पेट के रोग व इससे जुडी अन्य बीमारियाँ विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से ठीक हो सकती हैं । आम तौर पर आस पास ही मिलने वाले पेड़ पौधों के प्रयोग से पेट की कई समस्याओं का निदान हो सकता है ।
पीपल ; पीपल के पके हुए पत्तों को कूटकर उसे चाय की तरह पीएँ तो पेट में आराम आता है । इन पत्तों के साथ गुलाब की पत्तियां और मुलेठी को भी चाय में डाला जा सकता है । इसके प्रयोग से आँतों के घाव , अल्सर आदि भी ठीक होते हैं । शरीर के विजातीय तत्व(toxins) भी बाहर निकल जाते हैं । आँतों में bleeding होती है ; तब भी पीपल के पत्तों का काढ़ा लाभकारी रहता है । पीपल की पत्तियां डंठल समेत कूटकर , रस निकालकर पीने से आँतों का घाव भर जाता है । आँतों की सूजन और infection भी ख़त्म हो जाता है ।
अमरुद ; अपच , गैस, कब्ज़ व पेट की अन्य सभी बीमारियाँ ख़त्म हो सकती हैं; यदि अमरुद का नियमित सेवन किया जाए । जिनको अपच(indigestion) की शिकायत है वे अमरूद का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं । जिनको अतिसार या दस्त लगने की शिकायत है ; वे अमरुद के पत्ते +अमरुद की छाल और आधा ग्राम सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें । इस काढ़े से liver सम्बन्धी बीमारियों में भी आराम मिलेगा । अमरुद की कोमल पत्तियों को छाया में सुखा लें । इसे मोटा मोटा कूट लें । इसमें 1 -2 पत्तियां तुलसी की मिला लें । मरुआ ,मुलेठी , काली मिर्च, लौंग अदरक आदि भी मिला सकते हैं । इस चाय का नियमित प्रयोग करने से पेट व शरीर की अन्य बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है । इस चाय का स्वाद भी बहुत अच्छा होता है और उसमे भीनी भीनी खुशबू भी आती है ।
बच्चों को दस्त लग जाएँ तो अमरूद की जड़ का छिलका 2 -5 ग्राम की मात्रा तक पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिला सकते हैं । अमरुद में नमक डालकर खाते रहने से पेट के कीड़े मर जाते हैं ।
सफेद प्याज ; प्याज के पत्तों की चटनी पीसकर नियमित रूप से कुछ दिनों तक खाने से पाचन क्रिया ठीक हो जाएगी । पेट में दर्द होने पर प्याज के रस में थोड़ा हींग मिलकर पेट पर लगाने से आराम आता है । पेट में अफारा होने पर प्याज के रस में थोड़ा हींग और सेंधा नमक मिलकर लेने से एकदम आराम आता है ।
खूनी बवासीर में प्याज के रस में मिश्री मिलकर पीएँ । इससे बवासीर में जल्द ही आराम मिल जाएगा ।
विधारा ; अल्सर के रोगियों के विधारा के पत्ते बड़े लाभकारी हैं । खूनी दस्त लगने पर अगर खून रुक ही नहीं रहा है तो 2 -3 विधारा के पत्तों को कूट लें इसमें पानी मिलाकर एक कप बना लें इसे छानकर मिश्री मिलकर पीयें । इसे नियमित रूप से लेने पर आराम होगा । ulcerative colitis में भी यह प्रयोग लाभकारी है । रस से अंदर अंदर के घाव भर जाते हैं ।
मालती ; इसके फूल व पत्तों का रस निकालकर पीने से आँतों की कमजोरी व पेट के रोगों में लाभ होगा । भूख कम लगने पर यह पौधा बड़ा सहयोग करता है । अगर digestive juices कम निकल रहे हों तो इसके रस को लेने से लाभ होगा । यह रस छोटे बच्चों को भी दिया जा सकता है ।
भाँग ; जिनको amoebisis , colitis आदि हो , बार बार शौच जाना पड़ता हो तो भांग बहुत ही लाभकारी है । इसके लिए 100 ग्राम पकी हुई बेल का सूखा गूदा ,+ 20 ग्राम भांग + 30 ग्राम सौंफ मिलाकर , पाउडर करके रखें । इसे सुबह शाम ताज़े पानी के साथ लें । पेट के लिए, आँव आदि के लिए , यह पाउडर बहुत लाभकारी है । यह भूख को भी बढाता है । जिनको भूख कम लगती हो , वे काली मिर्च और भांग के चूर्ण को अदरक के रस में घोटकर , चने के बराबर गोली बनाकर सेवन करें । इससे पाचन क्रिया भी ठीक होगी ।
मुलेठी ; मुलेठी का काढ़ा लेने से पेट की सभी समस्याएँ ठीक होती हैं ।
अपराजिता ; यह पेट के लिए लाभदायक है लेकिन थोड़ी विरेचक हो सकती है । अत: इसका थोड़ी कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए । कब्ज़ लिए बहुत उपयोगी है ।
पित्त पापड़ा ; भयानक acidity की समस्या है , तो पित्त पापड़ा की कुछ पत्तियां चबा लो । एकदम आराम आएगा । इसकी पत्तियां चबाकर पानी पी लें । इससे आँतों के घाव भी ठीक हो जाते हैं । बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हैं तो पित्त पापड़ा का सूखा पाउडर लेकर इसमें वायविडंग का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाएं । 1 -1 ग्राम की मात्रा में बच्चों को यह दें । इससे पेट के कीड़े तो खत्म होंगे ही ; पेट भी साफ़ होगा । आँतों का इन्फेक्शन भी खत्म होगा । बड़े 2 -2 ग्राम की मात्रा में इस पाउडर को ले सकते हैं । केवल पित्त पापडे को सुखाकर उसका पाउडर लेना भी लाभकारी रहता है । इसका कोई भी side effect नहीं है ।
विदेशों से आने वाले लोग जब भारत में आते हैं तो उन्हें खाने पीने में पेट में कुछ परेशानी महसूस हो सकती है । लेकिन पित्त पापड़ा का पाउडर लेते रहें तो कोई दिक्क्त नहीं होगी बल्कि पाचन भी ठीक हो जाएगा ।
पिया बासा ; अगर दस्त लगे हुए हैं तो पिया बासा का 2 -3 चम्मच रस 1 ग्राम सौंठ (dry ginger) में मिलकर लें । दस्त में आराम आएगा । इसके रस से blood dysentery , आँतों या liver की सूजन में भी आराम आता है ।
इसका पंचांग + सौंठ + अश्वगंधा की जड़ मिलाकर, काढ़ा बनाकर, लेने से आँतों की सूजन खत्म होती है , कमजोरी दूर होती है और dysentery भी ठीक होती है ।
भयानक एसिडिटी हो तो इसका 2 चम्मच रस पानी मिलाकर पी लें । इससे आँतों का infection भी ठीक होगा ।
पलाश (ढ़ाक) ; इसके 5-10 ग्राम फूल आधा लीटर पानी में रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे मसलकर , छानकर , पीयें । इससे शरीर के अंदर की गर्मी दूर होती है । पेट ठीक रहता है और ulcer इत्यादि नहीं होते ।
इसकी फलियाँ कृमिनाशक होती हैं । इसके बीजों को पानी में उबालकर छिलका उतारकर पाउडर करके रख लें । बच्चों के पेट में कीड़े होने पर , पहले थोड़ा गुड खिला दें । बाद में इसके बीजों का पाउडर थोड़ा सा दे दें ।
इसकी जड़ के छिलके का काढ़ा अतिसार (dysentery), ulcerative colitis आदि को ठीक करता है ।
ककड़ी ; अगर आँतों में infection हो , या acidity की समस्या हो तो 4 ग्राम मुलेठी + 1ग्राम ककड़ी के बीजों को रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे छानकर पीयें । आराम आएगा ।
नागफणी ; यह कांटेदार पौधा कब्ज़ में बहुत काम आता है । इसको तोड़ने पर जो दूध निकलता है ; उसकी 1-2 बूँद बताशे में रखकर खाएँ । ऊपर से पानी पी लें । परन्तु ध्यान रहे कि बहुत अधिक मात्रा में न लें। इसका दूध आँख में नहीं गिरना चाहिए . यह अंधापन ला सकता है ।
बबूल (कीकर) ; अगर भूख कम लगती हो , indigestion हो तो इसकी फलियों का पाउडर प्रात: सायं लें । कब्ज़ होने पर कीकर की फली का पाउडर + मुलेठी + सूखा आंवला बराबर मात्रा में मिलकर रख लें । इसकी 5 ग्राम की मात्रा लेकर 200 ग्राम पानी में मंदी आँच पर पकाकर काढ़ा बनाएं और छान कर पी लें । ऐसा लगातार करने से indigestion , आँतों की समस्या , आँतों के घाव आदि सब ठीक हो जाते हैं ।
यह काढ़ा इतना प्रभावशाली है की इसे लेते रहने से बढ़ा हुआ बिलुरुबिन भी ठीक हो जाता है । SGOT और SGPT का स्तर भी सामान्य हो जाता है ।
संग्रहणी , आँव या पेचिश की शिकायत हो तो कीकर की छाल + कुटज की छाल बराबर मात्रा में मिलाकर ; उसकी 5 ग्राम की मात्रा लें । इसका काढ़ा बनाकर पीयें । इससे amoebisis भी ठीक होता है ।
करेला ; भयानक कब्ज़ है और मल कठिनाई से निकल रहा हो तो करेले की सब्ज़ी का सेवन करें । सब्ज़ी में तेल अधिक न हो ।
छोटे बच्चों को पेट का अफ़ारा होने पर , करेले के पत्ते का एक बूँद रस बच्चे जीभ पर रख दें । अफ़ारा अपच आदि सब ठीक हो जाएगा । इतने छोटे बच्चे को भी यह दिया जा सकता है ; जो की अन्न भी न लेता हो !
पेट के कीड़े समाप्त करने हों तो करेले का रस या इसके पत्तों का रस 50 -100 मल तक सवेरे ले सकते हैं । यह रस बहुत ज़्यादा नहीं लेना चाहिए । इससे दस्त लग सकते हैं । piles की बीमारी भी इस रस को लेने से ठीक हो जाती है ।
गंभारी ; acidity की समस्या हो तो गंभारी के 1 -2 फल पानी पी लें । इसके फल को सुखाकर पाउडर बनाकर रख लें । यह मृदु विरेचक है । इसे लेने से दस्त नहीं लगते ; परन्तु सूखा मल निकल जाता है । आँतों के घाव भर जाते हैं , अल्सर आदि की समस्या ठीक हो जाती है । acidity होने पर यह पाउडर भी लिया जा सकता है ।
धनिया ; एक चम्मच धनिए का पाउडर ठन्डे पानी के साथ लेने से acidity ठीक हो जाती है ।
गाजर ; पेट में अफ़ारा हो तो अजवायन ,जीरा और गाजर के बीज मिलाकर लिया जा सकता है ।
अमरुद ; अमरुद को संस्कृत भाषा में दृढबीजम कहा जाता है । इसके बीज कठोर होते हैं । उन्हें चबाना कठिन है । उन्हें चबाना ही नहीं चाहिए , बल्कि निगल लेना चाहिए । अमरुद के गूदे को चबाकर बीजों को ऐसे ही निगल लेना चाहिए । इस प्रकार से अमरूद को खाया जाए ,तो यह फल intestines के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । यह फल पेट के लिए लाभकारी और गुणकारी माना गया है । यह कब्ज़ को दूर करने वाला और मन को प्रसन्न रखने वाला फल है । मल को रेचन करने का गुण इसके बीजों में होता है ; बशर्ते कि उन्हें निगला जाए । अपचन होने पर इसकी छाल , पत्तियां और सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और सवेरे शाम पीएँ । संग्रहणी या अतिसार की समस्या से भी यह काढ़ा मुक्ति दिलाता है । इसके ताज़े या सूखे पत्तों में तुलसी मिलाकर चाय भी बनाई जा सकती है । यह बहुत लाभप्रद होती है । छोटे बच्चों को colitis की समस्या हो तो इसकी जड़ का छिलका 2 ग्राम लेकर उसका काढ़ा बनाकर दे सकते हैं ।
गन्ना ; जूट का ऐसी बोरी (बैग ) लें , जिसमे कि पिछले दो तीन साल पहले गुड का storage किया गया हो । इस बोरी को जलाकर राख कर लें । यह राख औषधि का कार्य करती है । इसकी 2-2 ग्राम की मात्रा में लेने से दस्त लगे हों तो वे तुरंत बंद हो जाते है । दस्त होने पर गुड के साथ बेल का पावडर भी लिया जा सकता है ।
भुईं आँवला ; पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें । पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा । ये digestive system को भी अच्छा करता है । आँतों का infection होने पर या ulcerative colitis होने पर इसके साथ साथ दूब घास को भी जड़ सहित उखाडकर, ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें । Bleeding 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगी ।
ककड़ी ; इसे मधुर रस से युक्त मन गया है ; अर्थात यह पित्त का शमन करती है । पाचन की कमी को ठीक कर देती है । acidity की समस्या को समाप्त कर देती है । पाचन ठीक से न हो रहा हो तो ककडी की सब्जी अवश्य खानी चाहिए .। इससे पेट की सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं । 1 ग्राम ककडी के बीजों के पावडर में 4 ग्राम मुलेठी का पावडर मिलाकर 500 ग्राम पानी मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे इसका पानी छानकर पीने से acidity , पेट के अल्सर और infections ठीक हो जाते हैं।
इलायची ; बेल का पावडर 10 ग्राम +1 ग्राम इलायची सुबह शाम लेने से पेट की सभी बीमारियों , जैसे colitis , गैस , अफारा आदि से छुटकारा मिलता है ।
रेवनचीनी (rhubarb ) ; इसकी जड़ों की शुद्धता की परख कर लेनी चाहिए . इसकी जड़ें हल्की पीली और हल्की खुशबू वाली होती हैं . यह कब्ज़ को भी ठीक करता है . यह मृदु विरेचक है . रेवनचीनी +सौंफ + हरड+त्रिफला बराबर मात्रा में लेकर सवेरे शाम दो दो ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें . इससे पेट साफ़ तो होता ही है साथ ही आँतों में कम खुश्की होती है . आँतों के घाव भी भरते हैं . केवल रेवनचीनी की जड़ का पावडर दो तीन ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लेने से भी आंतें ठीक रहती हैं . इससे colitis भी ठीक होता है .
अगर acidity है तो धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें . अगर दस्त लगे हों तब इसे नहीं लेना चाहिए ।
संत महात्मा पेट के रोगों में इसकी जड़ों का बहुत प्रयोग करते हैं . वे इसकी जड़ के दो तीन टुकड़ों को दाल या सब्जी में उबाल लेते हैं . फिर उन जड़ों को चबा चबाकर खाते हैं । ये थोड़ी कसैली अवश्य लगती हैं ; परन्तु पेट के रोग , पेट के अल्सर , पेट के घाव और पेट के सभी संक्रमणों के लिए लाभकारी हैं ।
कूठ (costus) ; शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो , पेट में दर्द हो या किसी अन्य प्रकार का दर्द हो तो , हल्दी+मेथी +सौंठ +अश्वगंधा +कूठ को मिलाकर कुछ दिनों तक लें ।
चांगेरी (indian sorrel) ; आँतों में infection हो जाए , तो भी इसके पत्तों की चटनी लें या इसके पत्तों का रस ले लें ।
अमलतास (purging cassia) ; इसकी मोटी फलियों के बीच का गूदा मीठा होता है . यह कब्ज़ के लिए , पेट को ठीक रखने के लिए और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अति उत्तम है . अगर पेट को और पाचन तंत्र को ठीक रखना है तो अमलतास की पकी फलियों का 15-20 ग्राम गूदा +8-10 मुनक्का रात को भिगोकर रखें . सुबह इसे मसलकर, छानकर , खाली पेट पीयें । यह इतना सौम्य और मृदु विरेचक है कि छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है । अगर 2-3 महीने के बच्चे के पेट में अफारा हो जाए तो , अमलतास के गूदे में थोडा हींग मिलाकर नाभि के आसपास लगा दें ।
गंभारी (verbenaceae) ; भयानक acidity में इसके दो फल खाकर पानी पी लें । कहीं भी अल्सर हो गये हों तो , इसके सूखे फल का पावडर , सवेरे शाम पानी के साथ लें । इसका फल अपने आप में ही टानिक का कार्य करता है । आंव की बीमारी हो तो मुलेठी +गंभारी की छाल +गंभारी का फल ; इन सबका पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
आँतों में infections हों या अन्य कहीं पर भी infections होने पर इसके फल का पावडर सवेरे शाम लें . यह म्रदु विरेचक भी है . इसलिए इसको लेते रहने से constipation की समस्या भी नहीं होती . इसके पत्तों की चाय भी बहुत लाभदायक है |
शिरीष ; दस्त लगने पर इसके बीजों का पावडर आधा ग्राम की मात्रा में लें ।
बबूल या कीकर ; Colitis या amoebisis होने पर कुटज +बबूल की छाल का काढ़ा लें ।
बहेड़ा (bellaric myrobalan) ; इसके फल का अक्सर छिलका ही प्रयोग में लाया जाता है । आँतों में संक्रमण हो या acidity की समस्या हो ; इसे त्रिफला के रूप में लिया जा सकता है । यह निरापद है।
लौकी( bottle gourd) : लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए . इसका जूस acidity को कम करता है और indigestion की समस्या को खत्म करता है . इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है .
अतीस या अतिविषा ; पेचिश , colitis संग्रहणी या अतिसार होने पर इसका पावडर दही या पानी के साथ लेना चाहिए . Irritable bowel syndrome होने पर , अतीस +बिल्वादी चूर्ण +अविपत्तिकर चूर्ण और मुक्ताशुक्ति भस्म बराबर मात्रा में मिलाकर 3-4 ग्राम की मात्रा में लेना चाहिए ।
ममीरा (gold thread cypress) ; आँतों में या पेट में infection हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें |
निर्गुण्डी (vitex negundo ) ; अपच हो गया हो तो इसके पत्ते और अदरक उबालकर चाय की तरह पीयें । इससे अफारा भी ठीक होगा ।
दूधी , दूधिया घास (milk hedge) ; अगर शौच बार बार आ रहा हो या colitis की समस्या हो तो दूधी चबाएं या फिर इसका सूखा पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें । पेचिश हो तो ताज़ी दूधी पीसकर जरा सी फिटकरी मिलाकर लें ।
नागदोन ; कब्ज़ हो या पेट में अल्सर हों तो इसके दो पत्ते या उनका रस काली मिर्च के साथ खाली पेट लें । Amoebisis या colitis हो तो दूधी और इसके दो पत्ते लें । पेट में अफारा हो तो इसके दो पत्तों का शर्बत खाली पेट लें ।
तुम्बरू (toothache tree) ; Indigestion की समस्या रहती हो तो इसका मसाले की तरह प्रयोग करें । अगर पेट में कीड़े हों तो चटनी में तुम्बरू मिलाकर लें । इससे पाचन भी बढ़ेगा ।
महानिम्ब, बकायन(bead tree) ; अगर constipation हो और piles की शिकायत हो तो इसके सूखे बीजों का 3 ग्राम पावडर खाली पेट ताज़े पानी या छाछ के साथ सवेरे शाम लें ।
धातकी (woodfordia) ; पेट के रोगों के लिए यह बहुत ही अच्छा है . थोड़ी सी कोमल पत्तियों को कूटकर रस निकालकर दस्त या आंव होने पर ले सकते हैं । अतिसार में या अधिक मरोड़े और ऐंठन हो तो , इसके फूलों का 2 ग्राम पावडर प्रात: सायं छाछ के साथ ले लें । पेट के रोगों के लिए इसका प्रयोग अवश्य होता है |इसके फूल व् पत्तियों का काढ़ा लें , या केवल फूलों का शर्बत लें । इसके सूखे फूलों का पावडर भी लिया जा सकता है । इससे पेट के रोग ठीक होते हैं । यह पौष्टिक तो होता ही है ।
वासा (malabar nut) ; आँतों के infection में इसमें बराबर मात्रा में मुलेठी मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
मुलेठी (licorice root) ; पेट में अल्सर या colitis होने पर इसके 5-7 ग्राम पावडर का काढ़ा लें। पेट में दर्द ,ऐंठन या कब्ज़ हो या मल जमा हो गया हो तो , मुलेठी और त्रिफला पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध या गर्म पानी के साथ लें । यह मधुर विरेचक (mild laxative) भी है । लेकिन पेट को नुकसान नहीं पहुँचाता ।
पिप्पली (long pepper) ; पेट दर्द के लिए इसका एक ग्राम पावडर शहद के साथ चाटें ।
तेजपत्ता (bay leaves) ; पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम तेजपत्ता और अदरक का काढ़ा शहद मिलाकर लें । उबकाई आती हों तो इसकी 5 ग्राम पत्तियां उबालकर सवेरे शाम लें | अफारा या वायु गोला हो तो पत्ते उबालकर सेंधा नमक मिलाकर दें ।
चित्रक (leadwort) ; पेट की बीमारी हो , पेट का अफारा हो या पेट फूलता हो तो , सवेरे खाली पेट इसकी जड़ का काढ़ा लें या पंचकोल (चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) का काढ़ा लें ।
भृंगराज ; पेट दर्द या पेट में सूजन हो तो इसके पत्ते पीसकर लेप लगाएं और इसके पत्तों का रस पिलायें । ताज़ा न मिले तो सूखे पत्तों का पावडर भी दिया जा सकता है ।
भारंगी (turk's turban moon) ; पेट का संक्रमण खत्म करना हो तो इसके पंचांग का या फिर पत्तियों का काढ़ा लें | कब्ज़ हो या हिचकी आती हों ,तब भी इसके पंचांग का काढ़ा लिया जा सकता है | इसके बीज का पावडर थोड़ी मात्रा में लेने से पेट दर्द व अन्य रोगों में लाभ होता है |
बेल ; अगर पेट की समस्या , colitis है तो पका फल न लें . इसके लिए कच्चे फल का पावडर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें । बिल्वादी चूर्ण भी इसके कच्चे फल का चूर्ण है । अगर बार -बार शौच आता है तो यह चूर्ण लें । संग्रहणी की परेशानी है और bleeding भी हो रही है तो 100 ग्राम कच्चे फल के पावडर में 10 ग्राम सौंठ मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
lemon grass ; पेट के रोग का एक इलाज है lemon grass । इसके दो पत्ते लेकर अच्छी तरह रगडकर एक गिलास पानी में डालकर उबालें । फिर छानकर पीयें । बहुत भीनी भीनी सुगंध भी आएगी और रंग तो सुंदर लगेगा ही . चाहें तो इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं । इस चाय को बनाते समय इसमें तुलसी के पत्ते भी ड़ाल दें ।
शरपुंखा ; पेट दर्द या अफारा हो या फिर acidity की समस्या ;या फिर डकार आती हों । सब तरह की दिक्कत शरपुन्खा के पंचांग का काढ़ा ठीक कर देता है ।
गुलदाउदी ( chrysanthemum) ; पेट दर्द होने पर इसके फूलों का रस शहद या पानी के साथ लें ।
मकोय (black nightshade) ; पेट खराब है , आँतों में infection है तो इस का इलाज है मकोय की सब्जी । रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
दूब ( grass ) ; पेट में acidity हो या ulcer ; infections हों या colitis की समस्या , सभी का समाधान है कि इसके पत्तों का तीन चार चम्मच रस खाली पेट ले लें । आंव हों तो इस रस में थोड़ी सौंठ भी मिला लें ।
कुटज (इन्द्रजौ ) ; पेट दर्द रहता हो और दस्त लगे हुए हों तो इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें । इसका पानी सवेरे सवेरे पी लें । amoebisis हो त सौंठ, हरड और कुटज की छाल बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम लें ।
यह दस्तों में बड़ी कारगर दवाई है । दस्त लगने पर इसकी छाल का पावडर एक -एक ग्राम सवेरे शाम लें । या फिर कुटजघनवटी की एक एक गोली सवेरे शाम लें । बच्चे को इस गोली का छोटा सा टुकड़ा दें ।
गुड़हल, जबाकुसुम, (shoe flower, china rose) ; अल्सर या colitis होने पर इसकी चार -पांच पत्तियों को पीसकर शरबत बनाकर पीयें | acidity को भी यह दूर करता है ।
तुलसी (holi basil) ; पेट में infections हों तो इसमें अदरक , काली मिर्च, नमक और काली मिर्च मिलाकर चटनी बनायें और सेवन करें ।
मालती (rangoon creeper) ; पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं । यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं ।
बथुआ (chenopodium ) ; आँतों में infections या सूजन हो तो इसका साग बहुत लाभकारी है ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; पेट में दर्द हो तो इसके रस में हींग मिलाकर पेट पर लेप करें । इसके अलावा प्याज़ के रस में हींग और सेंधा नमक मिलाकर पी लें । अपच या कब्ज़ हो तो इसकी पत्तियों की चटनी खाएं ।
सेमल (silk cotton tree) ; इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है ।
पीपल (sacred fig) ; अगर ulcerative colitis हो , आँतों में सूजन या infections हों तो पीपल के पत्तों का रस लें ।
भुट्टा (corn) ; अगर दस्त लग गए हों तो इसके डंठल की राख ले लें । Colitis की समस्या हो तो इसके डंठल की 50 gm राख में 100 gm बेल का पावडर मिला कर एक-एक चम्मच लें ।
घृतकुमारी (aloe vera) ; इसी से कुमारीआसव बनाया जाता है । यह पेट के लिए लाभदायक है । ulcer या कब्ज़ होने पर इसके रस में एरंड का तेल डालकर ले लें ।
आँवला ; पेट में अल्सर या colitis की समस्या हो या फिर दस्त लगे हों , तो इसका रस या पावडर लाभ देता है । पेट साफ़ न हो रहा हो तो इसे नियमित रूप से लेना अच्छा रहता है ।
करेला (bitter gourd) ; कब्ज़ के लिए करेले की सब्जी खाएं ।
अरण्ड (castor) ; पेट दर्द में पानी में 2 चम्मच अरण्ड का तेल और नीम्बू लिया जा सकता है .पेट दर्द तो खत्म होगा ही , साथ ही यह आँतों को शक्ति भी देता है । दूध में मुनक्का उबालकर और उसमें अरंडी का तेल एक चम्मच डालकर सोने से पहले लिया जाये तो कब्ज़ भी नहीं रहता और आंतें भी मज़बूत होती हैं ।
मेथी (fenugreek) ; पेट में संक्रमण हो तो मेथी और अजवायन को मिलाकर बनाया हुआ काढ़ा लिया जा सकता है ।
घृतकुमारी (aloe vera ) ; यदि पेट में दर्द या अफारा हो तो इसका बीस ग्राम गूदा ले सकते हैं |
पालक (spinach ) ; आँतों में सूजन, अल्सर हो तो पालक नहीं लेना चाहिए ।
भाँग (cannabis ) ; अगर colitis हो या amoebisis हो तो कच्ची बेल का चूर्ण +सौंफ + भांग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें । एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
अंजीर (fig) ; पाचन शक्ति कम हो गयी है ; तब भी यह भरपूर फायदा करता है । अगर constipation है तो इसे लेने से पेट साफ़ हो जाता है ।
छुईमुई (touch me not) ; इसकी जड़ का गाढ़ा सा काढा बनाकर वैसलीन में मिला लें । anus बाहर आता है तो toilet के बाद इससे मालिश करें । समस्या ठीक हो जाएगी ।
यदि bleeding हो रही है दस्तों की, तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ ।
गिलोय ; इसे लेने से पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश, आंव आदि ठीक होते हैं ।
हरसिंगार (night jasmine ) ; इसकी दो पत्तियां +एक फूल +तुलसी के पत्ते ये सब लेकर इसको एक गिलास पानी में उबालें और चाय की तरह पी लें । इससे पेट का जमा हुआ मल भी निकल जाएगा ।
देसी गुलाब (rose) ; कब्ज़ है तो एक भाग त्रिफला और आधा भाग इस फूल का पावडर मिलाकर लें .
curry leaves ; पेट दर्द या अफारा हो तो 2-3 ग्राम पत्तों का काढ़ा 400 ग्राम में पकाकर बनायें । अपच हो तो 1-2 ग्राम पत्तों को पानी उबालकर चाय की तरह पिएँ ।
अनार (pomegranate ) ; अगर दस्त लगे हों तो इसके छिलके के पावडर में कच्ची बेल का पावडर मिलाकर सवेरे शाम ले लें ।
गूलर (cluster fig) ; Loose motions की समस्या हो तो इसकी कोमल पत्तियों का 10-15 ग्राम रस लें । पेट में दर्द हो तो इसके फल का पावडर +अजवायन +सेंधा नमक मिलाकर लें । पेट के मरोड़े , दर्द , colitis ,infections या amoebisis की समस्या हो तो इसके फलों की सब्जी खाएं ।
पलाश (flame of the forest) ; आंतें ठीक नहीं है , अल्सर हैं , तो इसके 5-10 फूल रात को आधा लिटर पानी में भिगोयें और सवेरे उस पानी को मसलकर , छानकर पीयें |
अगर आधा किलो इसकी जड़ को आठ गुना पानी में उबालते हुए अर्क (distilled water) बनाया जाए तो यह अर्क ulcerative colitis में बहुत लाभ करता है |
मरुआ ; इसके पत्तों को चाय में डालकर उबालकर पीयें तो पेट भी ठीक रहता है । अपच अफारा हो तो इसकी चटनी बहुत लाभकारी है । पेट दर्द हो तो इसकी चटनी खाएं , इसका काढ़ा पीयें या ऐसे ही चबाकर रस अंदर लेते रहें ।
थूहर (milk bush) ; इसके दूध में छोटी हरड भिगोकर सुखा दें । इस सूखी हुई हरड को घिसकर थोडा सा रात को लिया जाए तो कब्ज़ दूर होता है और पुराने से पुराना मल निकल जाता है ।
सहदेवी ; अगर आँतों में संक्रमण है , अल्सर है या फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें । केवल मुलेटी भी पेट के अल्सर ठीक करती है ।
कालमेघ ; इसके एक ग्राम पत्ते +एक -दो ग्राम भूमि आंवला +दो ग्राम मुलेटी का काढ़ा लें . इससे आँतों में चिपका हुआ पुराना मल भी निकल जाएगा .
कचनार ; दस्त या आंव हों तो इसकी छाल का 3-4 ग्राम पावडर पानी के साथ लें।
ब्राह्मी ; पेट दर्द हो तो इसके तीन चार पत्तों की लुगदी पानी के साथ लें।
जामुन ; पेट में आंव हों या दस्त लगे हों तो इसकी पत्तियां और छाल 3-4 ग्राम की मात्रा में पानी में उबालकर काढ़ा पीयें।
गोखरू ; गोखरू का काढ़ा पाचन को अच्छा करता है।
अर्जुन ; इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से लाभ होता है। ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं। जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें। amoebisis की परेशानी में यह काढ़ा लाभदायक है ।
मालती ; इसके फूल व पत्तों का रस निकालकर पीने से आँतों की कमजोरी व पेट के रोगों में लाभ होगा । भूख कम लगने पर यह पौधा बड़ा सहयोग करता है । अगर digestive juices कम निकल रहे हों तो इसके रस को लेने से लाभ होगा । यह रस छोटे बच्चों को भी दिया जा सकता है ।
भाँग ; जिनको amoebisis , colitis आदि हो , बार बार शौच जाना पड़ता हो तो भांग बहुत ही लाभकारी है । इसके लिए 100 ग्राम पकी हुई बेल का सूखा गूदा ,+ 20 ग्राम भांग + 30 ग्राम सौंफ मिलाकर , पाउडर करके रखें । इसे सुबह शाम ताज़े पानी के साथ लें । पेट के लिए, आँव आदि के लिए , यह पाउडर बहुत लाभकारी है । यह भूख को भी बढाता है । जिनको भूख कम लगती हो , वे काली मिर्च और भांग के चूर्ण को अदरक के रस में घोटकर , चने के बराबर गोली बनाकर सेवन करें । इससे पाचन क्रिया भी ठीक होगी ।
मुलेठी ; मुलेठी का काढ़ा लेने से पेट की सभी समस्याएँ ठीक होती हैं ।
अपराजिता ; यह पेट के लिए लाभदायक है लेकिन थोड़ी विरेचक हो सकती है । अत: इसका थोड़ी कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए । कब्ज़ लिए बहुत उपयोगी है ।
पित्त पापड़ा ; भयानक acidity की समस्या है , तो पित्त पापड़ा की कुछ पत्तियां चबा लो । एकदम आराम आएगा । इसकी पत्तियां चबाकर पानी पी लें । इससे आँतों के घाव भी ठीक हो जाते हैं । बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हैं तो पित्त पापड़ा का सूखा पाउडर लेकर इसमें वायविडंग का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाएं । 1 -1 ग्राम की मात्रा में बच्चों को यह दें । इससे पेट के कीड़े तो खत्म होंगे ही ; पेट भी साफ़ होगा । आँतों का इन्फेक्शन भी खत्म होगा । बड़े 2 -2 ग्राम की मात्रा में इस पाउडर को ले सकते हैं । केवल पित्त पापडे को सुखाकर उसका पाउडर लेना भी लाभकारी रहता है । इसका कोई भी side effect नहीं है ।
विदेशों से आने वाले लोग जब भारत में आते हैं तो उन्हें खाने पीने में पेट में कुछ परेशानी महसूस हो सकती है । लेकिन पित्त पापड़ा का पाउडर लेते रहें तो कोई दिक्क्त नहीं होगी बल्कि पाचन भी ठीक हो जाएगा ।
पिया बासा ; अगर दस्त लगे हुए हैं तो पिया बासा का 2 -3 चम्मच रस 1 ग्राम सौंठ (dry ginger) में मिलकर लें । दस्त में आराम आएगा । इसके रस से blood dysentery , आँतों या liver की सूजन में भी आराम आता है ।
इसका पंचांग + सौंठ + अश्वगंधा की जड़ मिलाकर, काढ़ा बनाकर, लेने से आँतों की सूजन खत्म होती है , कमजोरी दूर होती है और dysentery भी ठीक होती है ।
भयानक एसिडिटी हो तो इसका 2 चम्मच रस पानी मिलाकर पी लें । इससे आँतों का infection भी ठीक होगा ।
पलाश (ढ़ाक) ; इसके 5-10 ग्राम फूल आधा लीटर पानी में रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे मसलकर , छानकर , पीयें । इससे शरीर के अंदर की गर्मी दूर होती है । पेट ठीक रहता है और ulcer इत्यादि नहीं होते ।
इसकी फलियाँ कृमिनाशक होती हैं । इसके बीजों को पानी में उबालकर छिलका उतारकर पाउडर करके रख लें । बच्चों के पेट में कीड़े होने पर , पहले थोड़ा गुड खिला दें । बाद में इसके बीजों का पाउडर थोड़ा सा दे दें ।
इसकी जड़ के छिलके का काढ़ा अतिसार (dysentery), ulcerative colitis आदि को ठीक करता है ।
ककड़ी ; अगर आँतों में infection हो , या acidity की समस्या हो तो 4 ग्राम मुलेठी + 1ग्राम ककड़ी के बीजों को रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे छानकर पीयें । आराम आएगा ।
नागफणी ; यह कांटेदार पौधा कब्ज़ में बहुत काम आता है । इसको तोड़ने पर जो दूध निकलता है ; उसकी 1-2 बूँद बताशे में रखकर खाएँ । ऊपर से पानी पी लें । परन्तु ध्यान रहे कि बहुत अधिक मात्रा में न लें। इसका दूध आँख में नहीं गिरना चाहिए . यह अंधापन ला सकता है ।
बबूल (कीकर) ; अगर भूख कम लगती हो , indigestion हो तो इसकी फलियों का पाउडर प्रात: सायं लें । कब्ज़ होने पर कीकर की फली का पाउडर + मुलेठी + सूखा आंवला बराबर मात्रा में मिलकर रख लें । इसकी 5 ग्राम की मात्रा लेकर 200 ग्राम पानी में मंदी आँच पर पकाकर काढ़ा बनाएं और छान कर पी लें । ऐसा लगातार करने से indigestion , आँतों की समस्या , आँतों के घाव आदि सब ठीक हो जाते हैं ।
यह काढ़ा इतना प्रभावशाली है की इसे लेते रहने से बढ़ा हुआ बिलुरुबिन भी ठीक हो जाता है । SGOT और SGPT का स्तर भी सामान्य हो जाता है ।
संग्रहणी , आँव या पेचिश की शिकायत हो तो कीकर की छाल + कुटज की छाल बराबर मात्रा में मिलाकर ; उसकी 5 ग्राम की मात्रा लें । इसका काढ़ा बनाकर पीयें । इससे amoebisis भी ठीक होता है ।
करेला ; भयानक कब्ज़ है और मल कठिनाई से निकल रहा हो तो करेले की सब्ज़ी का सेवन करें । सब्ज़ी में तेल अधिक न हो ।
छोटे बच्चों को पेट का अफ़ारा होने पर , करेले के पत्ते का एक बूँद रस बच्चे जीभ पर रख दें । अफ़ारा अपच आदि सब ठीक हो जाएगा । इतने छोटे बच्चे को भी यह दिया जा सकता है ; जो की अन्न भी न लेता हो !
पेट के कीड़े समाप्त करने हों तो करेले का रस या इसके पत्तों का रस 50 -100 मल तक सवेरे ले सकते हैं । यह रस बहुत ज़्यादा नहीं लेना चाहिए । इससे दस्त लग सकते हैं । piles की बीमारी भी इस रस को लेने से ठीक हो जाती है ।
गंभारी ; acidity की समस्या हो तो गंभारी के 1 -2 फल पानी पी लें । इसके फल को सुखाकर पाउडर बनाकर रख लें । यह मृदु विरेचक है । इसे लेने से दस्त नहीं लगते ; परन्तु सूखा मल निकल जाता है । आँतों के घाव भर जाते हैं , अल्सर आदि की समस्या ठीक हो जाती है । acidity होने पर यह पाउडर भी लिया जा सकता है ।
धनिया ; एक चम्मच धनिए का पाउडर ठन्डे पानी के साथ लेने से acidity ठीक हो जाती है ।
गाजर ; पेट में अफ़ारा हो तो अजवायन ,जीरा और गाजर के बीज मिलाकर लिया जा सकता है ।
अमरुद ; अमरुद को संस्कृत भाषा में दृढबीजम कहा जाता है । इसके बीज कठोर होते हैं । उन्हें चबाना कठिन है । उन्हें चबाना ही नहीं चाहिए , बल्कि निगल लेना चाहिए । अमरुद के गूदे को चबाकर बीजों को ऐसे ही निगल लेना चाहिए । इस प्रकार से अमरूद को खाया जाए ,तो यह फल intestines के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । यह फल पेट के लिए लाभकारी और गुणकारी माना गया है । यह कब्ज़ को दूर करने वाला और मन को प्रसन्न रखने वाला फल है । मल को रेचन करने का गुण इसके बीजों में होता है ; बशर्ते कि उन्हें निगला जाए । अपचन होने पर इसकी छाल , पत्तियां और सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और सवेरे शाम पीएँ । संग्रहणी या अतिसार की समस्या से भी यह काढ़ा मुक्ति दिलाता है । इसके ताज़े या सूखे पत्तों में तुलसी मिलाकर चाय भी बनाई जा सकती है । यह बहुत लाभप्रद होती है । छोटे बच्चों को colitis की समस्या हो तो इसकी जड़ का छिलका 2 ग्राम लेकर उसका काढ़ा बनाकर दे सकते हैं ।
गन्ना ; जूट का ऐसी बोरी (बैग ) लें , जिसमे कि पिछले दो तीन साल पहले गुड का storage किया गया हो । इस बोरी को जलाकर राख कर लें । यह राख औषधि का कार्य करती है । इसकी 2-2 ग्राम की मात्रा में लेने से दस्त लगे हों तो वे तुरंत बंद हो जाते है । दस्त होने पर गुड के साथ बेल का पावडर भी लिया जा सकता है ।
भुईं आँवला ; पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें । पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा । ये digestive system को भी अच्छा करता है । आँतों का infection होने पर या ulcerative colitis होने पर इसके साथ साथ दूब घास को भी जड़ सहित उखाडकर, ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें । Bleeding 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगी ।
ककड़ी ; इसे मधुर रस से युक्त मन गया है ; अर्थात यह पित्त का शमन करती है । पाचन की कमी को ठीक कर देती है । acidity की समस्या को समाप्त कर देती है । पाचन ठीक से न हो रहा हो तो ककडी की सब्जी अवश्य खानी चाहिए .। इससे पेट की सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं । 1 ग्राम ककडी के बीजों के पावडर में 4 ग्राम मुलेठी का पावडर मिलाकर 500 ग्राम पानी मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे इसका पानी छानकर पीने से acidity , पेट के अल्सर और infections ठीक हो जाते हैं।
इलायची ; बेल का पावडर 10 ग्राम +1 ग्राम इलायची सुबह शाम लेने से पेट की सभी बीमारियों , जैसे colitis , गैस , अफारा आदि से छुटकारा मिलता है ।
रेवनचीनी (rhubarb ) ; इसकी जड़ों की शुद्धता की परख कर लेनी चाहिए . इसकी जड़ें हल्की पीली और हल्की खुशबू वाली होती हैं . यह कब्ज़ को भी ठीक करता है . यह मृदु विरेचक है . रेवनचीनी +सौंफ + हरड+त्रिफला बराबर मात्रा में लेकर सवेरे शाम दो दो ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें . इससे पेट साफ़ तो होता ही है साथ ही आँतों में कम खुश्की होती है . आँतों के घाव भी भरते हैं . केवल रेवनचीनी की जड़ का पावडर दो तीन ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लेने से भी आंतें ठीक रहती हैं . इससे colitis भी ठीक होता है .
अगर acidity है तो धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें . अगर दस्त लगे हों तब इसे नहीं लेना चाहिए ।
संत महात्मा पेट के रोगों में इसकी जड़ों का बहुत प्रयोग करते हैं . वे इसकी जड़ के दो तीन टुकड़ों को दाल या सब्जी में उबाल लेते हैं . फिर उन जड़ों को चबा चबाकर खाते हैं । ये थोड़ी कसैली अवश्य लगती हैं ; परन्तु पेट के रोग , पेट के अल्सर , पेट के घाव और पेट के सभी संक्रमणों के लिए लाभकारी हैं ।
कूठ (costus) ; शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो , पेट में दर्द हो या किसी अन्य प्रकार का दर्द हो तो , हल्दी+मेथी +सौंठ +अश्वगंधा +कूठ को मिलाकर कुछ दिनों तक लें ।
चांगेरी (indian sorrel) ; आँतों में infection हो जाए , तो भी इसके पत्तों की चटनी लें या इसके पत्तों का रस ले लें ।
अमलतास (purging cassia) ; इसकी मोटी फलियों के बीच का गूदा मीठा होता है . यह कब्ज़ के लिए , पेट को ठीक रखने के लिए और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अति उत्तम है . अगर पेट को और पाचन तंत्र को ठीक रखना है तो अमलतास की पकी फलियों का 15-20 ग्राम गूदा +8-10 मुनक्का रात को भिगोकर रखें . सुबह इसे मसलकर, छानकर , खाली पेट पीयें । यह इतना सौम्य और मृदु विरेचक है कि छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है । अगर 2-3 महीने के बच्चे के पेट में अफारा हो जाए तो , अमलतास के गूदे में थोडा हींग मिलाकर नाभि के आसपास लगा दें ।
आँतों में घाव , सूजन या संक्रमण हो , acidity की समस्या हो या ulcerative colitis की समस्या हो तो , इसके 15-20 ग्राम गूदे में , 1-2 ग्राम धनिया मिलाकर , रात को मिटटी के बर्तन में भिगो कर रख दें । सवेरे खाली पेट ऊपर का पानी निथारकर पी लें . धनिया अधिक न मिलाएं । इससे ठण्ड लग सकती है । सर्दी-जुकाम हो सकता है
इसके फूलों का गुलकंद शीतल , सौम्य एवं स्वास्थ्यवर्धक होता है । यह पेट के रोगों में लाभकारी होता है । इसके फूलों की चटनी और सब्जी पेट के रोगों को ठीक करती है । इसके फूलों को सुखाकर उनका पावडर करके , सवेरे शाम लिया जाए , तो पेट ठीक रहता है , पाचन ठीक रहता है ।
आँतों में infections हों या अन्य कहीं पर भी infections होने पर इसके फल का पावडर सवेरे शाम लें . यह म्रदु विरेचक भी है . इसलिए इसको लेते रहने से constipation की समस्या भी नहीं होती . इसके पत्तों की चाय भी बहुत लाभदायक है |
शिरीष ; दस्त लगने पर इसके बीजों का पावडर आधा ग्राम की मात्रा में लें ।
बबूल या कीकर ; Colitis या amoebisis होने पर कुटज +बबूल की छाल का काढ़ा लें ।
बहेड़ा (bellaric myrobalan) ; इसके फल का अक्सर छिलका ही प्रयोग में लाया जाता है । आँतों में संक्रमण हो या acidity की समस्या हो ; इसे त्रिफला के रूप में लिया जा सकता है । यह निरापद है।
लौकी( bottle gourd) : लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए . इसका जूस acidity को कम करता है और indigestion की समस्या को खत्म करता है . इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है .
लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ; इसका जूस हानिकारक हो सकता है |
ममीरा (gold thread cypress) ; आँतों में या पेट में infection हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें |
निर्गुण्डी (vitex negundo ) ; अपच हो गया हो तो इसके पत्ते और अदरक उबालकर चाय की तरह पीयें । इससे अफारा भी ठीक होगा ।
दूधी , दूधिया घास (milk hedge) ; अगर शौच बार बार आ रहा हो या colitis की समस्या हो तो दूधी चबाएं या फिर इसका सूखा पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें । पेचिश हो तो ताज़ी दूधी पीसकर जरा सी फिटकरी मिलाकर लें ।
नागदोन ; कब्ज़ हो या पेट में अल्सर हों तो इसके दो पत्ते या उनका रस काली मिर्च के साथ खाली पेट लें । Amoebisis या colitis हो तो दूधी और इसके दो पत्ते लें । पेट में अफारा हो तो इसके दो पत्तों का शर्बत खाली पेट लें ।
तुम्बरू (toothache tree) ; Indigestion की समस्या रहती हो तो इसका मसाले की तरह प्रयोग करें । अगर पेट में कीड़े हों तो चटनी में तुम्बरू मिलाकर लें । इससे पाचन भी बढ़ेगा ।
महानिम्ब, बकायन(bead tree) ; अगर constipation हो और piles की शिकायत हो तो इसके सूखे बीजों का 3 ग्राम पावडर खाली पेट ताज़े पानी या छाछ के साथ सवेरे शाम लें ।
धातकी (woodfordia) ; पेट के रोगों के लिए यह बहुत ही अच्छा है . थोड़ी सी कोमल पत्तियों को कूटकर रस निकालकर दस्त या आंव होने पर ले सकते हैं । अतिसार में या अधिक मरोड़े और ऐंठन हो तो , इसके फूलों का 2 ग्राम पावडर प्रात: सायं छाछ के साथ ले लें । पेट के रोगों के लिए इसका प्रयोग अवश्य होता है |इसके फूल व् पत्तियों का काढ़ा लें , या केवल फूलों का शर्बत लें । इसके सूखे फूलों का पावडर भी लिया जा सकता है । इससे पेट के रोग ठीक होते हैं । यह पौष्टिक तो होता ही है ।
वासा (malabar nut) ; आँतों के infection में इसमें बराबर मात्रा में मुलेठी मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
मुलेठी (licorice root) ; पेट में अल्सर या colitis होने पर इसके 5-7 ग्राम पावडर का काढ़ा लें। पेट में दर्द ,ऐंठन या कब्ज़ हो या मल जमा हो गया हो तो , मुलेठी और त्रिफला पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध या गर्म पानी के साथ लें । यह मधुर विरेचक (mild laxative) भी है । लेकिन पेट को नुकसान नहीं पहुँचाता ।
पिप्पली (long pepper) ; पेट दर्द के लिए इसका एक ग्राम पावडर शहद के साथ चाटें ।
तेजपत्ता (bay leaves) ; पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम तेजपत्ता और अदरक का काढ़ा शहद मिलाकर लें । उबकाई आती हों तो इसकी 5 ग्राम पत्तियां उबालकर सवेरे शाम लें | अफारा या वायु गोला हो तो पत्ते उबालकर सेंधा नमक मिलाकर दें ।
चित्रक (leadwort) ; पेट की बीमारी हो , पेट का अफारा हो या पेट फूलता हो तो , सवेरे खाली पेट इसकी जड़ का काढ़ा लें या पंचकोल (चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) का काढ़ा लें ।
भृंगराज ; पेट दर्द या पेट में सूजन हो तो इसके पत्ते पीसकर लेप लगाएं और इसके पत्तों का रस पिलायें । ताज़ा न मिले तो सूखे पत्तों का पावडर भी दिया जा सकता है ।
भारंगी (turk's turban moon) ; पेट का संक्रमण खत्म करना हो तो इसके पंचांग का या फिर पत्तियों का काढ़ा लें | कब्ज़ हो या हिचकी आती हों ,तब भी इसके पंचांग का काढ़ा लिया जा सकता है | इसके बीज का पावडर थोड़ी मात्रा में लेने से पेट दर्द व अन्य रोगों में लाभ होता है |
बेल ; अगर पेट की समस्या , colitis है तो पका फल न लें . इसके लिए कच्चे फल का पावडर 1-1 चम्मच सवेरे शाम लें । बिल्वादी चूर्ण भी इसके कच्चे फल का चूर्ण है । अगर बार -बार शौच आता है तो यह चूर्ण लें । संग्रहणी की परेशानी है और bleeding भी हो रही है तो 100 ग्राम कच्चे फल के पावडर में 10 ग्राम सौंठ मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
lemon grass ; पेट के रोग का एक इलाज है lemon grass । इसके दो पत्ते लेकर अच्छी तरह रगडकर एक गिलास पानी में डालकर उबालें । फिर छानकर पीयें । बहुत भीनी भीनी सुगंध भी आएगी और रंग तो सुंदर लगेगा ही . चाहें तो इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं । इस चाय को बनाते समय इसमें तुलसी के पत्ते भी ड़ाल दें ।
शरपुंखा ; पेट दर्द या अफारा हो या फिर acidity की समस्या ;या फिर डकार आती हों । सब तरह की दिक्कत शरपुन्खा के पंचांग का काढ़ा ठीक कर देता है ।
गुलदाउदी ( chrysanthemum) ; पेट दर्द होने पर इसके फूलों का रस शहद या पानी के साथ लें ।
मकोय (black nightshade) ; पेट खराब है , आँतों में infection है तो इस का इलाज है मकोय की सब्जी । रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
दूब ( grass ) ; पेट में acidity हो या ulcer ; infections हों या colitis की समस्या , सभी का समाधान है कि इसके पत्तों का तीन चार चम्मच रस खाली पेट ले लें । आंव हों तो इस रस में थोड़ी सौंठ भी मिला लें ।
कुटज (इन्द्रजौ ) ; पेट दर्द रहता हो और दस्त लगे हुए हों तो इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें । इसका पानी सवेरे सवेरे पी लें । amoebisis हो त सौंठ, हरड और कुटज की छाल बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम लें ।
यह दस्तों में बड़ी कारगर दवाई है । दस्त लगने पर इसकी छाल का पावडर एक -एक ग्राम सवेरे शाम लें । या फिर कुटजघनवटी की एक एक गोली सवेरे शाम लें । बच्चे को इस गोली का छोटा सा टुकड़ा दें ।
गुड़हल, जबाकुसुम, (shoe flower, china rose) ; अल्सर या colitis होने पर इसकी चार -पांच पत्तियों को पीसकर शरबत बनाकर पीयें | acidity को भी यह दूर करता है ।
तुलसी (holi basil) ; पेट में infections हों तो इसमें अदरक , काली मिर्च, नमक और काली मिर्च मिलाकर चटनी बनायें और सेवन करें ।
मालती (rangoon creeper) ; पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं । यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं ।
बथुआ (chenopodium ) ; आँतों में infections या सूजन हो तो इसका साग बहुत लाभकारी है ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; पेट में दर्द हो तो इसके रस में हींग मिलाकर पेट पर लेप करें । इसके अलावा प्याज़ के रस में हींग और सेंधा नमक मिलाकर पी लें । अपच या कब्ज़ हो तो इसकी पत्तियों की चटनी खाएं ।
सेमल (silk cotton tree) ; इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है ।
पीपल (sacred fig) ; अगर ulcerative colitis हो , आँतों में सूजन या infections हों तो पीपल के पत्तों का रस लें ।
भुट्टा (corn) ; अगर दस्त लग गए हों तो इसके डंठल की राख ले लें । Colitis की समस्या हो तो इसके डंठल की 50 gm राख में 100 gm बेल का पावडर मिला कर एक-एक चम्मच लें ।
घृतकुमारी (aloe vera) ; इसी से कुमारीआसव बनाया जाता है । यह पेट के लिए लाभदायक है । ulcer या कब्ज़ होने पर इसके रस में एरंड का तेल डालकर ले लें ।
आँवला ; पेट में अल्सर या colitis की समस्या हो या फिर दस्त लगे हों , तो इसका रस या पावडर लाभ देता है । पेट साफ़ न हो रहा हो तो इसे नियमित रूप से लेना अच्छा रहता है ।
करेला (bitter gourd) ; कब्ज़ के लिए करेले की सब्जी खाएं ।
अरण्ड (castor) ; पेट दर्द में पानी में 2 चम्मच अरण्ड का तेल और नीम्बू लिया जा सकता है .पेट दर्द तो खत्म होगा ही , साथ ही यह आँतों को शक्ति भी देता है । दूध में मुनक्का उबालकर और उसमें अरंडी का तेल एक चम्मच डालकर सोने से पहले लिया जाये तो कब्ज़ भी नहीं रहता और आंतें भी मज़बूत होती हैं ।
amoebisis में भी इसके तेल का प्रतिदिन सेवन किया जाए तो लाभ होता है । appendix की परेशानी हो या सूजन हो तो एक या दो चम्मच तेल रात को दूध में डालकर पीयें ।
हल्दी (turmeric) ; कच्ची हल्दी पेट की बीमारी में लाभदायक है ।
मेथी (fenugreek) ; पेट में संक्रमण हो तो मेथी और अजवायन को मिलाकर बनाया हुआ काढ़ा लिया जा सकता है ।
घृतकुमारी (aloe vera ) ; यदि पेट में दर्द या अफारा हो तो इसका बीस ग्राम गूदा ले सकते हैं |
पालक (spinach ) ; आँतों में सूजन, अल्सर हो तो पालक नहीं लेना चाहिए ।
भाँग (cannabis ) ; अगर colitis हो या amoebisis हो तो कच्ची बेल का चूर्ण +सौंफ + भांग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें । एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।
अंजीर (fig) ; पाचन शक्ति कम हो गयी है ; तब भी यह भरपूर फायदा करता है । अगर constipation है तो इसे लेने से पेट साफ़ हो जाता है ।
छुईमुई (touch me not) ; इसकी जड़ का गाढ़ा सा काढा बनाकर वैसलीन में मिला लें । anus बाहर आता है तो toilet के बाद इससे मालिश करें । समस्या ठीक हो जाएगी ।
यदि bleeding हो रही है दस्तों की, तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ ।
गिलोय ; इसे लेने से पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश, आंव आदि ठीक होते हैं ।
हरसिंगार (night jasmine ) ; इसकी दो पत्तियां +एक फूल +तुलसी के पत्ते ये सब लेकर इसको एक गिलास पानी में उबालें और चाय की तरह पी लें । इससे पेट का जमा हुआ मल भी निकल जाएगा ।
देसी गुलाब (rose) ; कब्ज़ है तो एक भाग त्रिफला और आधा भाग इस फूल का पावडर मिलाकर लें .
गुलकंद लेने से उदर रोग , अल्सर , acidity , कब्ज़ , infections ठीक रहते हैं । गुलकंद बनाने का तरीका आसान है . एक किलो देसी गुलाब की पंखुड़ियों में दो किलो चीनी मिलाकर अच्छी तरह रगड़ लें. इसे कांच के बर्तन में डालकर दो- चार दिन धूप दिखा दें . बस बन गया गुलकंद !
आँतों में घाव हो तो 100 ग्राम मुलेटी +50 ग्राम सौंफ +50 ग्राम गुलाब की पंखुडियाँ ; तीनों को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें । इसका 100 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें ।
अनार (pomegranate ) ; अगर दस्त लगे हों तो इसके छिलके के पावडर में कच्ची बेल का पावडर मिलाकर सवेरे शाम ले लें ।
गूलर (cluster fig) ; Loose motions की समस्या हो तो इसकी कोमल पत्तियों का 10-15 ग्राम रस लें । पेट में दर्द हो तो इसके फल का पावडर +अजवायन +सेंधा नमक मिलाकर लें । पेट के मरोड़े , दर्द , colitis ,infections या amoebisis की समस्या हो तो इसके फलों की सब्जी खाएं ।
पलाश (flame of the forest) ; आंतें ठीक नहीं है , अल्सर हैं , तो इसके 5-10 फूल रात को आधा लिटर पानी में भिगोयें और सवेरे उस पानी को मसलकर , छानकर पीयें |
अगर आधा किलो इसकी जड़ को आठ गुना पानी में उबालते हुए अर्क (distilled water) बनाया जाए तो यह अर्क ulcerative colitis में बहुत लाभ करता है |
मरुआ ; इसके पत्तों को चाय में डालकर उबालकर पीयें तो पेट भी ठीक रहता है । अपच अफारा हो तो इसकी चटनी बहुत लाभकारी है । पेट दर्द हो तो इसकी चटनी खाएं , इसका काढ़ा पीयें या ऐसे ही चबाकर रस अंदर लेते रहें ।
थूहर (milk bush) ; इसके दूध में छोटी हरड भिगोकर सुखा दें । इस सूखी हुई हरड को घिसकर थोडा सा रात को लिया जाए तो कब्ज़ दूर होता है और पुराने से पुराना मल निकल जाता है ।
सहदेवी ; अगर आँतों में संक्रमण है , अल्सर है या फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें । केवल मुलेटी भी पेट के अल्सर ठीक करती है ।
कालमेघ ; इसके एक ग्राम पत्ते +एक -दो ग्राम भूमि आंवला +दो ग्राम मुलेटी का काढ़ा लें . इससे आँतों में चिपका हुआ पुराना मल भी निकल जाएगा .
अगर पेट में कीड़े हैं , भयानक पुराना कब्ज़ है , आँतों में infection है , indigestion है , भूख नहीं लगती ; सभी का इलाज है यह कि 2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए ।
2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें । इससे पेट साफ़ रहता है ।
ब्राह्मी ; पेट दर्द हो तो इसके तीन चार पत्तों की लुगदी पानी के साथ लें।
जामुन ; पेट में आंव हों या दस्त लगे हों तो इसकी पत्तियां और छाल 3-4 ग्राम की मात्रा में पानी में उबालकर काढ़ा पीयें।
गोखरू ; गोखरू का काढ़ा पाचन को अच्छा करता है।
अर्जुन ; इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से लाभ होता है। ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं। जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें। amoebisis की परेशानी में यह काढ़ा लाभदायक है ।
No comments:
Post a Comment