Wednesday, December 7, 2011

पिपली (long pepper)


पीपली को संस्कृत में पिप्पली , वैदेही और मागधी भी कहते हैं . यह रोगों की परिसमाप्ति का प्रमुख द्रव्य है . यह हर जगह उग सकता है . पिप्पली की जड़ के काढ़े से किसी भी तरह का बुखार खत्म होता है . बाद में जो लीवर खराब होता है , भूख ठीक नहीं लगती , सब ठीक हो जाता है . यह सुबह शाम लेना है . इससे सभी विजातीय तत्व भी निकल जाते हैं . चाहे डाक्टर की दवाई भी ले रहे हों तब भी इसे लेते रहें . इससे बुखार बार बार नहीं आता .
                        पंचकोल (पीपल , पीपलामूल , चित्रक , चव्य, सौंठ ) का काढ़ा लेने से thyroid की बीमारी ठीक होती है . इससे मोटापा भी कम होता है . कम periods  होने पर पिपली + पीपलामूल (पिप्पली की जड़)  डेढ़- डेढ़ ग्राम मिलाकर,  काढ़ा बनाकर ,  पीयें .  इससे दर्द भी नहीं  होता  periods भी नियमित हो जाते हैं . थोडा गर्म होता है तो गर्मी में कुछ कम मात्रा में लें.
                                                                         सिरदर्द होने पर पिप्पली का पावडर भूनकर नस्य लें . सूंघने पर सिरदर्द  में तो लाभ होता ही है नजला , जुकाम भी ठीक होता है .  एक ग्राम पिप्पली के पावडर को दूध के साथ रात को सोते समय लें . नींद अच्छी आयेगी .कफ भी नहीं बनेगा . अस्थमा में दो ग्राम पिप्पली का पावडर शहद के साथ लें . कफ वाली दवाइयों में इसका प्रयोग अवश्य होता है .
                        रतौंधी के लिए पिप्पली  का काजल इस्तेमाल करें . पिप्पली के  बारीक पावडर को  घी में मिलाकर बत्ती बनाकर जला लें और काजल बना लें . ईसे आँख भी ठीक रहेंगी । स्वरभंग हो जाए तो पिप्पली का पावडर शहद के साथ चाटें . बच्चों का दांत निकलते समय पिप्पली घिसकर शहद के साथ चटा दें .   पेट के अफारे , कफ के लिए , हरे पीले दस्त के लिए ; सब तरह से यह अच्छा प्रयोग रहेगा .
                              पिप्पली कल्प स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है. पहले दिन एक पिप्पली को एक गिलास दूध में पकाएं . पहले पिप्पली खाकर फिर दूध पी लें . अगले दिन दो पिप्पली दूध में पकाकर लें .  11 पिप्पली तक इसी तरह करें . फिर वापिस घटाते जाएँ . दिन में कुछ न खाएं या कुछ हल्का खाएं  . आहार पर संयम रखें . इस कल्प को करने में लगभग 21 दिन लग जाते हैं .  इस कल्प को करने से  चेहरे पर कांति आती है, सब दर्द खत्म हो जाते हैं , अस्थमा में आराम आता है और शरीर की स्फूर्ति बढ़ जाती है
                                                                                            हृदय रोग में  पीपली +हरी इलायची एक एक ग्राम दूध के साथ लें या दूध में उबालकर लें  . अर्जुन की छाल का पावडर मिला लें तो और अच्छा रहेगा . नवप्रसूता माताएं तीन ग्राम शतावर +एक ग्राम पिप्पली का पावडर दूध बढ़ाने के लिए सुबह शाम ले सकती हैं . इससे शरीर भी जल्द  ही सामान्य स्थिति में आ जाएगा . पेट दर्द के लिए इसका एक ग्राम पावडर शहद के साथ चाटें .5gram  पिप्पली+ 1gramपीपला मूल के काढ़े से मोटापा भी ठीक होता है .  लीवर बढ़ा हुआ है तो  5 gram पिप्पली +एक ग्राम पीपलामूल मिलाकर लें . यह दर्द के लिए भी अच्छा है .
                                           इसे घर में लगाइए . बहुत सुंदर लगता है .

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