पंचमढ़ी, मध्य प्रदेश के खूबसूरत स्थान में से एक प्रसिद्ध स्थान है।
"इस बार पंचमढ़ी घूमने के लिए चलते हैं।" ऋचा ने सुझाव दिया।
"अरे वाह! यह तो बहुत अच्छा आईडिया है। वहां मौसम भी बहुत अच्छा है; और नजारे भी। चलो पंचमढ़ी ही चलेंगे" रैना बोली। संदीप ने सहमति दी और उत्कल भी तैयार हो गया।
चारों मित्र, अपने बच्चों रुद्रांश और वेदांश के साथ पंचमढ़ी पहुंच गए। वास्तव में ही बहुत सुंदर जगह है पंचमढ़ी। होटल में अपने कमरों मे अपना सामान रखने के बाद इन लोगों ने कुछ नाश्ता लिया। चाय पानी पीने के बाद सभी बाहर के नजारे देखने के लिए निकल पड़े। रास्ते में एक जगह पर कुछ लोग बेर बेच रहे थे। बहुत मीठे और स्वादिष्ट बेर प्रतीत हो रहे थे। सभी ने एक-एक छोटा पैकेट बेर लिए और पैदल ही, प्राकृतिक दृश्य का मजा लेते हुए चलने लगे।
अचानक रास्ते में उन्हें कुछ बंदर मिले। इनमें से एक बंदर बडे ध्यान से इन्हें देख रहा था। उत्कल ने एक बेर उसकी तरफ फेक लेकिन उसने वह बेर नहीं उठाया। वह उत्कल की तरफ बढ़ आया और दोनों हाथ फैला दिए। ऐसा लग रह रहा था, मानो कह रहा हो, "देने हैं बेर; तो पूरा पैकेट ही दे दो ना! एक एक बेर क्यों दे रहे हो?"
उत्कल ने पूरा पैकेट उसे पकड़ा दिया। वह दूर चला गया वहां बैठकर उसने सारे बेर खा लिए। और बाद में नीचे पड़ा हुआ बेर भी उठा कर खा लिया; जो कि उत्कल ने सबसे पहले दिया था।
एक बंदर ने संदीप के हाथ से पानी की बोतल छीन ली। उसने बोतल का ढक्कन नहीं खोला; बल्कि बोतल के नीचे दांतों से छेद किया और फिर पानी पीया।
थोड़ा बहुत घूमने के बाद ये सभी अपने होटल वापस चले। रास्ते में एक दुकान से हल्दीराम के छोटे-छोटे समोसे भी खरीद लिये। ऋचा ने एक दर्जन केले भी ले लिए।
होटल के कमरे में जाकर उन्होंने मेज पर समोसे और केले रख दिए। कमरे में एक बड़ी सी खिड़की थी। रुद्रांश ने पूरी खिड़की खोल दी। खिड़की से मजेदार ठंडी हवा आ रही थी। सामने ही बड़ा सा पेड़ था। उसकी डालियों पर कई बंदर भी बैठे थे। ऋचा, उत्कल और रुद्रांश आराम से कुर्सियों पर बैठ गए और टीवी का स्विच ऑन किया।
तभी बिजली की फुर्ती से एक बंदर खिड़की के अंदर आ गया। उत्कल ने तुरंत उसे भगाया। फिर उन्होंने सारा सामान चैक किया कि कहीं बंदर कुछ ले तो नहीं गया? चश्मा, घड़ी, पर्स, केले सभी वस्तुएं सुरक्षित थी। सभी निश्चित हो गए कि बंदर कुछ नहीं ले गया है। रुद्रांश ने कहा, "खिड़की बंद कर देनी चाहिए। कहीं फिर बंदर आ गए तो?"
वह खिड़की का दरवाजा बंद करने गया, तो सामने पेड़ पर नजर गई। वह बंदर हाथ में हल्दीराम का थैला लिए बैठा था। और उसमें से समोसे निकाल-निकाल कर खा रहा था। तीनों को बहुत हंसी आई। रुद्रांश ने रैना, संदीप और मेदांश को भी बगल वाले कमरे से बुलाकर, यह दृश्य दिखाया। उन तीनों को भी यह दृश्य देखकर बहुत मजा आया।
मेदांश अचानक बोल उठा, "समोसाचोर बंदर! हमारे समोसे वापस कर।"
उसकी नटखट अभिव्यक्ति का अलग अंदाज देखकर सब मुस्कुरा उठे।
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