शीतपित्त होने पर पूरे शरीर में एकदम खुजली होनी शुरू हो जाती है . यह जितनी शरीर के ऊपर फूली हुई दिखाई देती है , उतनी ही अंदर की तरफ भी फूल जाती है . जल्दी न संभाला जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है .
इसका अचूक इलाज है ; 4-5 चम्मच देसी घी +4-5 चम्मच खांड +4-5 काली मिर्च पीसकर सबको मिलाकर एक साथ खा लें . खाते ही शीतपित्त एकदम ठीक होना शुरू हो जाएगा . इसके अलावा शीतपित्तभंजन रस 10-20 ग्राम +हरिद्राखंड 100 ग्राम मिलाकर रख लें . इसे 1-2 ग्राम पानी के साथ लें .
नारियल के तेल में देसी कपूर मिलाकर रख दें . इसको मलें .
बासी खाना न खाएं . ज्यादा ठंडी चीज़ें न खाएं . सादा पानी पीयें . कोल्ड ड्रिंक्स न पीयें .
सवेरे शाम कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी का प्रयोग भी लाभदायक होगा . ये खाली पेट या खाना खाने के एक घंटे बाद ली जा सकती हैं .
प्राणायाम निरंतर करें . अनुलोम-विलोम , भ्रामरी प्राणायाम विशेष तौर पर लाभकारी हैं।
कुछ पौधे भी लाभकारी हैं :
रेवनचीनी (rhubarb) ; शीतपित्त या urticaria की बीमारी में इसकी जड़ के पाउडर मे बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ लें ।
गंभारी (verbenaceae) ; शीतपित्त होने पर गंभारी के फल का पावडर मिश्री मिलाकर सवेरे शाम लें ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त आदि से छुटकारा मिलता है ।
बथुआ (chenopodium) ; शीतपित्त की परेशानी हो , तब इसका रस पीना लाभदायक रहता है ।
पीपल (sacred fig) ; अगर शीतपित्त की परेशानी हो तो एक चम्मच देसी घी , एक ग्राम काली मिर्च खाकर इसके पत्तों का एक कप रस पी लें । दस मिनट में ही असर दिखाई देगा । अगर 5-7 दिन ऐसा लगातार कर लिया जाए तो बहुत हद तक शीत पित्त से बचा जा सकता है ।
आँवला ; अगर रक्तपित्त की बीमारी हो तो 10 gram आंवले का पावडर और 5 gram हल्दी मिला लें । इसे एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें । इसके अतिरिक्त आंवला और नीमपत्र मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें । इसका काढ़ा सवेरे शाम पीने से रक्त शुद्ध हो जाता है ।
घृतकुमारी (aloe vera) ; शीत पित्त होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें |
गूलर (cluster fig) ; शीत पित्त (पित्ती उछलना ) हो तो इसकी कोमल पत्तियों को पीसकर 10-15 ग्राम रस सवेरे खाली पेट लें । या इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें ।
इसका अचूक इलाज है ; 4-5 चम्मच देसी घी +4-5 चम्मच खांड +4-5 काली मिर्च पीसकर सबको मिलाकर एक साथ खा लें . खाते ही शीतपित्त एकदम ठीक होना शुरू हो जाएगा . इसके अलावा शीतपित्तभंजन रस 10-20 ग्राम +हरिद्राखंड 100 ग्राम मिलाकर रख लें . इसे 1-2 ग्राम पानी के साथ लें .
नारियल के तेल में देसी कपूर मिलाकर रख दें . इसको मलें .
बासी खाना न खाएं . ज्यादा ठंडी चीज़ें न खाएं . सादा पानी पीयें . कोल्ड ड्रिंक्स न पीयें .
सवेरे शाम कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी का प्रयोग भी लाभदायक होगा . ये खाली पेट या खाना खाने के एक घंटे बाद ली जा सकती हैं .
प्राणायाम निरंतर करें . अनुलोम-विलोम , भ्रामरी प्राणायाम विशेष तौर पर लाभकारी हैं।
कुछ पौधे भी लाभकारी हैं :
रेवनचीनी (rhubarb) ; शीतपित्त या urticaria की बीमारी में इसकी जड़ के पाउडर मे बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ लें ।
गंभारी (verbenaceae) ; शीतपित्त होने पर गंभारी के फल का पावडर मिश्री मिलाकर सवेरे शाम लें ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त आदि से छुटकारा मिलता है ।
बथुआ (chenopodium) ; शीतपित्त की परेशानी हो , तब इसका रस पीना लाभदायक रहता है ।
पीपल (sacred fig) ; अगर शीतपित्त की परेशानी हो तो एक चम्मच देसी घी , एक ग्राम काली मिर्च खाकर इसके पत्तों का एक कप रस पी लें । दस मिनट में ही असर दिखाई देगा । अगर 5-7 दिन ऐसा लगातार कर लिया जाए तो बहुत हद तक शीत पित्त से बचा जा सकता है ।
आँवला ; अगर रक्तपित्त की बीमारी हो तो 10 gram आंवले का पावडर और 5 gram हल्दी मिला लें । इसे एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें । इसके अतिरिक्त आंवला और नीमपत्र मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें । इसका काढ़ा सवेरे शाम पीने से रक्त शुद्ध हो जाता है ।
घृतकुमारी (aloe vera) ; शीत पित्त होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें |
गूलर (cluster fig) ; शीत पित्त (पित्ती उछलना ) हो तो इसकी कोमल पत्तियों को पीसकर 10-15 ग्राम रस सवेरे खाली पेट लें । या इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें ।
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