तनाव , अनिद्रा , अवसाद , सिरदर्द, चक्कर आना , माइग्रेन आदि मस्तिष्क से सम्बंधित कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं ; जिनसे छुटकारा पाने का उपाय व्यक्ति को सरलता से नहीं मिलता । इन बीमारियों के लिए कुछ जड़ी- बूटियाँ बहुत उपयुक्त है :
सर्पगंधा ; यह इतना अच्छा पौधा है की इसका extract निकालकर आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी मानसिक बीमारियों के लिए इसका प्रयोग किया जाता है । उन्माद ,तनाव व अवसाद जैसी बीमारियों के लिए इसका निर्भयतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है । इसकी जड़ का पाउडर 1/2 ग्राम - 1 ग्राम तक प्रात: सायं लिया जा सकता है । इससे hyperactivity ठीक होती है । तनाव से मुक्ति मिलती है
\ इसका प्रयोग लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए नहीं तो इसकी आदत पड जाती है । नींद ठीक से न आये तो रात को 1-2 ग्राम सर्पगंधा की सूखी पत्तियां दूध या पानी के साथ लें । अगर नींद न आती हो तो सर्पगंधा और जटामासी बराबर मात्रा में मिलाकर 1-2 ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें । जब ठीक नींद आने लगे तो यह लेना बंद कर दें ।
Epilepsy की बीमारी में सर्पगंधा +जटामासी +अश्वगंधा +गाजवान+सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें
मकोय ( black nightshade); अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।।
Epilepsy की बीमारी में सर्पगंधा +जटामासी +अश्वगंधा +गाजवान+सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें
मकोय ( black nightshade); अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।।
मालकांगनी (ज्योतिष्मति ) ; दिमाग की एकाग्रता (concentration) बढ़ाने के लिए , memory power बढ़ाने के लिए और बुद्धि को तेज़ करने के लिए इससे बढ़िया और कोई बूटी नहीं है । इसके बीज 1 से 3 की मात्रा में प्रतिदिन सवेरे खाने से याददाश्त बढ़ती है , बुद्धि तीक्ष्ण होती है । ऋषि दयानंद जैसे महापुरुष भी इसका सेवन करते थे ।
इसका तेल भी मिलता है । इसके बीजों का 2-4 बूँद तेल सवेरे दूध में डालकर पीने से बुद्धि बढ़ती है । स्मृति बढ़ती है \ migraine और fits के लिए तो यह रामबाण है । अमृत है । नींद कम होती हो तो माथे और सिर में इसके तेल की मालिश करनी चाहिए ।
दौरे पड़ते हों या memory loss हो रहा हो तो इसका प्रयोग करना चाहिए । विशेष तौर पर 50 - 60 वर्ष के होने पर memory loss महसूस होता है । तब इसका प्रयोग कर सकते हैं ।
यह लम्बे समय तक ली जा सकती है ; परन्तु मात्रा कम ही रखनी चाहिए ।
ब्राह्मी : इसके एक या दो पत्ते खाने से ही तीक्ष्ण होती है और याददाश्त बढ़ती है । कहा जाता है की सभी बड़ी उम्र के नेता ब्राह्मी का प्रयोग करते हैं ।
शंखपुष्पी और जटामासी मस्तिष्क सम्बन्धी बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं ।
अश्वगंधा के नित्य प्रयोग से शरीर के साथ ही मस्तिष्क को भी शक्ति मिलती है ।
अगस्त्य ( sesbania) ; इसके फूलों को बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच के बर्तन में रख दें । तीन चार दिन धूप दिखा दें .। बस बन गया इसका गुलकंद ! इसे लेने से एकाग्रता बढती है । यह दिल और दिमाग के लिए अच्छा है । विक्षिप्तता की स्थिति को भी यह ठीक कर देता है । मूर्छा होने पर इसके पत्तों के रस की बूँदें नाक में डालें |
शिरीष ; यह विषनाशक होता है | सर्प आदि के काटने पर अगर नीम और शिरीष के पत्तों के पानी में नमक डालकर झराई करें तो कहते हैं कि चेतना लौट आती है | इसके फलियों के बीजों को बकरी के दूध में पीसकर नाक में सुंघाने से मूर्छा खत्म हो जाती है |
उन्माद की बीमारी में मुलेठी +सौंफ +अश्वगंधा +वचा +शिरीष के बीज ; इन सबको मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह शाम दें ।
धातकी , धाय (woodfordia) ; इसके फूल व् पत्तियों का काढ़ा लें , या केवल फूलों का शर्बत लें । इसके सूखे फूलों का पावडर भी लिया जा सकता है । इससे दिमाग को ताकत मिलती है । यह पौष्टिक तो होता ही है ।
गुलदाउदी (chrysanthemum) ; गुलदाऊदी या सेवती के फूल बहुत सुन्दर होते हैं । छोटे फूलों वाली गुलदाऊदी के औषधीय गुण अधिक होते हैं । इससे घर का वातावरण भी अच्छा होता है । घर में इसके दो तीन पत्तों पर देसी घी लगाकर कच्चे कोयले पर जलाएं तो नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है, अशांत मन शांत होता है ।
मकोय (black nightshade) ; अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
दूब (grass ) ; अगर तनाव हो तो दूब पीसकर पैरों में लगायें ।
अकरकरा ; मिर्गी के दौरे पड़ते हों तो , इसके फूलों का पावडर और वचा का पावडर मिलाकर लें ।
शतावर (asparagus) ; अनिंद्रा की बीमारी में इसकी जड़ का 10 ग्राम पावडर दूध में खीर की तरह पकाएं । फिर थोडा सा देसी घी डालकर रात को सोते समय ले लें । अच्छी नींद आयेगी ।
तुलसी (holi basil) ; स्मरणशक्ति बढानी हो तो इसकी चार-पांच पत्तियां पीसकर शहद के साथ लें ।
ज्योतिष्मति (celastrus) ; इन्ही फलों से निकले हुए बीजों से सात्विक बुद्धि बढ़ती है , एकाग्रता बढ़ती है और memory बढ़ती है । स्वामी दयानन्द सरस्वती भी इसका एक बीज प्रतिदिन लेते थे । माइग्रेन , या सिरदर्द हो या भयंकर दौरे पड़ते हों ; तो इसके 2-3 बीज तक ले सकते हैं । सवेरे सवेरे खाली पेट बीज खाकर दूध या पानी पी लें । मिर्गी में इसके बीज लेने के साथ साथ इसके बीजों के तेल की सिर में और माथे पर मालिश करें । स्मृति बढानी है तो , इसके तेल की 2-4 बूँद दूध में डालकर पीयें । नींद कम हो , तनाव रहता हो तो , इसके तेल की सिर में मालिश करें । केश तेल में इसका भी तेल मिला लें .छोटे बच्चों के सिर और माथे पर इसके तेल की मालिश करनी चाहिए। 60-70 वर्ष की अवस्था के पश्चात याददाश्त कुछ कम होनी प्रारम्भ हो जाती है । तब तो इसके एक या दो बीजों का सेवन अवश्य ही शुरू कर देना चाहिए । ब्राह्मी , शंखपुष्पी आदि के साथ इसे भी मेधावटी में डाला जाता है ।
यह कुछ गर्म होती है अत: एक साथ बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिए ।
बथुआ (chenopodium) ; इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है । यह बुद्धिवर्धक है ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; हिस्टीरिया या मूर्छा हो तो इसका रस नाक में डालें ।
सेमल (silk cotton tree) ; सेमल की रुई तकियों में भरी जाती है । इसकी रुई के तकिए से अच्छी नींद आने में मदद मिलती है ।
पीपल (sacred fig) ; हिस्टीरिया के मरीजों को इसके पत्तों का रस पिलाने से लाभ होता है ।
खीरा (cucumber) ; खीरे को संस्कृत में सुशीतल भी कहा जाता है । यह दिमाग को ठंडक देता है । यदि तनाव हो तो खीरा कटकर आँखों पर रख लें और इसे पीसकर माथे पर लगा लें । पूरे सिर में भी लगा लें तो और भी लाभ करता है । .नींद कम आती हो तो खीरे के बीज का पावडर शाम को लें और माथे पर खीरा रगड़ें । मानसिक तनाव , मानसिक रोग या अवसाद की बीमारी हो तो इसके बीजों के साथ ब्राह्मी , शंखपुष्पी, बादाम और काली मिर्च का शरबत बनाकर पीयें ।
कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade) ; epilepsy या migraine में इसका ताज़ा रस दो दो बूँद नाक में टपकायें । यह सवेरे खाली पेट करना चाहिए । दोनों बीमारियाँ बिलकुल ठीक हो जाती हैं ।
भाँग (cannabis) ; हिस्टीरिया के दौरे पड़ते हों तो भांग में थोडा हींग मिलाकर मटर के बराबर गोली सवेरे शाम लें । सिर दर्द ठीक करने के लिए भांग के पत्तों की लुगदी को सूंघें । इसके पत्तों के रस की दो -दो बूँद नाक में डालें या इसके पत्तों का पावडर सूंघें।इससे भी सिर दर्द ठीक हो जाता है ।
नींद न आती हो या दौरे पड़ते हों तो , ब्राह्मी , शंखपुष्पी ,सौंफ और भांग बराबर मात्रा में लेकर , एक एक चम्मच सवेरे शाम लें । migraine होने पर ये चूर्ण भी लें तथा भांग पीसकर माथे पर लेप करें । इसका पावडर रात को सूंघने मात्र से ही अच्छी नींद आती है ।
नींद न आती हो तो 5 ग्राम भांग के पावडर में 1-2 ग्राम सर्पगन्धा का पावडर मिलाकर रात को सोते समय लें । हिस्टीरिया में भी इसका पावडर लाभ करता है ।
मेंहदी (henna ) ; अगर मूर्छा आती हो , तो कुछ पत्तों का शरबत तुरंत पीयें ; आराम मिलेगा ।
पवित्रता और सुन्दरता से भरे इस फूल में दैवी गुण विद्यमान हैं । इसकी माला धारण करने मात्र से मन की प्रसन्नता बढ़ती है । इसे घर में लगाने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं और ग्रहों की शान्ति होती है ।
देसी गुलाब (rose) ; Stress हो या नींद न आती हो , या फिर मानसिक थकावट हो ; सिरहाने के पास इसका गुदस्ता रखकर सोयें . फिर देखिये परिणाम ! इसके फूल की पंखुडियां तकिये के नीचे रखकर सोयें । इसका पौधा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को भगाता है । चन्दन को गुलाबजल में घिसकर माथे पर लगाने से मस्तिष्क को आराम मिलता है . Migraine तक अच्छा होता है ।
अनार (pomegranate) ; यदि अनिंद्रा या टेंशन है तो इसकी 2-3 ग्राम कोमल पत्तियों को कुचलकर 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनायें और सोने से पहले ले लें ।
पलाश (flame of the forest ) ; नींद कम आने पर इसके बीज के पावडर में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें ।
सहदेवी ; सहदेवी का पौधा नींद न आने वाले मरीजों के लिए सबसे अच्छा है । इसे सुखाकर तकिये के नीचे रखने से अच्छी नींद आती है । इसके नन्हे पौधे गमले में लगाकर सोने के कमरे में रख दें । बहुत अच्छी नींद आएगी ।
ब्राह्मी ; बुद्धि को तीव्र करने या याददाश्त को बढ़ने के लिए लेना हो तो ,सवेरे 4-6 इसकी पत्तियां चबा-चबाकर खाएं। फिर पानी पी लें। इससे मन शांत होता है। एकाग्रता भी बढ़ती है। पत्ते थोड़े कडवे होते हैं। अत: इसके सूखे पत्ते 250 ग्राम +बादाम 250 ग्राम +काली मिर्च 20 ग्राम +500 ग्राम मिश्री ; इन सबको मिलाकर रख लें और इस मिश्रण का एक- एक चम्मच सवेरे शाम लें।
अश्वगंधा ; अश्वगंधा की जड़ का पावडर मस्तिष्क के लिए बहुत अच्छा है ।
अर्जुन ; इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से लाभ होता है। ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं। जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें। इस काढ़े से घबराहट , बेचैनी , नींद टूटना जैसी बीमारियाँ भी ठीक होती है।
रतनजोत (onosma) ; सिर में लगाने वाले तेल में अगर रतनजोत के कुछ टुकड़े ड़ाल दिए जाएँ तो तेल का रंग तो सुंदर हो ही जाता है ; इस तेल के प्रयोग से बाल स्वस्थ और काले हो जाते हैं। साथ ही इस तेल से मस्तिष्क की ताकत भी बढ़ती है।
ये सभी जड़ी बूटियाँ प्राप्त करने में कठिनाई हो तो मेधावटी का प्रयोग करें । इसमें इन सभी जड़ी बूटियों की उचित मात्रा होती है |
ब्राह्मी : इसके एक या दो पत्ते खाने से ही तीक्ष्ण होती है और याददाश्त बढ़ती है । कहा जाता है की सभी बड़ी उम्र के नेता ब्राह्मी का प्रयोग करते हैं ।
शंखपुष्पी और जटामासी मस्तिष्क सम्बन्धी बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं ।
अश्वगंधा के नित्य प्रयोग से शरीर के साथ ही मस्तिष्क को भी शक्ति मिलती है ।
अगस्त्य ( sesbania) ; इसके फूलों को बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच के बर्तन में रख दें । तीन चार दिन धूप दिखा दें .। बस बन गया इसका गुलकंद ! इसे लेने से एकाग्रता बढती है । यह दिल और दिमाग के लिए अच्छा है । विक्षिप्तता की स्थिति को भी यह ठीक कर देता है । मूर्छा होने पर इसके पत्तों के रस की बूँदें नाक में डालें |
शिरीष ; यह विषनाशक होता है | सर्प आदि के काटने पर अगर नीम और शिरीष के पत्तों के पानी में नमक डालकर झराई करें तो कहते हैं कि चेतना लौट आती है | इसके फलियों के बीजों को बकरी के दूध में पीसकर नाक में सुंघाने से मूर्छा खत्म हो जाती है |
उन्माद की बीमारी में मुलेठी +सौंफ +अश्वगंधा +वचा +शिरीष के बीज ; इन सबको मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह शाम दें ।
धातकी , धाय (woodfordia) ; इसके फूल व् पत्तियों का काढ़ा लें , या केवल फूलों का शर्बत लें । इसके सूखे फूलों का पावडर भी लिया जा सकता है । इससे दिमाग को ताकत मिलती है । यह पौष्टिक तो होता ही है ।
गुलदाउदी (chrysanthemum) ; गुलदाऊदी या सेवती के फूल बहुत सुन्दर होते हैं । छोटे फूलों वाली गुलदाऊदी के औषधीय गुण अधिक होते हैं । इससे घर का वातावरण भी अच्छा होता है । घर में इसके दो तीन पत्तों पर देसी घी लगाकर कच्चे कोयले पर जलाएं तो नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है, अशांत मन शांत होता है ।
मकोय (black nightshade) ; अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
दूब (grass ) ; अगर तनाव हो तो दूब पीसकर पैरों में लगायें ।
अकरकरा ; मिर्गी के दौरे पड़ते हों तो , इसके फूलों का पावडर और वचा का पावडर मिलाकर लें ।
शतावर (asparagus) ; अनिंद्रा की बीमारी में इसकी जड़ का 10 ग्राम पावडर दूध में खीर की तरह पकाएं । फिर थोडा सा देसी घी डालकर रात को सोते समय ले लें । अच्छी नींद आयेगी ।
तुलसी (holi basil) ; स्मरणशक्ति बढानी हो तो इसकी चार-पांच पत्तियां पीसकर शहद के साथ लें ।
ज्योतिष्मति (celastrus) ; इन्ही फलों से निकले हुए बीजों से सात्विक बुद्धि बढ़ती है , एकाग्रता बढ़ती है और memory बढ़ती है । स्वामी दयानन्द सरस्वती भी इसका एक बीज प्रतिदिन लेते थे । माइग्रेन , या सिरदर्द हो या भयंकर दौरे पड़ते हों ; तो इसके 2-3 बीज तक ले सकते हैं । सवेरे सवेरे खाली पेट बीज खाकर दूध या पानी पी लें । मिर्गी में इसके बीज लेने के साथ साथ इसके बीजों के तेल की सिर में और माथे पर मालिश करें । स्मृति बढानी है तो , इसके तेल की 2-4 बूँद दूध में डालकर पीयें । नींद कम हो , तनाव रहता हो तो , इसके तेल की सिर में मालिश करें । केश तेल में इसका भी तेल मिला लें .छोटे बच्चों के सिर और माथे पर इसके तेल की मालिश करनी चाहिए। 60-70 वर्ष की अवस्था के पश्चात याददाश्त कुछ कम होनी प्रारम्भ हो जाती है । तब तो इसके एक या दो बीजों का सेवन अवश्य ही शुरू कर देना चाहिए । ब्राह्मी , शंखपुष्पी आदि के साथ इसे भी मेधावटी में डाला जाता है ।
यह कुछ गर्म होती है अत: एक साथ बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिए ।
बथुआ (chenopodium) ; इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है । यह बुद्धिवर्धक है ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; हिस्टीरिया या मूर्छा हो तो इसका रस नाक में डालें ।
सेमल (silk cotton tree) ; सेमल की रुई तकियों में भरी जाती है । इसकी रुई के तकिए से अच्छी नींद आने में मदद मिलती है ।
पीपल (sacred fig) ; हिस्टीरिया के मरीजों को इसके पत्तों का रस पिलाने से लाभ होता है ।
खीरा (cucumber) ; खीरे को संस्कृत में सुशीतल भी कहा जाता है । यह दिमाग को ठंडक देता है । यदि तनाव हो तो खीरा कटकर आँखों पर रख लें और इसे पीसकर माथे पर लगा लें । पूरे सिर में भी लगा लें तो और भी लाभ करता है । .नींद कम आती हो तो खीरे के बीज का पावडर शाम को लें और माथे पर खीरा रगड़ें । मानसिक तनाव , मानसिक रोग या अवसाद की बीमारी हो तो इसके बीजों के साथ ब्राह्मी , शंखपुष्पी, बादाम और काली मिर्च का शरबत बनाकर पीयें ।
कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade) ; epilepsy या migraine में इसका ताज़ा रस दो दो बूँद नाक में टपकायें । यह सवेरे खाली पेट करना चाहिए । दोनों बीमारियाँ बिलकुल ठीक हो जाती हैं ।
भाँग (cannabis) ; हिस्टीरिया के दौरे पड़ते हों तो भांग में थोडा हींग मिलाकर मटर के बराबर गोली सवेरे शाम लें । सिर दर्द ठीक करने के लिए भांग के पत्तों की लुगदी को सूंघें । इसके पत्तों के रस की दो -दो बूँद नाक में डालें या इसके पत्तों का पावडर सूंघें।इससे भी सिर दर्द ठीक हो जाता है ।
नींद न आती हो या दौरे पड़ते हों तो , ब्राह्मी , शंखपुष्पी ,सौंफ और भांग बराबर मात्रा में लेकर , एक एक चम्मच सवेरे शाम लें । migraine होने पर ये चूर्ण भी लें तथा भांग पीसकर माथे पर लेप करें । इसका पावडर रात को सूंघने मात्र से ही अच्छी नींद आती है ।
नींद न आती हो तो 5 ग्राम भांग के पावडर में 1-2 ग्राम सर्पगन्धा का पावडर मिलाकर रात को सोते समय लें । हिस्टीरिया में भी इसका पावडर लाभ करता है ।
मेंहदी (henna ) ; अगर मूर्छा आती हो , तो कुछ पत्तों का शरबत तुरंत पीयें ; आराम मिलेगा ।
पवित्रता और सुन्दरता से भरे इस फूल में दैवी गुण विद्यमान हैं । इसकी माला धारण करने मात्र से मन की प्रसन्नता बढ़ती है । इसे घर में लगाने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं और ग्रहों की शान्ति होती है ।
देसी गुलाब (rose) ; Stress हो या नींद न आती हो , या फिर मानसिक थकावट हो ; सिरहाने के पास इसका गुदस्ता रखकर सोयें . फिर देखिये परिणाम ! इसके फूल की पंखुडियां तकिये के नीचे रखकर सोयें । इसका पौधा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को भगाता है । चन्दन को गुलाबजल में घिसकर माथे पर लगाने से मस्तिष्क को आराम मिलता है . Migraine तक अच्छा होता है ।
अनार (pomegranate) ; यदि अनिंद्रा या टेंशन है तो इसकी 2-3 ग्राम कोमल पत्तियों को कुचलकर 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनायें और सोने से पहले ले लें ।
पलाश (flame of the forest ) ; नींद कम आने पर इसके बीज के पावडर में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें ।
सहदेवी ; सहदेवी का पौधा नींद न आने वाले मरीजों के लिए सबसे अच्छा है । इसे सुखाकर तकिये के नीचे रखने से अच्छी नींद आती है । इसके नन्हे पौधे गमले में लगाकर सोने के कमरे में रख दें । बहुत अच्छी नींद आएगी ।
ब्राह्मी ; बुद्धि को तीव्र करने या याददाश्त को बढ़ने के लिए लेना हो तो ,सवेरे 4-6 इसकी पत्तियां चबा-चबाकर खाएं। फिर पानी पी लें। इससे मन शांत होता है। एकाग्रता भी बढ़ती है। पत्ते थोड़े कडवे होते हैं। अत: इसके सूखे पत्ते 250 ग्राम +बादाम 250 ग्राम +काली मिर्च 20 ग्राम +500 ग्राम मिश्री ; इन सबको मिलाकर रख लें और इस मिश्रण का एक- एक चम्मच सवेरे शाम लें।
मिर्गी , उन्माद , मंदबुद्धि या over activity की शिकायत हो तो इसके पौधे का पंचांग सुखाकर सवेरे शाम लें। नींद कम हो तो 2-3 ग्राम के मात्रा दूध में पकाकर लें . उन्माद होने पर 10 ग्राम ब्राह्मी +5 ग्राम कूठ , दोनों मिला लें। इस मिश्रण को 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम शहद के साथ चटायें।
अर्जुन ; इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से लाभ होता है। ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं। जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें। इस काढ़े से घबराहट , बेचैनी , नींद टूटना जैसी बीमारियाँ भी ठीक होती है।
रतनजोत (onosma) ; सिर में लगाने वाले तेल में अगर रतनजोत के कुछ टुकड़े ड़ाल दिए जाएँ तो तेल का रंग तो सुंदर हो ही जाता है ; इस तेल के प्रयोग से बाल स्वस्थ और काले हो जाते हैं। साथ ही इस तेल से मस्तिष्क की ताकत भी बढ़ती है।
इसको घिसकर माथे पर लगाने से मानसिक क्षमता बढ़ती है और डिप्रेशन आदि बीमारियाँ नहीं होने पाती।
इसके पौधे की जड़ का पावडर एक ग्राम सवेरे शाम लिया जाए तो , मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जाते हैं।
ये सभी जड़ी बूटियाँ प्राप्त करने में कठिनाई हो तो मेधावटी का प्रयोग करें । इसमें इन सभी जड़ी बूटियों की उचित मात्रा होती है |
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