दाँत में दर्द होना , मसूढ़ों से खून आना , पायरिया आदि कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं जो व्यक्ति को बहुत परेशान कर सकती हैं । कुछ जड़ी बूटियाँ ऐसी हैं , जो इससे काफ़ी राहत दिलाती हैं :
अकरकरा ; अगर देखना है कि आयर्वेद तुरन्त चमत्कार दिखा सकता है तो दाँत में दर्द होने पर , एक अकरकरा का फूल दाँतों में रखकर चबाएँ और लार बाहर निकालते रहें । आप देखेंगे कि दांत का दर्द तुरन्त ठीक हो जाता है । अगर प्रतिदिन सुबह सुबह अकरकरा का एक फूल दांतों से चबाएँ और उसी लार से मसूढ़ों की मालिश करें , तो दांतों और मसूढ़ों की समस्या ही नहीं आएगी । इससे मुँह की सफाई भी अच्छी तरह से हो जाती है ।
अकरकरा के फूल + फिटकरी (इसे गर्म तवे पर फुला लें ) + लौंग + नमक ; इन सबका बिलकुल बारीक मंजन बनाकर हर रोज़ दांतों पर करने से दांतों में कोई भी विकार नहीं होने पाते ।
अकरकरा के फूल पत्ते आदि उबालकर काढ़ा पीएँ और कुल्ले करें , तो मुख की दुर्गन्ध खत्म होती है । इस काढ़े के गरारे करने से गला भी अच्छा हो जाता है ।
तुलसी ; अगर दांतों में दर्द या पायरिया आदि बीमारी है तो तुलसी के पत्ते , काली मिर्च और नमक मिलकर थोड़ा कूटकर , एक रुई के फाहे में रखें । अब इस फाहे को दांत में दबा लें और लार बाहर निकल दें । इससे आराम आता है । इस लार से मसूढ़ों की मालिश भी कर सकते है । 3-4 पत्ते तुलसी +3-4 काली मिर्च +2-3 लौंग + नमक मिलाकर उबालें । इस पानी से कुल्ले करें और मसूढ़ों की मालिश करें। इससे दांत और मसूढ़े स्वस्थ होंगे । इससे गरारे करने पर गला भी ठीक रहेगा ।
गन्ना ; सुबह सुबह थोड़ा सा गन्ना रोज़ चूसा जाए तो दांत और मसूढ़े तो स्वस्थ होते ही हैं ; हाजमा भी ठीक रहता है ।
वचा ; बच्चों के दांत निकलते समय बहुत परेशानी होती है । वचा की जड़ का पाउडर आधा ग्राम + सुहागे की खील फुलाकर , बिल्कुल बारीक करके , बच्चे के मसूढ़ों पर हल्के हल्के मलें । इससे दाँत निकलते समय कोई परेशानी नहीं होगी । दाँत निकलते समय बच्चों को जो दस्त लगते हैं , उनसे भी छुटकारा मिलेगा । कोई परेशानी या कष्ट नहीं होगा ।
बावची (बाकुची) ; बावची जंगल में खूब मिलती है । इसकी जड़ पीसकर , उसमें फिटकरी की खील मिलाकर , बारीक मंजन बना लें । इस मंजन को हर रोज़ दांतों पर करने से दांतों में कीड़े नहीं लगते , पायरिया नहीं होता और दांतों का दर्द दूर हो जाता है ।
अपामार्ग (चिरचटा) ; यह seasonal पौधा है । इसकी डंडी की दातुन हर रोज़ करने से बुढ़ापे तक दांत बिल्कुल सही सलामत रह सकते हैं । संस्कृय के ग्रंथों में तो अपामार्ग की दातुन को ही सर्वश्रेष्ठ बताया गया है । ताज़ी दातुन मिल सके तो बहुत अच्छा है , अन्यथा इसकी डंडियाँ सुखाकर रख दें । रात को पानी में भिगोकर रखें और सुबह उठकर उस डंडी से दातुन करें । वैष्णवी परम्परा में तो अपामार्ग को बहुत पवित्र भी माना गया है । बहुत से आदिवासी और ग्रामीण लोग इसी से ही दातुन करते हैं और उनके दांत बुढ़ापे तक स्वस्थ रहते हैं । कई शहरों में तो अपामार्ग का नाम ही दातौन है ।
मसूढ़ों या जाड़ में दर्द हो या पायरिया हो ; इसकी दातुन को पांच मिनट तक चबाते रहें । इसकी लार मसूढ़ों में अच्छी प्रकार लगने दें । मसूढ़ों की मालिश करें ।
अगर मुँह में छाले हो गए हैं तो इसकी पत्तियाँ अच्छी तरह चबाकर थूक दें । छाले ठीक हो जाएँगे । दांत में cavity है तो इसके पत्तों का रस रुई में लगाकर cavity में रख दें । cavity भर जाती है ।
पियाबासा ; जंगलों में चार प्रजातियों का पियाबासा मिलता है । इसमें से सफेद , काला और पीला ; ये तीन प्रजातियां अधिक प्रयोग में लाई जाती हैं । इसकी 8-10 पत्तियां पानी में उबालकर , कुल्ला व गरारे करने से दाँत का दर्द , मसूढ़ों का दर्द आदि ठीक हो जाते हैं ।
इसकी पत्तियों का स्वाद थोड़ा तीखा होता है । इसकी 1-2 पत्तियाँ + आधा अकरकरा का फूल ; दोनों मिलाकर चबाएँ और लार को बाहर निकाल दें । इससे मुख की शुद्धि होती है , दुर्गन्ध दूर होती है , मसूढ़ों का infection खत्म होता है और मुंह में कम लार बनती हो तो वह भी ठीक हो जाती है ।
इसके पत्ते पीसकर उसमें सरसों का तेल + हल्दी +नमक मिलाकर पेस्ट बनाएँ । इस पेस्ट से रोज़ दांत साफ़ करने से दांतों और मसूढ़ों की कोई परेशानी नहीं होती ।
अमरुद ; अगर मसूढ़ों में दर्द हो तो इसकी पत्तियाँ कूटकर , उसमे 1-2 लौंग और नमक मिला लें । इसे पानी में उबालकर , उस पानी से कुल्ले व गरारे करें । यह बाजार के सभी mouthwash से बेहतर है । इससे मसूढ़े ठीक हो जाते हैं और मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
अगर मुंह में छाले हो गए हों तो अमरुद की कोमल पत्तियाँ चबाएँ । इसकी लार चाहे तो निगल लें या फिर बाहर निकाल दें । इससे मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे । इसके पत्तों को चबाने से दांत का दर्द भी ठीक हो जाता है । अमरुद के पत्तों के साथ लौंग मिलाकर , कूटकर , काढ़ा बनाएं । इस पानी से कुल्ले करने से दांत का दर्द ठीक होता है ।
पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori ) ; दाँत में दर्द है या मसूढ़ों में संक्रमण है तो इसे चबा चबाकर मसूढ़ों के चारों तरफ अच्छी तरह घुमाएँ । फिर इसे निगल लें । इससे पेट भी ठीक रहेगा ।
चांगेरी (indian sorrel) ; दांतों को मजबूत करना है तो , चांगेरी +लौंग +हल्दी +सेंधा नमक +फिटकरी ; इन सबको मिलाकर महीन पावडर करें और नित्यप्रति मंजन करें . इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे । मसूढ़ों में पस हो जाए तो इसके पत्तों के रस से मसूढ़ों की मालिश करें या फिर इसके पत्तों के रस में फिटकरी मिलाकर कुल्ले करें ।
कीकर या बबूल ; दांतों को स्वस्थ रखने के लिए इसकी दातुन बहुत अच्छी मानी जाती है . मसूड़े फूल गये हों तो इसकी पत्तियां चबाकर मालिश करने के बाद थूक दें . इससे मुंह के छाले भी ठीक होते हैं ।
ममीरा ( gold thread cypress) ; दांत दर्द हो या मुंह में घाव और छाले हो गये हों तो इसकी पत्तियां चबाएं . इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे ।
तुम्बरू (toothache tree) ; इसके दातुन से दांत साफ़ करते रहने से लारग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है । इसके दो चार बीजों को मुंह में रखने से भी लार का स्राव बढ़ जाता है जो कि दांतों को भी स्वस्थ रखता है और पाचन में भी सहायक है । दांतों में दर्द हो ,पायरिया हो या मसूढ़े ठीक न हों तो तुम्बरू के बीजों का पावडर लिया जा सकता है ।
धातकी (woodfordia) ; दांतों के लिए इसके फूल और पत्ते लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ले करें ।
भृंगराज ; अगर जाड में दर्द है तो इसके पत्तों का चार बूँद रस विपरीत कान में डालने से तुरंत लाभ होता है ।
तिल (sesame) ; दांत स्वस्थ रखने हों तो , सवेरे -सवेरे 10 ग्राम काले तिल खाली पेट चबाचबाकर खाएं । एक बार में 2 ग्राम तिल अच्छी तरह चबाएं और निगल जाएँ । इससे मसूढ़े तो स्वस्थ होंगे ही ; शक्ति भी प्राप्त होगी ।
बाकुची (psoralea seeds) ; दन्त रोग में या पायरिया में बाकुची की जड़ के पावडर के साथ फिटकरी की खील मिलाकर मंजन करें ।
हल्दी (turmeric) ; मसूढ़ों की परेशानी है तो हल्दी सरसों का तेल और नमक मिलाकर हौले हौले मसूढ़ों पर मलें । मुंह से दुर्गन्ध आने पर नमक और हल्दी मिलाकर कुल्ले करें ।
कंटकारी , कटैली ( yellow berried nightshade) ; जाड में दर्द हो तो इसका रस रुई में लगाकर जाड के नीचे रखें । इसको पानी में उबालकर उस पानी के कुल्ले करें |
गेंदा (african merigold ) ; दांत या मसूढ़ों में सूजन या दर्द है तो इसके फूलों की पत्तियां या इसकी हरी पत्तियां चबाकर , उँगलियों से मसूढ़े की मालिश करें । बाद में अच्छे से कुल्ला कर लें इसके अतिरिक्त इसके फूलों के रस में सेंधा नमक मिलकर मसूढ़ों की मालिश करने से भी आराम मिलता है ।
अग्निशिखा ; अगर दाँयी जाड में दर्द है , तो बाँये हाथ के अंगूठे की जड़ में इसका कन्द घिसकर लेप करें तो दर्द में आराम मिलता है |
देसी गुलाब (rose) ; इसके फूल चबाने से मसूढ़े और दांत अच्छे रहते हैं । .
जामुन ; दांत मजबूत करने हैं तो इसकी छाल की राख में नमक मिलाकर मंजन करें।
अकरकरा ; अगर देखना है कि आयर्वेद तुरन्त चमत्कार दिखा सकता है तो दाँत में दर्द होने पर , एक अकरकरा का फूल दाँतों में रखकर चबाएँ और लार बाहर निकालते रहें । आप देखेंगे कि दांत का दर्द तुरन्त ठीक हो जाता है । अगर प्रतिदिन सुबह सुबह अकरकरा का एक फूल दांतों से चबाएँ और उसी लार से मसूढ़ों की मालिश करें , तो दांतों और मसूढ़ों की समस्या ही नहीं आएगी । इससे मुँह की सफाई भी अच्छी तरह से हो जाती है ।
अकरकरा के फूल + फिटकरी (इसे गर्म तवे पर फुला लें ) + लौंग + नमक ; इन सबका बिलकुल बारीक मंजन बनाकर हर रोज़ दांतों पर करने से दांतों में कोई भी विकार नहीं होने पाते ।
अकरकरा के फूल पत्ते आदि उबालकर काढ़ा पीएँ और कुल्ले करें , तो मुख की दुर्गन्ध खत्म होती है । इस काढ़े के गरारे करने से गला भी अच्छा हो जाता है ।
तुलसी ; अगर दांतों में दर्द या पायरिया आदि बीमारी है तो तुलसी के पत्ते , काली मिर्च और नमक मिलकर थोड़ा कूटकर , एक रुई के फाहे में रखें । अब इस फाहे को दांत में दबा लें और लार बाहर निकल दें । इससे आराम आता है । इस लार से मसूढ़ों की मालिश भी कर सकते है । 3-4 पत्ते तुलसी +3-4 काली मिर्च +2-3 लौंग + नमक मिलाकर उबालें । इस पानी से कुल्ले करें और मसूढ़ों की मालिश करें। इससे दांत और मसूढ़े स्वस्थ होंगे । इससे गरारे करने पर गला भी ठीक रहेगा ।
गन्ना ; सुबह सुबह थोड़ा सा गन्ना रोज़ चूसा जाए तो दांत और मसूढ़े तो स्वस्थ होते ही हैं ; हाजमा भी ठीक रहता है ।
वचा ; बच्चों के दांत निकलते समय बहुत परेशानी होती है । वचा की जड़ का पाउडर आधा ग्राम + सुहागे की खील फुलाकर , बिल्कुल बारीक करके , बच्चे के मसूढ़ों पर हल्के हल्के मलें । इससे दाँत निकलते समय कोई परेशानी नहीं होगी । दाँत निकलते समय बच्चों को जो दस्त लगते हैं , उनसे भी छुटकारा मिलेगा । कोई परेशानी या कष्ट नहीं होगा ।
बावची (बाकुची) ; बावची जंगल में खूब मिलती है । इसकी जड़ पीसकर , उसमें फिटकरी की खील मिलाकर , बारीक मंजन बना लें । इस मंजन को हर रोज़ दांतों पर करने से दांतों में कीड़े नहीं लगते , पायरिया नहीं होता और दांतों का दर्द दूर हो जाता है ।
अपामार्ग (चिरचटा) ; यह seasonal पौधा है । इसकी डंडी की दातुन हर रोज़ करने से बुढ़ापे तक दांत बिल्कुल सही सलामत रह सकते हैं । संस्कृय के ग्रंथों में तो अपामार्ग की दातुन को ही सर्वश्रेष्ठ बताया गया है । ताज़ी दातुन मिल सके तो बहुत अच्छा है , अन्यथा इसकी डंडियाँ सुखाकर रख दें । रात को पानी में भिगोकर रखें और सुबह उठकर उस डंडी से दातुन करें । वैष्णवी परम्परा में तो अपामार्ग को बहुत पवित्र भी माना गया है । बहुत से आदिवासी और ग्रामीण लोग इसी से ही दातुन करते हैं और उनके दांत बुढ़ापे तक स्वस्थ रहते हैं । कई शहरों में तो अपामार्ग का नाम ही दातौन है ।
मसूढ़ों या जाड़ में दर्द हो या पायरिया हो ; इसकी दातुन को पांच मिनट तक चबाते रहें । इसकी लार मसूढ़ों में अच्छी प्रकार लगने दें । मसूढ़ों की मालिश करें ।
अगर मुँह में छाले हो गए हैं तो इसकी पत्तियाँ अच्छी तरह चबाकर थूक दें । छाले ठीक हो जाएँगे । दांत में cavity है तो इसके पत्तों का रस रुई में लगाकर cavity में रख दें । cavity भर जाती है ।
पियाबासा ; जंगलों में चार प्रजातियों का पियाबासा मिलता है । इसमें से सफेद , काला और पीला ; ये तीन प्रजातियां अधिक प्रयोग में लाई जाती हैं । इसकी 8-10 पत्तियां पानी में उबालकर , कुल्ला व गरारे करने से दाँत का दर्द , मसूढ़ों का दर्द आदि ठीक हो जाते हैं ।
इसकी पत्तियों का स्वाद थोड़ा तीखा होता है । इसकी 1-2 पत्तियाँ + आधा अकरकरा का फूल ; दोनों मिलाकर चबाएँ और लार को बाहर निकाल दें । इससे मुख की शुद्धि होती है , दुर्गन्ध दूर होती है , मसूढ़ों का infection खत्म होता है और मुंह में कम लार बनती हो तो वह भी ठीक हो जाती है ।
इसके पत्ते पीसकर उसमें सरसों का तेल + हल्दी +नमक मिलाकर पेस्ट बनाएँ । इस पेस्ट से रोज़ दांत साफ़ करने से दांतों और मसूढ़ों की कोई परेशानी नहीं होती ।
अमरुद ; अगर मसूढ़ों में दर्द हो तो इसकी पत्तियाँ कूटकर , उसमे 1-2 लौंग और नमक मिला लें । इसे पानी में उबालकर , उस पानी से कुल्ले व गरारे करें । यह बाजार के सभी mouthwash से बेहतर है । इससे मसूढ़े ठीक हो जाते हैं और मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
अगर मुंह में छाले हो गए हों तो अमरुद की कोमल पत्तियाँ चबाएँ । इसकी लार चाहे तो निगल लें या फिर बाहर निकाल दें । इससे मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे । इसके पत्तों को चबाने से दांत का दर्द भी ठीक हो जाता है । अमरुद के पत्तों के साथ लौंग मिलाकर , कूटकर , काढ़ा बनाएं । इस पानी से कुल्ले करने से दांत का दर्द ठीक होता है ।
पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori ) ; दाँत में दर्द है या मसूढ़ों में संक्रमण है तो इसे चबा चबाकर मसूढ़ों के चारों तरफ अच्छी तरह घुमाएँ । फिर इसे निगल लें । इससे पेट भी ठीक रहेगा ।
चांगेरी (indian sorrel) ; दांतों को मजबूत करना है तो , चांगेरी +लौंग +हल्दी +सेंधा नमक +फिटकरी ; इन सबको मिलाकर महीन पावडर करें और नित्यप्रति मंजन करें . इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे । मसूढ़ों में पस हो जाए तो इसके पत्तों के रस से मसूढ़ों की मालिश करें या फिर इसके पत्तों के रस में फिटकरी मिलाकर कुल्ले करें ।
कीकर या बबूल ; दांतों को स्वस्थ रखने के लिए इसकी दातुन बहुत अच्छी मानी जाती है . मसूड़े फूल गये हों तो इसकी पत्तियां चबाकर मालिश करने के बाद थूक दें . इससे मुंह के छाले भी ठीक होते हैं ।
ममीरा ( gold thread cypress) ; दांत दर्द हो या मुंह में घाव और छाले हो गये हों तो इसकी पत्तियां चबाएं . इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे ।
तुम्बरू (toothache tree) ; इसके दातुन से दांत साफ़ करते रहने से लारग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है । इसके दो चार बीजों को मुंह में रखने से भी लार का स्राव बढ़ जाता है जो कि दांतों को भी स्वस्थ रखता है और पाचन में भी सहायक है । दांतों में दर्द हो ,पायरिया हो या मसूढ़े ठीक न हों तो तुम्बरू के बीजों का पावडर लिया जा सकता है ।
धातकी (woodfordia) ; दांतों के लिए इसके फूल और पत्ते लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ले करें ।
भृंगराज ; अगर जाड में दर्द है तो इसके पत्तों का चार बूँद रस विपरीत कान में डालने से तुरंत लाभ होता है ।
तिल (sesame) ; दांत स्वस्थ रखने हों तो , सवेरे -सवेरे 10 ग्राम काले तिल खाली पेट चबाचबाकर खाएं । एक बार में 2 ग्राम तिल अच्छी तरह चबाएं और निगल जाएँ । इससे मसूढ़े तो स्वस्थ होंगे ही ; शक्ति भी प्राप्त होगी ।
बाकुची (psoralea seeds) ; दन्त रोग में या पायरिया में बाकुची की जड़ के पावडर के साथ फिटकरी की खील मिलाकर मंजन करें ।
हल्दी (turmeric) ; मसूढ़ों की परेशानी है तो हल्दी सरसों का तेल और नमक मिलाकर हौले हौले मसूढ़ों पर मलें । मुंह से दुर्गन्ध आने पर नमक और हल्दी मिलाकर कुल्ले करें ।
कंटकारी , कटैली ( yellow berried nightshade) ; जाड में दर्द हो तो इसका रस रुई में लगाकर जाड के नीचे रखें । इसको पानी में उबालकर उस पानी के कुल्ले करें |
गेंदा (african merigold ) ; दांत या मसूढ़ों में सूजन या दर्द है तो इसके फूलों की पत्तियां या इसकी हरी पत्तियां चबाकर , उँगलियों से मसूढ़े की मालिश करें । बाद में अच्छे से कुल्ला कर लें इसके अतिरिक्त इसके फूलों के रस में सेंधा नमक मिलकर मसूढ़ों की मालिश करने से भी आराम मिलता है ।
अग्निशिखा ; अगर दाँयी जाड में दर्द है , तो बाँये हाथ के अंगूठे की जड़ में इसका कन्द घिसकर लेप करें तो दर्द में आराम मिलता है |
देसी गुलाब (rose) ; इसके फूल चबाने से मसूढ़े और दांत अच्छे रहते हैं । .
अनार (pomegranate ) ; अनार के छिलके का पावडर करके उसमें हल्दी ,नमक और सरसों का तेल मिलाकर मंजन करने से मसूढ़े मजबूत होते हैं ।
मरुआ ; मुंह से दुर्गन्ध आती हो तो इसके पत्ते मुंह में चबाएं । मसूढ़ों में सूजन हो तो इसके पत्ते पानी में उबालकर नमक मिलाकर कुल्ले करें ।
कचनार ; दन्त रोग हो तो इसकी छाल के कोयले को महीन कर के मंजन करें ।
मुंह पक जाए , या मुंह में छाले हों या मुंह से दुर्गन्ध आती हो तो इसकी छाल का काढ़ा पीयें और कुल्ले भी करें । मरुआ ; मुंह से दुर्गन्ध आती हो तो इसके पत्ते मुंह में चबाएं । मसूढ़ों में सूजन हो तो इसके पत्ते पानी में उबालकर नमक मिलाकर कुल्ले करें ।
कचनार ; दन्त रोग हो तो इसकी छाल के कोयले को महीन कर के मंजन करें ।
जामुन ; दांत मजबूत करने हैं तो इसकी छाल की राख में नमक मिलाकर मंजन करें।
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