Wednesday, August 20, 2025

ओम प्रकाश सर; एक सरल व्यक्तित्व

  ओमप्रकाश सर के स्वभाव की सरलता किसी से छिपी हुई नहीं है। कर्मयोगी ओमप्रकाश सर को इधर-उधर की बातों से कोई मतलब नहीं। बस वे अपना कर्तव्य निभाने में हमेशा तत्पर रहते हैं। उनका जन्मदिन का अवसर भी है; और सेवानिवृत्ति भी समीप है। इन क्षणों में हृदय से कुछ पंक्तियां उनके लिए समर्पित है;


कोई गीता पढ़ता है। 

कोई गीता सुनाता है।

लेकिन आप तो गीता को जीते हैं।


 "मा कर्मफल हेतु: भू:"

 आपने अक्षरश: अपनाया है।

 और "मा ते संगो अस्तु अवकर्मणि" 

 में आपका पूर्णतया विश्वास है।

 इसके कार्यान्वयन हेतु,

 मैंने आपको सर्वदा ही कार्यरत पाया है।


 "सुखे दु:खे समे कृत्वा, लाभालाभौ जयाजयौ"

 के मंत्र का स्पष्ट अर्थ आपमें ही समाया है।

 घटित कुछ भी हो जीवन में, 

आपको मुस्काते हुए ही पाया है। 


नि:स्वार्थ सेवा भाव की प्रतिमूर्ति,

 आपके व्यक्तित्व में समाई है।

 न अधिक प्रसन्न, न अधिक खिन्न;

 योगी की सी परिभाषा आप में स्वयं चली आई है। 


समाहित है परोपकार, जिस व्यक्तित्व में अनुपम; 

उसे क्यों न नमन करें यह कृतज्ञ अंतर्मन।।

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