"देखिए! रुद्रांश ने यह क्या किया है?" विज्ञान की अध्यापिका ने ऋचा को जब यह बोला, तो ऋचा सकपका गई। "कहीं फिर कोई नई शरारत तो नहीं कर दी रुद्रांश ने?"
वास्तव में बात यह थी कि दो महीने पहले ही रुद्रांश की कक्षा अध्यापिका ने रुद्रांश की शिकायत लगाई थी कि रुद्रांश ने क्लास के दौरान ही चिप्स का पैकेट खोलकर उसमें से चिप्स खाए थे। इस बात के लिए अध्यापिका ऋचा को सतर्क कर रही थी। वह कह रही थी कि यह और बच्चों के साथ बिगड़ रहा है। अगर वह ऐसे ही रहा तो उसका सैक्शन बदल दिया जाएगा। इस पर ऋचा ने अध्यापिका को कहा था कि वह ही और बच्चों को बिगाड़ रहा होगा। आप इस पर नज़र रखिए।
अब वह अध्यापक अभिभावक मीटिंग में रुद्रांश का परीक्षा परिणाम लेने के लिए गई थी। कक्षा अध्यापिका ने बताया कि रुद्रांश अब कोई शरारत नहीं करता। वह कक्षा में प्रथम आया है। उसे रुद्रांश से कोई भी शिकायत नहीं है। यह सुनकर ऋचा को बहुत संतुष्टि हुई।
लेकिन जब वह विज्ञान की अध्यापिका के पास गई तो उसने ऋचा को देखते ही बोला कि "रुद्रांश ने यह क्या किया है?" ऋचा सकपकाई, कि रुद्रांश ने अब कौन सी नई शरारत की है? उसने पूछा "मैम! क्या किया रुद्रांश ने?"
अध्यापिका ने रुद्राक्ष की विज्ञान की उत्तर पुस्तिका निकाल कर दिखाई। विज्ञान में उसे अस्सी में से अठहत्तर अंक प्राप्त हुए थे। "आपको पता है रुद्रांश के दो नंबर कहां कटे हैं? यह देखिए; पेपर में प्रश्न था: List any two ways to minimize paper wastage.
और अब रुद्रांश का उत्तर देखिए। इस ने लिखा है:
1- We must not take out paper from notebooks unless necessary.
2- we must not make paper toys, because after playing we usually throw the paper toys.
यह दो नंबर का प्रश्न था और इसके दो नंबर इसी में ही कटे हैं।"
अध्यापिका को मंद मंद हंसी भी आ रही थी। जब ऋचा ने उत्तर पढा तो उसे भी हंसी आ गई।
उसने कहा, "रुद्रांश! यह क्या लिखा है?"
रुद्रांश नीचे मुंह किये खड़ा था। पता नहीं, उसे भी हंसी आ रही थी या नहीं। लेकिन उसे अपना मुंह नीचे रखने में ही भलाई लग रही थी।
अध्यापिका ने ऋचा को उत्तर पुस्तिका थमाते हुए कहा, "वैसे रुद्रांश का सरल स्वभाव मुझे पसंद है। अगर इसने काम नहीं किया तो यह सीधा बता देता है कि मैं काम नहीं किया। कोई बहाने नहीं लगाता। कभी पुस्तक नहीं लाता, तब भी स्पष्ट कहता है कि मैं आज पुस्तक नहीं लाया। लेकिन यह उत्तर देखकर तो मुझे बड़ी निराशा हुई है।"
घर आने पर ऋचा ने रुद्रांश से पूछा, "क्यों भई! यह क्या उत्तर लिखे हैं? ध्यान किधर था?"
रुद्रांश ने कहा, "आपको पता नहीं मम्मी! बहुत कम टाइम बचा था। मैंने यह तो जल्दी-जल्दी में उत्तर लिख दिए।"
ऋचा को हंसी आ गई। उसने कहा, "प्रश्न पत्र में तो बहुत टाइम दिया गया था। इतना कम टाइम भी नहीं था कि टाइम बचा ही नहीं। किसी को नकल करवाई जा रही थी क्या?"
"नहीं मम्मी! सचमुच ही टाइम नहीं था। मैंने जल्दी-जल्दी में ही यह उत्तर लिख दिया।" वह बोला।
ऋचा को रुद्रांश की शरारतों का पता है। उसने कहा, "यह बात नहीं है बच्चू! ज़रूर किसी को नकल करवा रहा होगा। तभी टाइम नहीं बचा।"
रुद्रांश भी मुस्कुरा रहा था।