Sunday, November 23, 2025

लौट आईं स्मृतियां!

 रिखीराम अंबाला जा रहा था। रास्ते में सड़क पर उसका एक्सीडेंट हो गया। वह बच गया। लेकिन उसकी याददाश्त जाती रही। उसके परिवार वालों ने उसको ढूंढने की बहुत कोशिश की। पर उसका कुछ पता न लगा। 

वास्तव में वह जिंदा था। लेकिन अपने परिवार से 1600 किलोमीटर दूर था। वहां किसी ने उसको बचा लिया था। उसे अपनी पिछली जिंदगी की सभी बातें विस्मृत हो गई थी। वह अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था। इसीलिए उसे बचाने वाले ने उसका नाम रवि चौधरी रख दिया था। उसने नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू की। वह मुंबई  चला गया वहां उसने कुछ दिनों कुछ काम किया।

 फिर वह नांदेड़ काम के लिए चला गया।उसे एक कॉलेज में  नौकरी मिल गई। उसने एक लड़की संतोषी से विवाह भी कर लिया। उसके तीन बच्चे हुए। उसे अपने पिछले जीवन का कुछ भी याद नहीं था। लेकिन कुछ ही महीने पहले की बात है कि उसका एक और एक्सीडेंट हो गया। उसका सिर टकराया। ज्यादा चोट नहीं आई। लेकिन अचानक उसकी पिछली स्मृतियां वापस आ गई। उसे पिछले समय के बचपन के चित्र देखने लगे। उसे अपने शहर 'सातों' के पहाड़ दिखने लगे। वह बड़ा हैरान और परेशान हुआ। 

 उसने इन चित्रों की स्मृतियों को अपनी पत्नी को बताया। उसकी पत्नी ने सलाह दी कि अपनी कॉलेज के छात्रों से यह बात पूछे। वे शायद खोज कर कुछ बता पाएं। उसने अपने कॉलेज के एक विद्यार्थी को ऑनलाइन 'सातों' गांव को ढूंढने के लिए कहा। जब उस विद्यार्थी ने 'सातों' गांव ढूंढ कर, उसके एक कैफे में फोन घुमाया, तो पता चला कि वह वहां सचमुच ही रहता था। वहां पर उसका नाम रिखी राम था। 

इसके बाद रिखीराम हिमाचल प्रदेश के उसी गांव में वापस आया। वह अपने बच्चों और पत्नी को साथ लेकर आया। उसके माता-पिता की तो मृत्यु हो चुकी थी। लेकिन उसके भाई-बहन उसे पहचान गए। वे अवाक् थे, लेकिन प्रसन्न भी! उनकी आंखों में हर्ष मिश्रित आंसू आ गए। गांव वालों ने माला पहनाकर उसका स्वागत किया। यह बहुत ही भावुक मिलन था। 

यह अद्भुत बात है, कि जो घटनाएं हम फिल्मों में पर्दे पर देखते हैं; वह जीवन में प्रत्यक्ष रूप से घटित हुई।

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