Tuesday, June 10, 2025

बंदर और सांप

 कसौली जाते समय रास्ते में एक छोटी सी दुकान दिखाई पड़ी जिसमें एक दुकानदार सांप को लहरा रहा था; जिसने अपना फन खड़ा किया हुआ था। वह बिल्कुल जिंदा सांप लग रह लग रहा था। इस दुकान के पास जाकर हमने देखा कि वह सांप लकड़ी के छोटे-छोटे गोलाकार टुकड़ों से बनाया गया है। 

उसकी पूंछ, धड़ और सांप का फन, इतनी सुंदर ढंग से बनाए गए थे कि वह वास्तविक सांप लग रह लग रहा था। अतः हमने सोचा कि इस सांप को खरीद ही लिया जाए। दुकानदार को पैसे देकर हमने वह सांप पैक करने के लिए कहा। उसके पास डिब्बे वगैरह तो थे नहीं; इसीलिए उसने एक अखबार के बड़े से कागज में सांप को रखा और उसे लपेटकर हमें पकड़ा दिया।

 आगे चले तो पेड़ों के ऊपर बहुत सारे बंदर बैठे हुए थे। एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांगे लगा रहे थे। 

अचानक एक बंदर हमारे पास आया और वह पैकेट झपटकर ले गया, जिसके अंदर सांप था। जब बंदर ने पैकेट छीना तो एकदम झटका महसूस हुआ। लगा कि क्या हो रहा है? पर दूसरे ही क्षण एक बंदर को पैकेट हाथ में लिए पेड़ पर बैठे हुए पाया।  यह सब अकस्मात् ही हो गया।

 वह पैकेट लेकर ऊपर पेड़ पर जाकर बैठ गया। उसने सोचा होगा कि शायद इसमें खाने का समान है। यह सोचकर उसने पैकेट को खोला। 

 जैसे ही उसने पैकेट खोला तो उसे एकदम सांप दिखाई दिया। वह इतना वास्तविक सांप लग रह लग रहा था कि वह बंदर एकदम घबरा गया और पैकेट फेंक कर और वहां से भाग खड़ा हुआ। 

सांप पेड़ के नीचे आकर गिर गया। यह सब देखकर हमें बड़ी हंसी आई; क्योंकि बंदर के चेहरे पर वास्तविक भय था। उसके हाव-भाव से लग लग रहा था कि वह कितना घबरा गया है! 

बंदर ने भी सांप को वास्तविक समझ लिया था, यह सोचकर हमें बड़ा मजा आया।

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