गिर में देवलिया सफारी पार्क है। यहां पर एक सिंहनी अचानक हमला करती है। किसी शिकार पर नहीं, बल्कि रबड़ के टायर पर!
जी हां! इसने, इस अद्भुत कला में महारथ हासिल कर ली है। वह रबड़ के टायर में अपने पंजे का नाखून घुसा कर उसे फुस्स कर देती है।
जैसे ही यहां पर कोई सफारी गाड़ी खड़ी दिखाई देती है तो वह उसके चारों तरफ पहले सूंघती है और फिर चुपचाप, उसके टायर को अपने पैने नाखून घुसा कर फ्लैट कर देती है। इसीलिए इस सिंहनी का नाम "पंक्चर वाली सिंहनी" पड़ गया है।
जंगल के अधिकारी बताते हैं कि वह शायद टायर को सूंघकर अंदाज़ा लगाती है कि कहीं उस पर, शहर के कुत्तों या किसी अन्य पशु की गन्ध तो नहीं? टायर पर लगी ऐसी गन्ध को, वह किसी अन्य जानवर द्वारा अपने क्षेत्र की सीमा का उल्लंघन या अतिक्रमण मानती है। ऐसा पाने पर, वह उत्तेजित होकर, टायर को पंजों से नोच देती है।
वह रोज ऐसा नहीं करती। परन्तु कभी-कभी खड़ी हुई सफारी गाड़ियों के टायर पंक्चर हो जाते हैं। जब भी कोई टायर पंक्चर हुआ मिलता है, तो सब समझ जाते हैं कि यह किसने किया है? उसी "पंक्चर वाली सिंहनी" ने!
वही तो है असली खुराफाती शातिर!
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