Thursday, October 2, 2014

पेट के रोग (stomach diseases)

पेट के रोग व इससे जुडी अन्य बीमारियाँ  विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से ठीक हो सकती हैं । आम तौर पर आस पास ही  मिलने वाले पेड़ पौधों के प्रयोग से  पेट की कई समस्याओं का निदान हो सकता है ।

पीपल ; पीपल के पके हुए पत्तों को कूटकर उसे चाय की तरह पीएँ तो पेट में आराम आता है । इन पत्तों के साथ गुलाब की पत्तियां और मुलेठी को भी चाय में डाला जा सकता है । इसके प्रयोग से आँतों के घाव , अल्सर आदि भी ठीक होते हैं । शरीर के विजातीय तत्व(toxins) भी बाहर निकल जाते हैं । आँतों में bleeding होती है ; तब भी पीपल के पत्तों का काढ़ा लाभकारी रहता है । पीपल की पत्तियां डंठल समेत कूटकर , रस निकालकर पीने से आँतों का घाव भर जाता है । आँतों की सूजन और infection भी ख़त्म हो जाता है । 

अमरुद ; अपच , गैस, कब्ज़ व पेट की अन्य सभी बीमारियाँ ख़त्म हो सकती हैं; यदि अमरुद का नियमित सेवन किया जाए । जिनको अपच(indigestion) की शिकायत है वे अमरूद का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं । जिनको अतिसार या दस्त लगने की शिकायत है ; वे अमरुद के पत्ते +अमरुद की छाल और आधा ग्राम सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें । इस काढ़े से liver सम्बन्धी बीमारियों में भी आराम मिलेगा । अमरुद की कोमल पत्तियों को छाया में सुखा लें । इसे मोटा मोटा कूट लें । इसमें 1 -2 पत्तियां तुलसी की मिला लें । मरुआ ,मुलेठी , काली मिर्च, लौंग अदरक आदि भी मिला सकते हैं । इस चाय का नियमित प्रयोग करने से पेट व  शरीर की अन्य बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है । इस चाय का स्वाद भी बहुत अच्छा होता है और उसमे भीनी भीनी खुशबू भी आती है । 
बच्चों को दस्त लग जाएँ तो अमरूद की जड़ का छिलका 2 -5 ग्राम की मात्रा तक पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिला सकते हैं । अमरुद में नमक डालकर खाते रहने से पेट के कीड़े मर जाते हैं । 

सफेद प्याज ; प्याज के पत्तों की चटनी पीसकर नियमित रूप से कुछ दिनों तक खाने से पाचन क्रिया ठीक हो जाएगी । पेट में दर्द होने पर प्याज के रस में थोड़ा हींग मिलकर पेट पर लगाने से आराम आता है । पेट में अफारा होने पर प्याज के रस में थोड़ा हींग और सेंधा नमक मिलकर लेने से एकदम आराम आता है । 
खूनी बवासीर में प्याज के रस में मिश्री मिलकर पीएँ । इससे बवासीर में जल्द ही आराम मिल जाएगा । 

विधारा ; अल्सर के रोगियों के  विधारा के पत्ते बड़े लाभकारी हैं । खूनी दस्त लगने पर अगर खून रुक ही नहीं रहा है तो 2 -3 विधारा के पत्तों को कूट लें इसमें पानी मिलाकर एक कप बना लें इसे छानकर मिश्री मिलकर पीयें । इसे नियमित रूप से लेने पर आराम होगा । ulcerative colitis में भी यह प्रयोग लाभकारी है ।  रस से अंदर अंदर के घाव भर जाते हैं ।

मालती ; इसके फूल व पत्तों का रस निकालकर पीने से आँतों की कमजोरी व पेट के रोगों में लाभ होगा । भूख कम लगने पर यह पौधा बड़ा सहयोग करता है । अगर digestive juices कम निकल रहे हों तो इसके रस को लेने से लाभ होगा । यह रस छोटे बच्चों को भी दिया जा सकता है ।

भाँग ; जिनको amoebisis , colitis आदि हो , बार बार शौच जाना पड़ता हो तो भांग बहुत ही लाभकारी है । इसके लिए 100 ग्राम पकी हुई बेल का सूखा गूदा ,+ 20 ग्राम भांग + 30 ग्राम सौंफ मिलाकर , पाउडर करके रखें । इसे सुबह शाम ताज़े पानी के साथ लें । पेट के लिए, आँव आदि के लिए , यह पाउडर बहुत लाभकारी है । यह भूख को भी बढाता है । जिनको भूख कम लगती हो , वे काली मिर्च और भांग के चूर्ण को अदरक के रस में घोटकर , चने के बराबर गोली बनाकर सेवन करें । इससे पाचन क्रिया भी ठीक होगी ।

मुलेठी ; मुलेठी का काढ़ा लेने से पेट की सभी समस्याएँ ठीक होती हैं ।

अपराजिता ; यह पेट के लिए लाभदायक है लेकिन थोड़ी विरेचक हो सकती है । अत: इसका थोड़ी कम मात्रा  में प्रयोग करना चाहिए । कब्ज़ लिए बहुत उपयोगी है ।

पित्त पापड़ा ; भयानक acidity की समस्या है , तो पित्त पापड़ा की कुछ पत्तियां चबा लो । एकदम आराम आएगा । इसकी पत्तियां चबाकर पानी पी लें । इससे आँतों के घाव भी ठीक हो जाते हैं । बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हैं तो पित्त पापड़ा का सूखा पाउडर लेकर इसमें वायविडंग का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाएं । 1 -1 ग्राम की मात्रा में बच्चों को यह दें । इससे पेट के कीड़े तो खत्म होंगे ही ; पेट भी साफ़ होगा । आँतों का इन्फेक्शन भी खत्म होगा । बड़े 2 -2 ग्राम की मात्रा में इस पाउडर को ले सकते हैं । केवल पित्त पापडे को सुखाकर उसका पाउडर लेना भी लाभकारी रहता है । इसका कोई भी side effect नहीं है ।
विदेशों से आने वाले लोग जब भारत में आते हैं तो उन्हें खाने पीने में पेट में कुछ परेशानी महसूस हो सकती है । लेकिन पित्त पापड़ा का पाउडर लेते रहें तो कोई दिक्क्त नहीं होगी बल्कि पाचन भी ठीक हो जाएगा ।

पिया बासा ; अगर दस्त लगे हुए हैं तो पिया बासा का 2 -3 चम्मच रस 1 ग्राम सौंठ (dry ginger) में मिलकर लें । दस्त में आराम आएगा । इसके रस से blood dysentery , आँतों या liver की सूजन में भी आराम आता है ।
इसका पंचांग + सौंठ + अश्वगंधा की जड़ मिलाकर, काढ़ा बनाकर, लेने से आँतों की सूजन खत्म होती है , कमजोरी दूर होती है और dysentery भी ठीक होती है ।
भयानक एसिडिटी हो तो इसका 2 चम्मच रस पानी मिलाकर पी लें । इससे आँतों का infection भी ठीक होगा ।

पलाश (ढ़ाक) ; इसके 5-10 ग्राम फूल आधा लीटर पानी में रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे मसलकर , छानकर , पीयें । इससे शरीर के अंदर की गर्मी दूर होती है । पेट ठीक रहता है और ulcer इत्यादि नहीं होते ।
इसकी फलियाँ कृमिनाशक होती हैं । इसके बीजों को पानी में उबालकर छिलका उतारकर पाउडर करके रख लें । बच्चों के पेट में कीड़े होने पर , पहले थोड़ा गुड खिला दें । बाद में इसके बीजों का पाउडर थोड़ा सा दे दें ।
इसकी जड़ के छिलके का काढ़ा अतिसार (dysentery), ulcerative colitis आदि को ठीक करता है ।

ककड़ी ; अगर आँतों में infection हो , या acidity की समस्या हो तो 4 ग्राम मुलेठी + 1ग्राम ककड़ी के बीजों को रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे छानकर पीयें । आराम आएगा ।

नागफणी ; यह कांटेदार पौधा कब्ज़ में बहुत काम आता है । इसको तोड़ने पर जो दूध निकलता है ; उसकी 1-2 बूँद बताशे में रखकर खाएँ । ऊपर से पानी पी लें । परन्तु ध्यान रहे कि बहुत अधिक मात्रा में न लें। इसका दूध आँख में नहीं गिरना चाहिए . यह अंधापन ला सकता है । 

बबूल (कीकर) ;  अगर भूख कम लगती हो , indigestion हो तो इसकी फलियों का पाउडर प्रात: सायं लें । कब्ज़  होने पर कीकर की फली का पाउडर + मुलेठी + सूखा आंवला बराबर मात्रा में मिलकर रख लें । इसकी 5 ग्राम की मात्रा लेकर 200 ग्राम पानी में मंदी आँच पर पकाकर काढ़ा बनाएं और छान कर पी लें । ऐसा लगातार करने से indigestion , आँतों की समस्या , आँतों के घाव आदि सब ठीक हो जाते हैं ।
यह काढ़ा इतना प्रभावशाली है की इसे लेते रहने से बढ़ा हुआ बिलुरुबिन भी ठीक हो जाता है । SGOT  और SGPT का स्तर भी सामान्य हो जाता है ।
संग्रहणी , आँव या पेचिश की शिकायत हो तो कीकर की छाल + कुटज की छाल बराबर मात्रा  में मिलाकर ; उसकी 5 ग्राम की मात्रा लें । इसका काढ़ा बनाकर पीयें । इससे amoebisis भी ठीक होता है ।

करेला ;  भयानक कब्ज़ है और मल कठिनाई से निकल रहा हो तो करेले की सब्ज़ी का सेवन करें । सब्ज़ी में तेल अधिक न हो ।
छोटे बच्चों को पेट का अफ़ारा होने पर , करेले के पत्ते का एक बूँद रस बच्चे जीभ पर रख दें । अफ़ारा अपच आदि सब ठीक हो जाएगा । इतने छोटे बच्चे को भी यह दिया जा सकता है ; जो की अन्न भी न लेता हो !
पेट के कीड़े समाप्त करने हों तो करेले का रस या इसके पत्तों का रस 50 -100 मल तक सवेरे ले सकते हैं । यह  रस बहुत ज़्यादा नहीं लेना चाहिए । इससे दस्त लग सकते हैं । piles की बीमारी भी इस रस को लेने से ठीक हो जाती है ।

गंभारी ; acidity की समस्या हो तो गंभारी के 1 -2 फल  पानी पी लें । इसके फल को सुखाकर पाउडर बनाकर रख लें । यह मृदु विरेचक है । इसे लेने से दस्त नहीं लगते ; परन्तु सूखा मल निकल जाता है । आँतों के घाव भर जाते हैं , अल्सर आदि की समस्या ठीक हो जाती है । acidity होने पर यह पाउडर भी लिया जा सकता है ।

धनिया ; एक चम्मच धनिए का पाउडर ठन्डे पानी के साथ लेने से acidity ठीक हो जाती है ।

गाजर ;    पेट में अफ़ारा हो तो अजवायन ,जीरा और गाजर के बीज मिलाकर लिया जा  सकता  है ।

अमरुद  ;  अमरुद को संस्कृत भाषा में दृढबीजम कहा जाता है । इसके बीज कठोर होते हैं । उन्हें चबाना कठिन है ।  उन्हें चबाना ही नहीं चाहिए , बल्कि निगल लेना चाहिए । अमरुद के गूदे को चबाकर बीजों को ऐसे ही निगल लेना चाहिए । इस प्रकार से अमरूद को खाया जाए ,तो यह फल intestines के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । यह फल पेट के लिए लाभकारी और गुणकारी माना गया है । यह कब्ज़ को दूर करने वाला और मन को प्रसन्न रखने वाला फल है । मल को रेचन करने का गुण इसके बीजों में होता है ; बशर्ते कि उन्हें निगला जाए । अपचन होने पर इसकी छाल , पत्तियां और सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और सवेरे शाम पीएँ । संग्रहणी या अतिसार की समस्या से भी यह काढ़ा मुक्ति दिलाता है । इसके ताज़े या सूखे पत्तों में तुलसी मिलाकर चाय भी बनाई जा सकती है । यह बहुत लाभप्रद होती है । छोटे बच्चों को colitis की समस्या हो तो इसकी जड़ का छिलका 2 ग्राम लेकर उसका काढ़ा बनाकर दे सकते हैं ।

गन्ना ;   जूट का ऐसी बोरी (बैग ) लें , जिसमे कि पिछले दो तीन साल पहले गुड का storage किया गया हो । इस बोरी को जलाकर राख कर लें । यह राख औषधि का कार्य करती है । इसकी 2-2 ग्राम  की मात्रा में लेने से दस्त लगे हों तो वे तुरंत बंद हो जाते है । दस्त होने पर गुड के साथ बेल का पावडर भी लिया जा सकता है ।

भुईं आँवला ;     पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें ।  पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा ।  ये digestive system को भी अच्छा करता है । आँतों का infection होने पर या ulcerative colitis होने पर इसके साथ साथ दूब घास को भी जड़ सहित उखाडकर, ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें ।  Bleeding 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगी ।  

ककड़ी  ;      इसे मधुर रस से युक्त मन गया है ; अर्थात यह पित्त का शमन करती है ।  पाचन की कमी को ठीक कर देती है ।  acidity की समस्या को समाप्त कर देती है ।  पाचन ठीक से न हो रहा हो तो ककडी की सब्जी अवश्य खानी चाहिए .। इससे पेट की सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं ।  1 ग्राम ककडी के बीजों के पावडर में 4 ग्राम मुलेठी का पावडर मिलाकर 500 ग्राम पानी मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें ।  सवेरे इसका पानी छानकर पीने से acidity , पेट के अल्सर और infections ठीक हो जाते हैं।  


इलायची  ;    बेल का पावडर 10  ग्राम +1  ग्राम इलायची सुबह शाम लेने से पेट की सभी बीमारियों , जैसे colitis , गैस , अफारा आदि से छुटकारा मिलता है । 

रेवनचीनी (rhubarb )   ;     इसकी जड़ों की शुद्धता की परख कर लेनी चाहिए . इसकी जड़ें हल्की पीली और हल्की खुशबू वाली होती हैं . यह कब्ज़ को भी ठीक करता है . यह मृदु विरेचक है . रेवनचीनी +सौंफ + हरड+त्रिफला बराबर मात्रा  में लेकर सवेरे शाम दो दो ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें . इससे पेट साफ़ तो होता ही है साथ ही आँतों में कम खुश्की होती है . आँतों के घाव भी भरते हैं . केवल रेवनचीनी की जड़ का पावडर दो तीन ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लेने से भी आंतें ठीक रहती हैं . इससे colitis भी ठीक होता है .
                    अगर acidity है तो धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें . अगर दस्त लगे हों तब इसे नहीं लेना चाहिए । 
 संत महात्मा पेट के रोगों में इसकी जड़ों का बहुत प्रयोग करते हैं . वे इसकी जड़ के दो तीन टुकड़ों को दाल या सब्जी में उबाल लेते हैं . फिर उन जड़ों को चबा चबाकर खाते हैं ।  ये थोड़ी कसैली अवश्य लगती हैं ; परन्तु पेट के रोग , पेट के अल्सर , पेट के घाव और पेट के सभी संक्रमणों के लिए लाभकारी हैं ।  

कूठ (costus) ;   शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो , पेट में दर्द हो या किसी अन्य प्रकार का दर्द हो तो , हल्दी+मेथी +सौंठ +अश्वगंधा +कूठ को मिलाकर कुछ दिनों तक लें । 

चांगेरी (indian sorrel)  ;   आँतों में infection हो जाए , तो भी इसके पत्तों की चटनी लें या इसके पत्तों का रस ले लें ।  

अमलतास (purging cassia) ;   इसकी मोटी फलियों के बीच का गूदा मीठा होता है . यह कब्ज़ के लिए , पेट को ठीक रखने के लिए और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अति उत्तम है . अगर पेट को और पाचन तंत्र को ठीक रखना है तो अमलतास की पकी फलियों का 15-20 ग्राम गूदा +8-10 मुनक्का रात को भिगोकर रखें . सुबह इसे मसलकर, छानकर , खाली पेट पीयें ।  यह इतना सौम्य और मृदु विरेचक है कि छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है ।  अगर 2-3 महीने के बच्चे के पेट में अफारा हो जाए तो , अमलतास के गूदे में थोडा हींग मिलाकर नाभि के आसपास लगा दें । 
                           आँतों में घाव , सूजन या संक्रमण हो , acidity की समस्या हो या ulcerative colitis की समस्या हो तो , इसके 15-20 ग्राम गूदे में , 1-2 ग्राम धनिया मिलाकर , रात को मिटटी के बर्तन में भिगो कर रख दें ।  सवेरे खाली पेट ऊपर का पानी निथारकर पी लें . धनिया अधिक न मिलाएं ।  इससे ठण्ड लग सकती है ।  सर्दी-जुकाम हो सकता है
 इसके फूलों का गुलकंद शीतल , सौम्य एवं स्वास्थ्यवर्धक होता है ।  यह पेट के रोगों में लाभकारी होता है ।  इसके फूलों की चटनी और सब्जी पेट के रोगों को ठीक करती है । इसके फूलों को सुखाकर उनका पावडर करके , सवेरे शाम लिया जाए ,  तो पेट ठीक रहता है , पाचन ठीक रहता है ।

गंभारी (verbenaceae) ;   भयानक acidity में इसके दो फल खाकर पानी  पी लें । कहीं भी अल्सर हो गये हों तो , इसके सूखे फल का पावडर , सवेरे शाम पानी के साथ लें ।  इसका फल अपने आप में ही टानिक का कार्य करता है । आंव की बीमारी हो तो मुलेठी +गंभारी की छाल +गंभारी का फल ; इन सबका पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।   
                                           आँतों में infections हों या अन्य कहीं पर भी infections होने पर इसके फल का पावडर सवेरे शाम लें . यह म्रदु विरेचक भी है . इसलिए इसको लेते रहने से constipation की समस्या भी नहीं होती . इसके पत्तों की चाय भी बहुत लाभदायक है | 

शिरीष  ;     दस्त लगने पर इसके बीजों का पावडर आधा ग्राम की मात्रा में लें ।

बबूल या कीकर  ;   Colitis या amoebisis होने पर कुटज +बबूल की छाल का काढ़ा लें ।

बहेड़ा (bellaric myrobalan) ;    इसके फल का अक्सर छिलका ही प्रयोग में लाया जाता है ।  आँतों में संक्रमण हो या acidity की समस्या हो ; इसे त्रिफला के रूप में लिया जा सकता है ।  यह निरापद है। 

लौकी( bottle gourd)  :   लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए . इसका जूस acidity  को कम करता है और indigestion की समस्या को खत्म करता है . इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है . 
                   लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ;  इसका जूस हानिकारक  हो सकता है |  

अतीस या अतिविषा  ;     पेचिश , colitis संग्रहणी या अतिसार होने पर इसका पावडर दही या पानी के साथ लेना चाहिए . Irritable bowel syndrome होने पर , अतीस +बिल्वादी चूर्ण +अविपत्तिकर चूर्ण और मुक्ताशुक्ति भस्म बराबर मात्रा में मिलाकर 3-4 ग्राम की मात्रा में लेना चाहिए ।

ममीरा (gold thread cypress)  ;  आँतों में या पेट में infection हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें |  

निर्गुण्डी (vitex negundo ) ;  अपच हो गया हो तो इसके पत्ते और अदरक उबालकर चाय की तरह पीयें ।  इससे अफारा भी ठीक होगा ।

दूधी , दूधिया घास (milk hedge)  ;   अगर शौच बार बार आ रहा हो या colitis की समस्या हो तो दूधी चबाएं या फिर इसका सूखा पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।  पेचिश हो तो ताज़ी दूधी पीसकर जरा सी फिटकरी मिलाकर लें । 

नागदोन  ;      कब्ज़ हो या पेट में अल्सर हों तो इसके दो पत्ते या उनका रस काली मिर्च के साथ खाली पेट लें । Amoebisis या colitis हो तो दूधी और इसके दो पत्ते लें ।  पेट में अफारा हो तो इसके दो पत्तों का शर्बत खाली पेट लें । 

तुम्बरू (toothache tree)  ;   Indigestion की समस्या रहती हो तो इसका मसाले की तरह प्रयोग करें । अगर पेट में कीड़े हों तो चटनी में तुम्बरू मिलाकर लें ।  इससे पाचन भी बढ़ेगा ।  

महानिम्ब, बकायन(bead tree)  ;   अगर constipation हो और piles की शिकायत हो तो इसके सूखे बीजों का 3 ग्राम पावडर खाली पेट ताज़े पानी या छाछ के साथ सवेरे शाम लें । 

धातकी (woodfordia)  ;  पेट के रोगों के लिए यह बहुत ही अच्छा है . थोड़ी सी कोमल पत्तियों को कूटकर  रस निकालकर दस्त या आंव होने पर ले सकते हैं । अतिसार में या अधिक मरोड़े और ऐंठन हो तो , इसके फूलों का 2 ग्राम पावडर प्रात: सायं छाछ के साथ ले लें । पेट के रोगों के लिए इसका प्रयोग अवश्य होता है |इसके फूल व् पत्तियों का काढ़ा लें , या केवल फूलों का शर्बत लें ।  इसके सूखे फूलों का पावडर भी लिया जा सकता है ।  इससे पेट के रोग ठीक होते हैं ।  यह पौष्टिक तो होता ही है ।

वासा (malabar nut) ;   आँतों के infection में इसमें बराबर मात्रा में मुलेठी मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।    

मुलेठी (licorice root)  ;  पेट में अल्सर या colitis होने पर इसके 5-7 ग्राम पावडर का काढ़ा लें।  पेट में दर्द ,ऐंठन या कब्ज़ हो या मल जमा हो गया हो तो , मुलेठी और त्रिफला पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध या गर्म पानी के साथ लें ।  यह मधुर विरेचक (mild laxative) भी है ।  लेकिन पेट को नुकसान नहीं पहुँचाता ।   

पिप्पली (long pepper)  ;  पेट दर्द के लिए इसका एक ग्राम पावडर शहद के साथ चाटें ।  

तेजपत्ता (bay leaves)  ;  पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम तेजपत्ता और अदरक का काढ़ा शहद मिलाकर लें ।  उबकाई आती हों तो इसकी 5 ग्राम पत्तियां उबालकर सवेरे शाम लें | अफारा या वायु गोला हो तो पत्ते उबालकर सेंधा नमक मिलाकर दें ।    

चित्रक (leadwort)  ;  पेट की बीमारी हो , पेट का अफारा हो या पेट फूलता हो तो , सवेरे खाली पेट इसकी जड़ का काढ़ा लें या पंचकोल (चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) का काढ़ा लें । 

भृंगराज     ;    पेट दर्द या पेट में सूजन हो तो इसके पत्ते पीसकर लेप लगाएं और  इसके पत्तों का रस पिलायें । ताज़ा न मिले तो सूखे पत्तों का पावडर भी दिया जा सकता है । 

भारंगी (turk's turban moon)  ;   पेट का संक्रमण खत्म करना हो तो इसके पंचांग का या फिर पत्तियों का काढ़ा लें | कब्ज़ हो  या हिचकी आती हों ,तब भी इसके पंचांग का काढ़ा लिया जा सकता है |    इसके बीज का पावडर थोड़ी मात्रा में लेने से पेट दर्द व अन्य रोगों में लाभ होता है |     

बेल  ;      अगर पेट की समस्या , colitis है तो पका फल न लें . इसके लिए कच्चे फल का पावडर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें ।   बिल्वादी चूर्ण भी इसके कच्चे फल का चूर्ण है ।  अगर बार -बार शौच आता है तो यह चूर्ण लें ।  संग्रहणी की परेशानी है और bleeding भी हो रही है तो 100 ग्राम कच्चे फल के पावडर में 10 ग्राम सौंठ मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।

lemon grass  ;   पेट के रोग  का एक इलाज है lemon grass ।   इसके दो पत्ते लेकर अच्छी तरह रगडकर एक गिलास पानी में डालकर उबालें ।  फिर छानकर पीयें ।  बहुत भीनी भीनी सुगंध भी आएगी और रंग तो सुंदर लगेगा ही . चाहें तो इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं ।  इस चाय को बनाते समय इसमें  तुलसी के पत्ते भी ड़ाल दें ।  

शरपुंखा  ;    पेट दर्द या अफारा हो या फिर acidity की समस्या ;या फिर डकार आती हों । सब तरह की दिक्कत शरपुन्खा के पंचांग का काढ़ा ठीक कर देता है ।      
  गुलदाउदी ( chrysanthemum)  ;  पेट दर्द होने पर इसके फूलों का रस शहद या पानी के साथ लें ।    

मकोय (black nightshade)  ;     पेट खराब है , आँतों में infection है तो इस का इलाज है मकोय की सब्जी । रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।    

 दूब ( grass )  ;  पेट में acidity हो या ulcer ; infections हों या colitis की समस्या  , सभी का समाधान है कि इसके पत्तों का  तीन चार चम्मच रस खाली पेट ले लें ।  आंव हों तो इस रस में थोड़ी सौंठ भी मिला लें । 
               

कुटज (इन्द्रजौ )  ;   पेट दर्द रहता हो और दस्त लगे हुए हों  तो इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें ।  इसका पानी  सवेरे सवेरे पी लें ।    amoebisis हो त सौंठ, हरड और कुटज की छाल बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम लें । 
यह दस्तों में बड़ी कारगर दवाई है ।  दस्त लगने पर इसकी छाल का पावडर एक -एक ग्राम सवेरे शाम लें ।  या फिर कुटजघनवटी की एक एक गोली सवेरे शाम लें ।  बच्चे को इस गोली का छोटा सा टुकड़ा दें । 

गुड़हल, जबाकुसुम, (shoe flower, china rose) ; अल्सर या colitis होने पर इसकी चार -पांच पत्तियों को पीसकर शरबत बनाकर पीयें | acidity को भी यह दूर करता है ।  

तुलसी (holi basil)  ; पेट में infections हों तो इसमें अदरक , काली मिर्च, नमक और काली मिर्च मिलाकर चटनी बनायें और सेवन करें । 

मालती (rangoon creeper) ;  पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं ।  यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं । 

बथुआ (chenopodium )  ; आँतों में infections या सूजन हो तो इसका साग बहुत लाभकारी है ।  

सफ़ेद प्याज (white onion)  ;  पेट में दर्द हो तो इसके रस में हींग मिलाकर पेट पर लेप करें । इसके अलावा प्याज़ के रस में हींग और सेंधा नमक मिलाकर पी लें । अपच या कब्ज़ हो तो इसकी पत्तियों की चटनी खाएं । 

सेमल (silk cotton tree) ;  इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है ।  

पीपल (sacred fig)  ; अगर ulcerative colitis हो , आँतों में सूजन या infections हों तो पीपल के पत्तों का रस लें । 

भुट्टा (corn)  ;  अगर दस्त लग गए हों तो इसके डंठल की राख ले लें ।  Colitis की समस्या हो तो इसके डंठल की 50 gm राख में 100 gm बेल का पावडर मिला कर एक-एक चम्मच लें ।  

घृतकुमारी (aloe vera)  ;  इसी से कुमारीआसव  बनाया जाता है ।  यह पेट के लिए लाभदायक है ।  ulcer या कब्ज़ होने पर इसके रस में एरंड का तेल डालकर ले लें । 

आँवला   ;   पेट में अल्सर या colitis की समस्या हो या फिर दस्त लगे हों , तो इसका रस या पावडर लाभ देता है ।  पेट साफ़ न हो रहा हो तो इसे नियमित रूप से लेना अच्छा रहता है ।  

करेला (bitter gourd)  ;  कब्ज़ के लिए करेले की सब्जी खाएं । 

अरण्ड (castor) ;  पेट  दर्द में  पानी  में 2 चम्मच  अरण्ड का तेल  और  नीम्बू लिया जा सकता है .पेट दर्द तो खत्म होगा ही ,  साथ ही यह आँतों  को शक्ति  भी देता है ।  दूध में मुनक्का उबालकर  और उसमें अरंडी का  तेल एक चम्मच डालकर सोने से पहले लिया जाये तो कब्ज़ भी नहीं रहता और आंतें भी मज़बूत होती हैं । 
                                     amoebisis  में भी इसके तेल का प्रतिदिन सेवन किया जाए तो लाभ होता है ।  appendix  की परेशानी हो या सूजन हो तो एक या दो चम्मच तेल रात को दूध में डालकर पीयें ।

 हल्दी (turmeric)  ;  कच्ची हल्दी पेट की बीमारी में लाभदायक है । 

मेथी (fenugreek) ;  पेट में संक्रमण हो तो मेथी और अजवायन को मिलाकर बनाया हुआ काढ़ा लिया जा सकता है । 

घृतकुमारी (aloe vera )  ;  यदि पेट में दर्द या अफारा हो तो इसका बीस ग्राम गूदा ले सकते हैं |  

पालक (spinach )  ;   आँतों में सूजन, अल्सर हो तो पालक नहीं लेना चाहिए । 

भाँग (cannabis )  ;  अगर colitis हो या amoebisis हो  तो कच्ची बेल का चूर्ण +सौंफ + भांग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें ।  एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।  

अंजीर (fig)  ;  पाचन शक्ति कम हो गयी है ; तब भी यह भरपूर फायदा करता है ।  अगर constipation है तो इसे लेने से पेट साफ़ हो जाता है ।  

छुईमुई (touch me not)  ;   इसकी जड़ का गाढ़ा सा काढा बनाकर वैसलीन में मिला लें ।  anus बाहर आता है तो toilet के बाद इससे मालिश करें । समस्या ठीक हो जाएगी ।  
 यदि bleeding हो रही है दस्तों की,   तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ ।  

गिलोय  ;   इसे लेने से पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश,  आंव आदि ठीक होते हैं ।

हरसिंगार (night jasmine )  ;   इसकी दो पत्तियां +एक फूल +तुलसी के पत्ते   ये सब लेकर इसको एक गिलास पानी में उबालें और चाय की तरह पी लें ।  इससे पेट का जमा हुआ मल भी निकल जाएगा ।  

देसी गुलाब (rose)  ;      कब्ज़ है तो एक भाग त्रिफला और आधा भाग इस फूल का पावडर मिलाकर लें . 
      गुलकंद लेने से उदर रोग , अल्सर , acidity , कब्ज़ , infections ठीक रहते हैं ।  गुलकंद बनाने का तरीका आसान है . एक किलो देसी गुलाब की पंखुड़ियों में दो किलो चीनी मिलाकर अच्छी तरह रगड़ लें. इसे कांच के बर्तन में डालकर दो- चार दिन धूप दिखा दें . बस बन गया गुलकंद !
आँतों में घाव हो तो 100 ग्राम मुलेटी +50 ग्राम सौंफ +50 ग्राम गुलाब की पंखुडियाँ ; तीनों को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें ।  इसका 100 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें । 

curry leaves  ;    पेट दर्द या अफारा हो तो 2-3 ग्राम पत्तों का काढ़ा 400 ग्राम में पकाकर बनायें ।  अपच हो तो 1-2 ग्राम पत्तों को पानी उबालकर चाय की तरह पिएँ । 

अनार (pomegranate )  ;  अगर दस्त लगे हों तो इसके छिलके के पावडर में कच्ची बेल का पावडर मिलाकर सवेरे शाम ले लें ।

गूलर (cluster fig)  ;   Loose  motions की समस्या हो तो इसकी कोमल पत्तियों का 10-15 ग्राम रस लें ।  पेट में दर्द हो तो इसके फल का पावडर +अजवायन +सेंधा नमक मिलाकर लें ।  पेट के मरोड़े , दर्द , colitis ,infections या amoebisis की समस्या हो तो इसके फलों की सब्जी खाएं ।  

पलाश (flame of the forest)  ;  आंतें ठीक नहीं है , अल्सर हैं ,  तो इसके 5-10 फूल रात को आधा लिटर पानी में भिगोयें और सवेरे उस पानी को मसलकर , छानकर पीयें |  
अगर आधा किलो इसकी जड़ को आठ गुना पानी में उबालते हुए अर्क (distilled water) बनाया जाए तो यह अर्क  ulcerative colitis में बहुत लाभ करता है |        

 मरुआ  ;  इसके पत्तों को चाय में डालकर उबालकर पीयें तो पेट भी ठीक रहता है । अपच अफारा हो तो इसकी चटनी बहुत लाभकारी है । पेट दर्द हो तो इसकी चटनी खाएं , इसका काढ़ा पीयें या ऐसे ही चबाकर रस अंदर लेते रहें ।  

थूहर (milk bush)  ;   इसके दूध में छोटी हरड भिगोकर सुखा दें ।  इस सूखी हुई हरड को घिसकर थोडा सा रात को लिया जाए तो कब्ज़ दूर होता है और पुराने से पुराना मल निकल जाता है ।  

सहदेवी  ;  अगर आँतों में संक्रमण है , अल्सर है या फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें ।  केवल मुलेटी भी पेट के अल्सर ठीक करती है । 

कालमेघ ;    इसके एक ग्राम पत्ते +एक -दो ग्राम भूमि आंवला +दो ग्राम मुलेटी का काढ़ा लें . इससे आँतों में चिपका हुआ पुराना मल भी निकल जाएगा .
                  अगर पेट में कीड़े हैं , भयानक पुराना कब्ज़ है , आँतों में infection है , indigestion है , भूख नहीं लगती ; सभी का इलाज है यह कि   2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए ।  
2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें ।  सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें । इससे पेट साफ़ रहता है । 

कचनार  ;   दस्त या आंव हों तो इसकी छाल का 3-4 ग्राम पावडर पानी के साथ लें। 

ब्राह्मी  ;   पेट दर्द हो तो इसके तीन चार पत्तों की लुगदी पानी के साथ लें। 

जामुन  ;   पेट में आंव हों या दस्त लगे हों तो इसकी पत्तियां और छाल 3-4 ग्राम की मात्रा में पानी में उबालकर काढ़ा पीयें। 

गोखरू  ;  गोखरू का काढ़ा पाचन को अच्छा करता है।   

अर्जुन  ;      इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से लाभ होता है।  ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं।  जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें।  amoebisis की परेशानी में यह काढ़ा लाभदायक है । 

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