Tuesday, February 13, 2024

चिड़िया अटक गई!

 

जी हां! चिड़िया पेड़ पर अटक गई। यह कोई मामूली चिड़िया नहीं थी। यह एक विशेष चिड़िया थी, जो चिक्के  के साथ होती है। और ऐसी चिड़िया पेड़ पर चढी कि उतरी ही नहीं। समझ गए ना आप। जी हां! शटल! बैडमिंटन वाली शटल!  

हुआ यूं, कि एक दिन बच्चे पार्क में बैडमिंटन खेल रहे थे;  और होड़ लगी हुई थी कि कौन सबसे ऊपर शटल उछाल सकता है। शटल यानी चिड़िया! किसी बच्चे की बहुत ऊपर जा रही थी और किसी की तो जाल में उलझ कर रह गई। हां लेकिन मजा बड़ा आ रहा था बच्चों को!

अचानक चिड़िया पेड की सबसे ऊपर वाली फुनगी पर अटक गई।  बच्चों ने पेड हिलाया तो वह बीच में जा फंसी। बहुत जोर से बार  बार हिलाने पर भी वह जस की तस अटकी रही। बच्चे हार थक कर घर चले गए।  

अगले दिन सवेरे आंधी और बारिश आ गई।  बच्चो ने देखा कि चिड़िया पेड के नीचे गिर गई थी। वे खुश हुए और फिर से उसी चिड़िया के साथ खेलने लगे। 1 घंटा बीतते बिताते फिर से उनकी चिड़िया उसे दूसरे पेड़ में उलझ गई।

 बच्चों ने पेड़ हिलाना शुरू कर दिया किसी ने चप्पल निकाल ली; और कोई पत्थर मारने की तैयारी करने लगा। तभी किसी ने देखा कि एक चिड़िया पेड़ पर बैठी है;  और उसे चिड़िया के पास एक छोटा सा घोंसला भी था। एक बच्चे ने कहा," यहां तो चिड़िया का घोंसला है। इस पेड़ पर चप्पल नहीं मारेंगे।"  वह पेड़ को धीरे-धीरे हिलाने लगे।  लेकिन चिड़िया अर्थात शटल नीचे नहीं आई। लेकिन असली चिड़िया तो उड़ गई। बच्चों ने सोच विचार किया, कि पेड़ को हिलाए और शटल को निकालें या उसे ऐसे ही छोड़ दें। 

 किसी ने कहा," अरे! इस चिड़िया का घोंसला टूट जाएगा। इस शटल को वहीं पर रहने दो। हम दूसरी शटल ले आएंगे उस बैडमिंटन खेल लेंगे।"

 इसके बाद सभी बच्चे वहां से चले गए और दूसरी चिड़िया लाकर बैडमिंटन खेलने लगे।  लेकिन, उनकी पहली चिड़िया तो चिड़िया के घोंसले के पास, अटक ही गई थी!

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