तेरे नाम का सुमिरन करके, मेरे मन में सुख भर आया
तेरी कृपा को मैंने पाया, तेरी दया को मैंने पाया
दुनिया की ठोकर खाकर, जब हुआ कभी बेसहारा
न पाकर अपना कोई, जब मैंने तुम्हें पुकारा
हे नाथ मेरे सिर ऊपर, तूने अमृत बरसाया
तू संग में था नित मेरे, ये नैना देख न पाए
चंचल माया के रंग में, ये नैन रहे उलझाए
जितनी भी बार गिरा हूं, तूने पग पग मुझे उठाया
जब सागर की लहरों ने, भटकाई मेरी नैया
तट छूना भी मुश्किल था, नहीं दीखे कोई खिवैया
तू लहर बना सागर की, मेरी नाव किनारे लाया
हर तरफ तुम्हीं हो मेरे, हर तरफ तेरा उजियारा
निर्लेप प्रभु जी मेरे, हर रूप तुम्हीं ने धारा
मैं तेरी शरण में दाता, तेरा तुझको ही चढ़ाया
तेरी कृपा को मैंने पाया, तेरी दया को मैंने पाया
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