"मां! यह वीडियो तो बहुत अच्छा है।" पुष्पा बोली।
"सारा दिन फोन हाथ में रहता है। बस, वीडियो देखती रहती है। कुछ काम भी कर लिया कर कभी!" उसकी मां ओमवती ने उसे फटकारा।
"नहीं मां! ऐसा नहीं है। कई वीडियो बड़े काम के होते हैं। देखो तो! इस वीडियो में आम पापड़ बनाना सिखाया है। बड़ा ही आसान है, आम पापड़ बनाना।"
"तुझे कुछ काम तो है नहीं। अब आमपापड़ के सपने लेती रह! मैं जा रही हूं सब्जी लाने के लिए। बाहर से सूखे कपड़े उतार ले। बारिश आने वाली है।" कह कर ओमवती बाजार चली गई।
बाजार में एक ठेले पर, बहुत बढ़िया आम, बड़े ही कम दामों पर मिल रहे थे। ओमवती ने दो किलो आम खरीद लिए। और बाकी सब्जियां लेकर घर वापस आई। पुष्पा ने थैले में आम देखे, तो वह खुश हो गई। बोली, "मां! एक दो आम का आम पापड़ बनकर देख लूं। क्या पता, सचमुच आम पापड़ बन ही जाए।"
"तू रहने ही दे। आम बेकार जाएंगे। कोई फायदा नहीं होगा। छोड़ इस झंझट को। चुपचाप आम और सब्जियां फ्रिज में रख दे। और मुझे एक गिलास पानी पिला दे। बहुत गर्मी थी, बाहर।" ओमवती पसीना पहुंचती हुई कुर्सी पर बैठ गई।
पुष्पा भी हार मानने वाली नहीं थी उसने बार-बार आग्रह करके ओमवती को दो आमों का आम पापड़ बनाकर देखने के लिए, राजी कर ही लिया। आमों का गूदा निकाल कर, उसमें चीनी मिलाई, और गैस पर थोड़ी देर पका दिया। जैसे ही गूदा गाढ़ा होने लगा, उसने उसे चिकनाई लगी हुई प्लेट में डाल दिया, और फैला दिया।
ओमवती को पक्का यकीन था, कि यह गूदा ऐसे ही पड़ा रहेगा। पुष्पा से वह बोली, "चल रख दे इसे एक तरफ। कल इस गूदे को प्लेट से उतारकर आमरस बना लेंगे।"
पुष्पा ने विश्वास से कहा, "नहीं मां! वीडियो में तो इसी गूदे से दो दिन बाद आम पापड़ बना हुआ दिखाया था।"
"हां! हां! ठीक है। देख लेंगे। अब तू फोन एक तरफ रख। शाम के खाने की तैयारी भी करनी है।" ओमवती रसोई में चली गई।
पुष्पा में प्लेट पंखे के नीचे रखी; जिससे की प्लेट पर पूरी हवा लगती रहे। रात को पुष्पा को देर से नींद आई। वह सोच रही थी कि सवेरे प्लेट में आम पापड़ बन पाएगा या नहीं। और आम पापड़ बना तो वह कैसा होगा? क्या वह वीडियो में दिखाए गए अनुसार ही होगा या कुछ अलग! सोचते सोचते उसे नींद आ गई।
पुष्पा सवेरे बहुत जल्दी उठ गई। उसने उठकर सबसे पहले प्लेट को देखा। उसकी सतह छूकर उसे लगा कि वह सूख चुकी है। वह रसोई से एक चाकू लाई। वीडियो की तरह उसने किनारे से आम पापड़ को प्लेट से अलग करने का प्रयास किया। वह हैरान हो गई। सचमुच, आम पापड़ किनारों से, इस प्रकार उतर रहा था; जैसा की वीडियो में दिखाया गया था।
धीरे-धीरे उसने पूरा आम पापड़ प्लेट से उतारा, और दोनों हाथों से पकड़ लिया। वह आम का पापड़ ही था! पतला सा, आम पापड़! वह खुशी से नाच उठी। उसने ओमवती को जगाया।
"मां! देखो! आम पापड़ बन गया।"
ओमवती की नींद खुली। वह बोली, "क्या हुआ? क्यों जगाया?"
पुष्पा ने दोनों हाथों में आम पापड़ पकड़ा और मां के सामने ले आई। "अरे पुष्पा! यह तो आम पापड़ बन गया। इतना आसान होता है क्या, आम पापड़ बनाना?" ओमवती बहुत आश्चर्य से पुष्पा और आम पापड़ को देख रही थी।
"हां मां! वीडियो में यही तो दिखाया था कि, आम पापड़ बनाना इतना आसान है।" पुष्पा ने कहा और ओमवती के मुंह में आम पापड़ का छोटा सा टुकड़ा डाल दिया।
"यह तो बहुत स्वादिष्ट है। इसमें दोगुनी मिठास है। आमों के साथ, तेरी मेहनत की भी तो मिठास है।" ओमवती बहुत खुश थी ।
"मां! मैं सभी आमों का आम पापड़ बना लूं?" पुष्पा चहकी।
"हां! हां! क्यों नहीं। ऐसी दोगुनी मिठास वाले आम पापड़ तो खुद भी खाएंगे; और सब को भी खिलाएंगे।" ओमवती ने पुष्पा की पीठ थपथपाई।
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