रांची से साठ किलोमीटर की दूरी पर सुबर्णरेखा नदी के किनारे एक गांव है; जिसका नाम है मरदु।
पूरण चंद महतो इसी गांव का एक किसान था। सुबह चार-पांच बजे के करीब वह अपने पशुओं को चराने के लिए बाहर ले जाना चाहता था। वह वरांडे में आया और अपनी बेटी सविता को बोला,"जा! सब पशुओं को बाहर निकाल ला।"
सविता अंदर गई तो उसकी चीख़ की आवाज आई, "बाबा! बाघ!!"
उनके कमरे में सात फुट लंबा एक बाघ खड़ा था। कमरे का एक ही दरवाजा था। कमरे में पूरन चंद की दो बेटियों के अलावा मेहमान भी सो रहे थे। पूरणचंद की पत्नी और बेटा एक शादी में सम्मिलित होने के लिए पास के गांव में गए थे।
चीख की आवाज सुनकर सभी एकदम उठ खड़े हुए और कमरे के एक कोने में सिमट गए। तभी बाघ भी शायद डर गया और उसने एक खिड़की से दूसरे कमरे में छलाँग लगा दी। और वहां खड़ा हो गया। वास्तव में कमरे की खिड़की बहुत बड़ी थी, और उसमें लोहे की जाली भी नहीं थी; इसीलिए वह आराम से कूद पाया।
पूरणचंद ने सबको घर के बाहर आने के लिए कहा। जैसे ही सब बाहर आ गए तो पूर्ण चंद ने घर का लोहे वाला दरवाजा बाहर से बंद करके ताला लगा दिया।
इस गांव में तेंदुए वगैरह तो अक्सर घरों के आसपास, कभी-कभी आ ही जाते थे। लेकिन यह पहली बार था, कि कोई बाघ घर के अंदर घुस गया हो।
जिला अधिकारियों को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने जंगल के अधिकारियों को खबर कर दी। वे तुरंत एक टीम के साथ इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आ गए। उच्च अधिकारी भी इस ऑपरेशन को सुपरवाइज करने के लिए वहां पहुंच गए। पूरे मकान को जालियों से ढक दिया गया।
भीड़ को इकट्ठा न होने देने के लिए आदेश जारी कर दिए गए। लगभग एक हजार के करीब गांव वाले वहां इकट्ठे हो गए थे। उनकी सुरक्षा करना भी इन अधिकारियों का कर्तव्य था।
शाम के लगभग चार बजे 'पलामू टाइगर रिजर्व' से एक टीम, इस गांव में आई। रांची का जंगल विभाग भी उनका साथ दे रहा था। इन सब ने मिलकर उस बाघ को पकड़ लिया। यह एक नर बाघ था; जो कि लगभग पांच साल का था।
इस पूरी टीम ने उनके लिए एक रेस्क्यू गाड़ी का इंतजाम किया हुआ था। पहले इस बाघ को पिंजरे में लाना जरूरी था। पिंजरे में कोई शिकार रखते; उसके पहले ही वह बाघ इस पिंजरे में आ गया, और पकड़ा गया।
उसके बाद उसे बेहोश करना जरूरी था; जिससे कि उसे कोई चोट या खरोंच न लग जाए। बेहोशी की एक गोली से काम न चला। दो गोलियां चलानी पड़ी। तब कहीं जाकर वह बेहोश हुआ। शाम को लगभग सात बजे इस टाइगर को रांची के 'भगवान बिरसा चिड़ियाघर' में ले जाया गया। वहां पर उस बाघ के बहुत से टेस्ट हुए।
झारखंड के वन विभाग के वार्डन ने कहा, "यदि बाघ शारीरिक रूप से बिल्कुल ठीक होगा; तो हम इसे टाइगर रिजर्व में छोड़ देंगे। इसके गले में एक रेडियो कॉलर भी डाल देंगे; जिससे कि इसके बारे में मालूम होता रहे, कि यह कहां घूम रहा है?"
"कहीं ऐसा न हो कि यह बिन बुलाया मेहमान, फिर किसी के घर में जाकर, दोबारा सरप्राइज दे!" वह हंसते हुए बोला।
No comments:
Post a Comment