Monday, January 5, 2015

acidity, vomiting, indigestion,bloating !

रेवनचीनी ;     अगर acidity है तो इसकी जड़ + धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें। 

खस (grass)  ;   पित्त, acidity या घबराहट हो तो इसकी जड़ कूटकर काढ़ा बनाएं और मिश्री मिलाकर पीयें ।   

शरपुंखा  ;       acidity की समस्या होया फिर डकार आती हों । सब तरह की दिक्कत शरपुन्खा के पंचांग का काढ़ा ठीक कर देता है .  

तुलसी (holi basil)  ;  उल्टी आती हों या जी मिचलाता हो तो , इसकी तीन चार पत्तियां अदरक के रस और शहद के साथ चाटें ।  

अंगूर (मुनक्का ) grapes ;   अगर acidity की समस्या है तो मुनक्का पीसकर हरड के साथ सवेरे शाम लें ।    

 आँवला   ;  Acidity की समस्या में इसका पावडर 5 ग्राम रात को भिगो दें । सवेरे छानकर मिश्री मिलाकर पीयें । इसके फलों का रस कांच की शीशी में भरकर धूप लगायें ।  यह खराब नहीं होगा ।  फिर 15 ml एक गिलास पानी में मिलाकर, मिश्री मिलाकर पीयें ।  इससे गर्मी कम लगेगी और उल्टियाँ भी ठीक होंगी ।  या फिर इसका पावडर शहद के साथ लें । 

मेथी (fenugreek) ;   दूध आराम से पचता न हो तो मेथी दाने को भूनकर रख दें ।  इसे पीस लें ।  जब भी दूध पीना हो तब एक चम्मच मिला लें ।  इससे गैस भी नहीं बनेगी और दूध भी अच्छी तरह पचेगा । 

धनिया (coriander)  ;   अगर acidity से परेशानी है तो एक चम्मच धनिया पावडर +एक चम्मच आंवले का पावडर +शहद रात को एक मिटटी के बर्तन में भिगो दें ।  सवेरे मसलकर पी लें ।  प्रतिदिन ऐसा करने से कुछ समय बाद यह परेशानी दूर हो जाती हैं ।   acidity . खट्टी डकार ,ulcer या gastric trouble हो तो धनिया पावडर एक चम्मच खाली पेट ले लें । 

curry leaves  ;   अपच हो तो 1-2 ग्राम पत्तों को पानी उबालकर चाय की तरह पिएँ । Acidity या ulcer होने पर इसके पत्तों का 3-4 ग्राम रस एक कप पानी  में मिलाकर सवेरे शाम लें । 

 मरुआ  ;  अपच अफारा हो तो इसकी चटनी बहुत लाभकारी है ।  

कालमेघ  ;  indigestion है , भूख नहीं लगती ; इन सभी का इलाज है यह कि   2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए।  

कचनार  ;  पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम त्रिफला के साथ कचनार की छाल का पावडर लें।  

जामुन  ;  इसके फल साफ़ बर्तन में डालकर , उसमें नमक मिलाकर 1-2 दिन के लिए छोड़ दें।  फिर उसका जलीय अंश इकट्ठा करके छानकर शीशी में भर लें और धूप लगा दें।  यह बन गया जामुन का सिरका ! यह पाचक होता है।  इससे पेट के रोग ठीक होते है। 

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