Monday, October 27, 2014

periods and pregnancy related problems

कुछ महिलाओं को प्रत्येक माह समस्याओं से गुजरना पड सकता है ; जैसे कम periods आना , इस दौरान बहुत दर्द होना , इसकी अधिकता या अनियमितता होना । इन सभी परेशानियों के निदान कुछ जड़ी बूटियों में हैं ;


श्योनाक (अरलू) ;  इस वृक्ष की छाल वातशामक होती है । यह प्रसूतजन्य बीमारियों को दूर करती है । इसकी छाल को दशमूल क्वाथ में मुख्य घटक के रूप में डाला जाता है । Periods की अनियमितता हो या कम periods आने की समस्या हो तो दशमूल क्वाथ के साथ रज: प्रवर्तिनी वटी भी लें । केवल इसकी छाल का काढ़ा नियमित रूप से लेने से भी आराम आता है ।

तिल ;   तिल उष्ण प्रकृति के होते हैं । ये बहुत पौष्टिक भी होते हैं । काले तिल को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर , उन्हें मोटा मोटा कूट लें । periods के 4 -5 दिन पहले इसका काढ़ा बनाकर सवेरे शाम लें । इससे periods के दौरान होने वाले दर्द से राहत मिलती है । periods regular हो जाते हैं । इसके कोई भी side effects नहीं होते । इस दौरान कोई भी pain killer न लेकर , यह काढ़ा पीना चाहिए । इससे महिलाओं के hormones का असंतुलन भी ठीक हो जाता है ।

उलट कम्बल (योनिपुष्पा)  ;  स्त्री रोगों के लिए यह पौधा एक अचूक दवा है । periods की परेशानियों में इसकी मोटी टहनी का छिलका या जड़ का छिलका लें । इसे 5 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 400 ग्राम में उबालकर ,काढ़कर ,इसका काढ़ा बनाकर सवेरे शाम पीएँ । दर्द अधिक होता है तो 5-7 काली मिर्च भी मिला लें फिर काढ़ा बनाएँ । इसके प्रयोग से स्त्रियों के hormones सम्बन्धी सभी विकृतियाँ दूर होती हैं । स्वभाव में आई उग्रता व चिड़चिड़ापन भी ठीक हो जाता है । स्त्री रसायन नामक दवाई में भी इसी का प्रयोग होता है ।
 ज़्यादा भयानक दर्द या over bleeding की परेशानी हो तो इसकी पत्तियों का रस 2-3 चम्मच की मात्रा में सवेरे शाम लें ।

चित्रक ;  पंचकोल में चित्रक मुख्य द्रव्य होता है । periods सम्बन्धी समस्याओं के लिए , चित्रक की छाल का काढ़ा , या पंचकोल का काढ़ा , या दशमूल क्वाथ का काढ़ा लिया जा सकता है । असमय periods हों , कम हों या अधिक हों , या देरी से हों तो 200 ग्राम दशमूल क्वाथ + 100 ग्राम पंचकोल ;  इन दोनों को मिला लें । इस पाउडर  को 7-8 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएँ। इसे सुबह शाम दोनों समय पीयें ।
अधिक दिक्क्त है तो रज: प्रवर्तिनी वटी भी ले लें ।

पीपल ;  पीपल के पेड़ के नीचे 3 -4 घंटे  बैठने से ही over bleeding की समस्या ठीक होने लगती है ।
इसकी कोमल पत्तियों का 5-6 चम्मच रस मिश्री या शहद मिलाकर लेने से भी periods सम्बन्धी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं ।   ताज़ा पत्ती न मिलें तो एक चम्मच पत्तियों का पावडर लें ।  इससे दुर्बलता भी दूर होती है । 

सफ़ेद प्याज ;  अगर periods अनियमित हों या दर्द अधिक होता हो तो सफ़ेद प्याज के रस को गर्म करके शहद के साथ ले लें ।

शरपुंखा (प्लीहशत्रु ) ; अगर regular periods नहीं आ रहे हैं तो इसके पंचांग का काढ़ा सुबह शाम पीने से आराम आता है ।

गुलदाउदी (सेवती , चंद्रमल्लिका) ;  periods में दर्द होता हो या नियमित रूप से न आता हो तो इसके फूल व पत्तियां घोटकर पीएँ । अगर ताज़ा न मिले तो इसकी  पांच ग्राम सूखी फूल पत्तियाँ लें । उनका काढ़ा बनाकर , छानकर पीएँ ।

अकरकरा ; कोई भी periods सम्बन्धी समस्या हो या hormones की अनियमितता हो तो अकरकरा +गाजर के बीज +शिवलिंगी के बीज +पुत्रजीवक के बीज  , ये सभी बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।

बथुआ ;  pregnant महिलाओं के लिए बथुए का साग निषेध होता है । यह गर्म प्रकृति का होता है । लेकिन अगर periods रुके हुए हैं या अनियमित हैं , तो इसका प्रयोग करना चाहिए । इसके लिए बथुए के बीज + सौंठ मिलाकर कूट लें । 15-20 ग्राम पाउडर लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीएं । periods खुलकर होंगे ।
अगर periods के समय दर्द बहुत अधिक होता हो तो इसके 10 ग्राम बीज का काढ़ा बनाकर पीएँ । ऐसा दिन में  2-3 बार करें । अगर रक्त की कमी हो गई है तो 25-50 ग्राम बथुए के रस में पानी मिलकर पिएं । बहुत अधिक बथुए का रस नहीं पीना चाहिए अन्यथा दस्त लग सकते हैं ।

गाजर  ;  Periods में दर्द होता हो या समय पर न आते हों तो नियमित रूप से गाजर की सब्जी खानी चाहिए । इससे हारमोन की सभी गडबडी दूर होती हैं । Delivery के बाद अजवायन और गाजर के बीजों का काढ़ा लिया जाए तो uterus की ठीक प्रकार शुद्धि होती है और infections नहीं होते ।

ककड़ी  ;    Pregnancy में अफारा होने पर ककडी की जड़ों को  धोकर, कूटकर, काढ़ा बनाकर , नमक मिलाकर लें ।  Pregnancy या delivery की pain से राहत पानी हो तो delivery के तीन महीने पहले से ही ;  3 ग्राम ककडी की जड़ + 1 कप दूध +1 कप पानी मिलाकर मंदी आंच पर पकाएं । जब आधा रह जाए तो पी लें ।  ऐसा करने से पीड़ा से तो राहत मिलेगी ही , शिशु भी स्वस्थ होगा ।

बन्दा (curved mistletoe);  periods में excess bleeding हो रही हो तो इसकी 1-2 पत्ती पीसकर , शर्बत बनाकर , कुछ दिन तक लें . इसका अधिक प्रयोग न करें ।

कूठ (costus)  ;   Periods में दर्द होता हो या कम होता हो तो , periods शुरू होने से 10-15 दिन पहले इसे एक एक ग्राम सुबह शाम लेना प्रारम्भ कर दें ।  अनियमित periods होने पर भी इसे लेने से आराम आता है। 

चांगेरी ( indian sorrel)  ;   रक्त प्रदर होने पर या over bleeding होने पर,  इसके पत्तों को पीसकर मिश्री मिलाकर पीयें। 

अमलतास (purging cassia);  Delivery के समय इसकी 20-30 ग्राम फली को कूटकर 400 ग्राम पानी में पकाएं ।  जब रह जाए 100 ग्राम ; तो छानकर सुविधापूर्वक 1-2 बार ले लें ।  इससे delivery के समय आसानी हो जाती है ।  

गंभारी ( verbenaceae) ;  यह दशमूल के द्रव्यों में से एक है ।  प्रसव के बाद इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए । 
गर्भधारण  न होता हो तो , मुलेठी और गंभारी की छाल मिलाकर 5 ग्राम लें ।  इसे 200 ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा सवेरे शाम लें ।

शिरीष  ;   periods में बहुत दर्द हो तो period शुरू होने के चार दिन पहले इसकी 10 ग्राम छाल का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें । इसे period शुरूहोने पर लेना बंद कर दें ।

बबूल या कीकर ;     Periods की समस्या होने पर कीकर की छाल का काढ़ा पीयें। 

निर्गुण्डी (vitex negundo) ;   Periods में दर्द होता हो तो इसकी 4-5 पत्तियों को छाया में सुखाकर 600 ग्राम पानी में उबालें |  जब रह जाए 150 ग्राम तो पीयें |  यह सवेरे शाम कुछ दिन पी लें |  अगर अधिक परेशानी है तो इसके बीजों का पावडर 2-2 ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें |  कमर दर्द में इसके पत्तों का काढ़ा लें | 

नागदोन  ;    इसके तीन छोटे पत्ते काली मिर्च के साथ सवेरे सवेरे पांच दिन तक खा लें या फिर एक चम्मच रस सवेरे खाली पेट लें । मासिक रक्तस्राव अधिक हो तब यह प्रयोग किया जा सकता है।   

जलजमनी (broom creeper)  ;    .Periods जल्दी आते हों , overbleeding हो पेशाब में जलन हो , गर्मीजन्य बीमारी हो , स्वप्नदोष हो या फिर धातुक्षीणता हो तो इस रस को 10-15 दिन तक भी लिया जा सकता है।  इसके अतिरिक्त टहनियों समेत इसे सुखाकर , कूटकर 2-2 ग्राम पावडर मिश्री मिलाकर दूध के साथ लिया जा सकता है ।  

पिप्पली (long pepper)  ;  कम periods  होने पर पिपली + पीपलामूल (पिप्पली की जड़)  डेढ़- डेढ़ ग्राम मिलाकर,  काढ़ा बनाकर ,  पीयें ।  इससे दर्द भी नहीं  होता  periods भी नियमित हो जाते हैं ।  थोडा गर्म होता है तो गर्मी में कुछ कम मात्रा में लें ।

चित्रक (leadwort)  ;   मासिक धर्म अनियमित हों या देर से आते हों तो दशमूल 200 ग्राम और पंचकोल(चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) 100 ग्राम मिलाकर रख दें । इस मिश्रण का 7-8 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम पीयें । प्राणायाम करें ।  रज:प्रवर्तिनी वटी भी सवेरे शाम लें . इससे अवश्य लाभ होता है ।  

भृंगराज   ;  इसका 2-3 चम्मच रस और मिश्री मिलाकर शर्बत कुछ दिन लेने से गर्भपात के समस्या हल हो जाती है ।  

 बेल   ;    दशमूल में भी बेल की छाल का प्रयोग होता है ।  दशमूल का काढ़ा वात की बीमारियों में सूजन में और दर्द में बहुत लाभकारी है ।  नव प्रसूता इसका सेवन कर लें तो शरीर तो जल्दी सामान्य हो ही जाता है ; साथ ही कोई प्रसूत जन्य रोग भी नहीं होता ।  इसके लिए 10 ग्राम काढ़े को 400 ग्राम पानी में पकाएं । जब रह जाए एक चौथाई , तो पी लें ।   

शरपुंखा  ;    Abnormal periods की समस्या इसके पंचांगके काढ़े को लेने से ठीक होती है ।  

गुलदाउदी (chrysanthemum)  ;   मासिक धर्म अनियमित हो या दर्द रहता हो तो इसके फूलों व पत्तियों का काढ़ा पीयें ।  

दूब ( grass)  ;  गर्भपात की आशंका हो तो इस घास के 4-5 चम्मच रस में मिश्री मिलाकर दिन में तीन चार बार लें ।  

तिल (sesame)  ;   हारमोन ठीक न हों या फिर मासिक धर्म की परेशानी हो तो , 5 ग्राम काले तिल मोटा कूटकर काढ़ा बनाकर पीयें . निश्चित तिथि से 5-6 दिन पहले लेना प्रारंभ कर दें . Periods  के दौरान दर्द कम होगा ।  

अकरकरा (pellitory root)  ;  मासिक धर्म की समस्या हो या हारमोन का असंतुलन हो तो अकरकरा . गाजर , शिवलिंगी और पुत्रजीवक के बीज बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 ग्राम सवेरे शाम लें ।  

बथुआ (chenopodium) ;  गर्भवती महिलाओं को बथुआ नहीं खाना चाहिए ।  
Periods रुके हुए हों और दर्द होता हो तो इसके 15-20 ग्राम बीजों का काढ़ा सौंठ मिलाकर दिन में दो तीन बार लें ।  
Delivery के बाद infections  न हों और uterus की गंदगी पूर्णतया निकल जाए ; इसके लिए 20-25 ग्राम बथुआ और 3-4 ग्राम अजवायन को ओटा कर पिलायें।  या फिर बथुए के 10 ग्राम बीज +मेथी के बीज +गुड मिलाकर काढ़ा बनायें और 10-15 दिन तक पिलायें ।  एनीमिया होने पर इसके पत्तों के 25 ग्राम रस में पानी मिलाकर पिलायें । 

सफ़ेद प्याज (white onion) ;  Periods में दर्द या अनियमितता हो तो  इसका रस गर्म करके शहद के साथ लें । 

भुट्टा (corn ) ;  भुट्टे के बालों का प्रयोग periods की समस्या को ठीक करता है । 

करेला (bitter gourd)  ;  करेले के सब्जी नियमित रूप से लेने पर  नई माताओं को भरपूर दूध आता है ; साथ ही गर्भाशय की सूजन और संक्रमण से छुटकारा मिलता है । 

अरण्ड (castor)  ;  गर्भिणी  स्त्री या नव  प्रसूता  के स्तनों  पर इसकी  गिरी को पीसकर लेप किया जाए तो  गांठें नहीं पड़ती और दूध भी अधिक आता है.Nipple अगर crack हो जाए तो इसका तेल लगा लेना सर्वोत्तम इलाज है ।  गर्भिणी स्त्री को अगर पीलिया हो जाए तो इसके 5 ग्राम पत्तों का रस  या  काढ़ा ले  सकती है ।  
मासिक धर्म की पीड़ा में इसके एक पत्ते को दो सौ ग्राम पानी में पकाएँ ।  जब रह जाए पचास ग्राम; तो पी लें ।  उबलते समय अजवायन भी डाल दें तो अच्छा रहेगा ।  पेट पर इसका पत्ता गर्म करके बाँध लें , तो  दर्द बिलकुल ही समाप्त हो जाएगा । 

मेथी (fenugreek)  ;  delivery के बाद  मेथी और अजवायन को मिलाकर बनाया हुआ काढ़ा लिया जा सकता है । 

धनिया (coriander)  ; अगर bleeding ज्यादा हो रही हो धनिए के पत्तों का चार पांच चम्मच जूस थोडा कपूर मिलाकर ले लें।  pregnency  में उल्टी आती हो तो धनिए का पावडर और मिश्री मिलाकर एक चम्मच पानी या दूध के साथ लें । 

धतूरा (prickly poppy) ;   इसकी जड़ को कमर में बाँध लेने भर से गर्भपात की समस्या खत्म हो जाती है । 

 घृतकुमारी (aloe vera )  ;  इसके गूदे को खाने से शरीर के हारमोन भी संतुलित रहते हैं ।  यदि पीरियड के दौरान अधिक bleeding हो तो प्रात:काल 20 ग्राम गूदे में 3 ग्राम गेरू का पावडर मिलाकर ले लें ।  

कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade )  ;  गर्भावस्था में उलटी आती हों , जी मिचलाता हो या फिर बार बार abortion होने की समस्या हो तो , इसे सूखा पांच छ: ग्राम लेकर उसमें पांच छ: मुनक्का मिलाएं।  इसे चार सौ ग्राम पानी में पकाएं ।  एक चौथाई रहने पर खाली पेट पी लें ।

पालक (spinach )  ;   ऐसा कहा जाता है कि pregnancy में इसे नहीं खाना चाहिए ।  शायद इससे नवजात शिशु के वर्ण पर कुछ असर होता हो ।  

अंजीर (fig)  ;   periods irregular हों तो दशमूलारिष्ट के साथ साथ अंजीर भी लेते रहें ।

छुईमुई (touch me not )  ;   hydrocele  की समस्या हो या सूजन हो तो  पत्तियों को उबालकर सेक करें या पत्तियां पीसकर लेप करें ।   
यदि अधिक bleeding हो रही है periods की, तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ। 
                                                           

अपामार्ग , लटजीरा  ;    गर्भ धारण नहीं होता तो , periods के शुरू के चार दिनों तक इसकी दस ग्राम जड़ को 200 ग्राम दूध में पकाकर लें . यह खाली पेट लेना है ; केवल पहले, दूसरे और तीसरे महीने तक.  फिर अच्छा परिणाम सामने आ सकता है . और अगर delivery होने वाली है तो इसकी जड़ कमर में बाँध लें ; नाभि की तरफ . Delivery होते ही तुरंत इसे हटा दें .    इससे आसानी रहेगी 


अग्निशिखा   ;    Delivery के समय नाभि पर इसके कन्द का लेप करें तो बहुत आसानी से delivery हो जाती है ।    

गूलर (cluster fig)  ;  कहीं से भी रक्त जाता हो तो इसकी पत्तियों का रस मिश्री के साथ लें । गर्भावस्था में गर्भपात होने का डर हो तो इसकी दूध की 2-3 बूँद बताशे में डालकर खाएं या फिर इसकी कोमल पत्तियों का रस लें ।  इसका प्रयोग निरापद है । 

पलाश ( flame of the forest )  ;  इसके गोंद को कमरकस कहते हैं . रक्त प्रदर(bleeding ) हो तो इसे आधा ग्राम की मात्रा में लें |  

अपराजिता ;   गर्भाशय बाहर आता हो तो इसके पत्ते +चांगेरी घास (खट्टा मीठा) +फिटकरी उबालकर , उस पानी से धोएं।   Overbleeding  हो या जल्दी जल्दी periods आते हों , तो इसकी 4-5 पत्तियों का रस लेते रहें।  Delivery होने वाली हो तो इसकी जड़ धागे में बांधकर कमर में बाँध लें और बाद में तुरंत हटा दें।  सूजाक या संक्रमण हो तो इसके पत्ते उबालकर धोएं।  

श्योनाक , टोटला  ;   Delivery के बाद uterus में infections  न हों और यह अपनी पहली अवस्था में आ जाए ; इसके लिए  2 ग्राम श्योनाक +1 ग्राम सौंठ +2-3 ग्राम गुड का काढ़ा पीयें।  इससे भूख भी ठीक हो जाती है।  यह दशमूल का मुख्य घटक है।  delivery के बाद इसकी छाल का काढ़ा लेने से गर्भाशय ठीक रहता है और periods भी ठीक होते हैं । 
                     
इन सभी जड़ी बूटियों के प्रयोग के साथ साथ प्राणायाम भी अवश्य करें ; विशेषकर कपालभाति प्राणायाम ।


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