचे वाले काले भाग को न लें । इन्हे 15 ग्राम लेकर उसमे 2-3 चम्मच पानी मिलाकर , पीसकर रस बना लें । उसमे थोड़ी सी मिश्री मिलाकर , प्रात: सायं लें । पंखुड़ियों में एक दो गेंदे के पत्ते भी मिला सकते हैं ।
बबूल ; प्रमेह , धातु रोग या night fall आदि की बीमारी हो तो यह पौधा चमत्कारी है । सुबह सुबह 5-7 पत्तों को तोड़कर चबाएं और कुछ देर बाद निगल लें । उसके बाद एक गिलास पानी पी लें ।
अगर ताज़ी पत्तियां न मिलें तो इसकी छाया में सूखी हुई पत्तियों का पाउडर लें । उसमे थोड़ी मात्रा में मिश्री मिला दें । इसे 1 ग्राम से 3 ग्राम की मात्रा तक रोज़ लें ।
गंभारी ; गंभारी के बीज का पाउडर सवेरे शाम लिया जाए तो इन बीमारियों से राहत मिलती है ।
धातु रोग में गंभारी फल का पाउडर + आँवले का पाउडर बराबर मात्रा में लेकर उसमे थोड़ी मिश्री मिला लें । इसे सुबह शाम सादे पानी या दूध के साथ लिया जाए , तो यह रामबाण औषधि है ।
खजूर ; अगर शुक्राणुक्षीणता है या वीर्यदुर्बलता है तो खजूर बहुत पौष्टिक होता है ।
अगर प्रमेह , धातु रोग या कमजोरी है तो खजूर की 3-4 पत्तियों को कूटकर शरबत बनाएँ । इसका सेवन 15-20 दिन तक या फिर 1-2 माह तक भी इसका सेवन कर सकते हैं ।
अर्जुन ; अगर पित्तजन्य प्रमेह या प्रदर की बीमारी है तो इसकी छाल का दो चम्मच पाउडर रात को पानी में भिगो दें । प्रात: काल पाउडर को हिलाकर पानी को भी पी जाएँ । ज्यादा परेशानी है तो इसका पाउडर पानी में उबालकर , काढ़ा बनाकर पीएँ ।
सेमल ; 1-2 वर्ष के सेमल के पेड़ की जड़ बहुत कोमल होती है । इसे सेमल की मूसली कहते हैं । इस जड़ को उखाड़कर , उसके टुकड़े करके सुखा लें । इसका पाउडर धातु रोग व वीर्य दोष में लाभकर है । इसकी मूसली का पाउडर + विदारी कंद + शतावर + मिश्री मिलाकर , प्रात: सायं दूध के साथ लें । यह पौष्टिक , धातु वर्धक व शीतल होता है ।
ल्यूकोरिया हो तो इस कंद को कूटकर इसका पाउडर सवेरे शाम पानी के साथ लें ।
इसकी कोमल पत्तियां कूटकर पानी मिलाकर , शर्बत की तरह पीयें तो गर्मी दूर होती है , रक्त , पित्त ,स्वप्न दोष आदि में लाभ होता है ।
यह पुष्टिकारक व बलवर्धक है ।
गाजर ; White Discharge की शिकायत हो तो गाजर के रस में आंवला और पुदीना मिलाकर सेवन करें ।
गन्ना ; जूट का ऐसी बोरी (बैग ) लें , जिसमे कि पिछले दो तीन साल पहले गुड का storage किया गया हो । इस बोरी को जलाकर राख कर लें । यह राख औषधि का कार्य करती है । इसकी 2-2 ग्राम की मात्रा लेने से रक्त प्रदर और श्वेत प्रदर (white discharge ) की बीमारी ठीक होती है ।
भुइं आंवला ; प्रदर या प्रमेह की बीमारी इसके पंचांग का काढ़ा पीने से ठीक होती है ।
रेवनचीनी ; प्रमेह , धातु रोग आदि इसकी जड़ का पाउडर लेने से ठीक हो जाते हैं।
अगस्त्य (sesbania) ; इसके फूलों को बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच के बर्तन में रख दें . तीन चार दिन धूप दिखा दें . बस बन गया इसका गुलकंद ! इसे लेने से एकाग्रता बढती है इसे लेने से धातु दुर्बलता ठीक हो जाती है
White discharge की समस्या में , इसके फूलों का एक चम्मच पावडर दूध के साथ लिया जा सकता है । रक्त प्रदर होने पर फूलों और पत्तों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें। Uterus में infections हों ,सूजन हो ,या फिर खुजली हो तो इसकी पत्तियों के रस को रुई में भिगोकर लगाना चाहिए । इससे vaginal infections और swelling भी ठीक होती है । इसके पत्तों में नीम के पत्तों का रस मिलाकर धोने से हर प्रकार के infections खत्म होते हैं ।
चांगेरी ( indian sorrel) ; रक्त प्रदर होने पर या over bleeding होने पर, इसके पत्तों को पीसकर मिश्री मिलाकर पीयें।
अमलतास ( purging cassia) ; White discharge की समस्या में या यौन दुर्बलता होने पर अमलतास के फली का 15-20 ग्राम गूदा रात को भिगो दें व सवेरे मिश्री या शहद मिलाकर लें ।
गंभारी (verbenaceae) ; प्रमेह या यौन संबंधी रोग हों तो इसके फल के पावडर में बराबर मात्रा में आंवला मिला लें । अब इसमें मिश्री मिलाकर पानी या दूध के साथ सवेरे शाम प्रयोग करें ।
शिरीष ; सूजाक होने पर इसके पत्तों के के साथ नीम के पत्तों का रस भी मिला लें और धोएं ।
बबूल या कीकर ; प्रमेह रोगों में इसकी कोमल पत्तियां प्रात:काल चबाकर निगल लें । ऊपर से पानी पी लें ।
बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ; White discharge की समस्या हो तो , इसका पावडर और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाएं और एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
लौकी ( bottle gourd) ; लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए। इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है . यह प्रमेह , white discharge आदि को ठीक करता है ।
लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ; इसका जूस हानिकारक हो सकता है
दूधी, दूधिया घास(milk hedge ) ; लिकोरिया की समस्या हो तो इसको सुखाकर, इसका पावडर नियमित रूप से लें या इसका काढ़ा बनाकर लें ।
बकायन, महानिम्ब (bead tree) ; White discharge की समस्या हो तो इसके बीज का पावडर +आंवला +मुलेठी मिलाकर 1-1 ग्राम सवेरे शाम ले लें ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; प्रदर रोग में इसकी जड़ का पावडर चावल के धोवन के साथ लें और इसके पत्तों का साग खाएं |
धातकी ,धाय (woodfordia) ; रक्त प्रदर या श्वेत प्रदर के लिए पठानी लोद, धातकी के फूल और चन्दन बराबर मात्रा में मिलाकर उसमें मिश्री मिलाकर लें ।
जलजमनी (broom creeper) ; श्वेत प्रदर(white discharge) हो या रक्त (bleeding) प्रदर हो तो इसकी 5-7 gram पत्तियों को पीसकर रस निकालें और एक कप पानी में मिश्री और काली मिर्च के साथ सुबह शाम लें । दो तीन दिन में ही असर दिखाई देगा ।
पत्थरचट (bryophyllum) ; श्वेत प्रदर या प्रमेह की बीमारी में भी इसके दोतीन पत्तों का रस ले सकते हैं ।
वासा (malabar nut) ; प्रमेह या धातु रोग होने पर इसके फूलों का पावडर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर एक एक चम्मच लें ।
दूब (grass ) ; White discharge की समस्या हो या bleeding अधिक हो , तब भी इसके पत्तों का 3-4 चम्मच रस लेना चाहिए ।
तिल (sesame) ; सूजाक जैसी भयंकर बीमारी हो जाए तो , इसकी 4-5 ग्राम पत्तियों का पावडर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें | सवेरे सवेरे इसे मसलकर अश्वगंधा के साथ पी लें | बीमारी अवश्य ठीक होगी |
भारंगी (turk's turban moon) ; हर्पीज़ की बीमारी में पत्ते पीसकर लगा दें और पत्तों का काढ़ा पीयें ।
गुड़हल, जबाकुसुम (shoe flower, china rose) ; अगर ल्यूकोरिया है , प्रमेह है या मूत्रदाह की बीमारी है तो , इसके तीन फूलों की डंडी हटाकर फूल को पीछे की तरफ से चूसें , यह मीठा लगेगा । फिर उसे चबाएं और ऊपर से पानी पी लें । यह सवेरे खाली पेट करें ।
मालती (rangoon creeper) ; इसके फूल और पत्तियां औषधि होते हैं । इसके फूलों से आयुर्वेद में वसंत कुसुमाकर रस नाम की दवाई बनाई जाती है । इसकी 2-5 ग्राम की मात्रा लेने से कमजोरी दूर होती है और हारमोन ठीक हो जाते है । प्रमेह , प्रदर , और मासिक धर्म आदि सभी समस्याओं का यह समाधान है ।
प्रमेह या प्रदर में इसके 3-4 ग्राम फूलों का रस मिश्री के साथ ले सकते हैं ।
बथुआ (chenopodium) ; White discharge के निदान के लिए इसके रस में पानी और मिश्री मिलाकर पीयें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; White discharge होने पर इसका 5-10 gram रस और 3-4 चम्मच शहद और पानी के साथ लें ।
सेमल (silk cotton tree) ; गर्मी की परेशानी हो , या प्रदर की शिकायत हो तो इसकी छाल को कूटकर शहद के साथ लें ।
भुट्टा (corn) ; White discharge की समस्या हो तो भुट्टे के बालों का मिश्री के साथ सेवन करें । अधिक bleeding या U T I infection है तो भुट्टे के बाल और शीशम के पत्ते मिलाकर लें ।
खीरा (cucumber) ; इसके बीज पौष्टिक होते हैं पर उष्ण नहीं होते । एक भाग खीरे के बीजों के साथ दो भाग आंवला मिलाएं और सवेरे शाम लें । इससे प्रमेह और प्रदर की बीमारी भी ठीक होगी और शरीर में जलन या दाह की अनुभूति होती हो तो वह खत्म हो जाएगी ।
आँवला ; आँवले के सेवन से ये बीमारियाँ ठीक होती हैं । आमलिकी रसायन का प्रयोग भी किया जा सकता है ।
अपामार्ग , लटजीरा ; White discharge की शिकायत है तो , इसके पत्तीं का 1-2 ग्राम रस एक कप पानी में डालकर , कुछ दिन लें।
गिलोय ; गिलोय का सेवन करने से ये बीमारियाँ ठीक होती हैं ।
पलाश (flame of the forest) ; इसके फूल का पावडर मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच दूध के साथ ले सकते हैं । इससे प्रमेह , white discharge आदि ठीक होते है ।
इसके बीज के पावडर में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें । इससे प्रमेह , प्रदर ठीक होते हैं ।
इसके गोंद को कमरकस कहते हैं . रक्त प्रदर(bleeding ) हो तो इसे आधा ग्राम की मात्रा में लें |
मरुआ ; इसके एक चम्मच बीज रात को भिगोकर सुबह मिश्री मिलाकर खाए जाएँ तो इससे शरीर में शक्ति तो आती ही है श्वेत प्रदर की बीमारी भी ठीक होती है ।
कालमेघ ; 2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें । इससे धातुरोग , white discharge आदि ठीक होते हैं।
अश्वगंधा ; इसकी जड़ों का पावडर एक एक चम्मच दूध के साथ लें। दूध से परेशानी हो तो पानी से भी ले सकते हैं। इससे white discharge समाप्त हो जाता है और शरीर की क्षमता बढ़ती है। कमर दर्द हो तब भी इसे सवेरे शाम लें।
जामुन ; आंवला और जामुन की गुठली बराबर मिलाकर 2 -2 ग्राम सवेरे शाम लें। white discharge की समस्या में यह मिश्रण मिश्री के साथ लें ।
शीशम ; White discharge की परेशानी हो तो इसकी छाल का पावडर दो चम्मच रात को भिगो दें। सवेरे मसलकर पीयें या काढ़ा बनाकर पीयें।
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