बंगाल के नवद्वीप शहर में एक सार्वजनिक शौचालय के बाहर नवजात शिशु पडा हुआ था। उसके चारों तरफ एक सुरक्षा चक्र था। जानते हैं किसका? सड़क के कुत्तों का। जी हां! उन कुत्तों ने उस नवजात शिशु के चारों ओर घेरा बनाकर उसे सुरक्षा प्रदान की हुई थी। ऐसा लग रहा था, मानो वह उन्हीं का अपना बच्चा हो! पूरी रात वे ऐसे ही खड़े रहे; जब तक कि वहां कोई व्यक्ति नहीं आ गया।
रात भर लोगों को किसी नन्हे शिशु के क्रंदन की आवाज आती रही। लेकिन सभी ने सोचा कि किसी घर के अंदर ही कोई बच्चा रो रहा है।
भोर होने से पहले ही राधा भौमिक, सार्वजनिक शौचालय में निवृत्त होने के लिए गई। वह हैरान हुई यह देखकर, कि वहां कुत्तों का घेरा था। जब उसने घेरे के बीच में से झांका; तो एक नन्हा शिशु वहां लेटा हुआ था। उसने आगे बढ़कर वह बच्चा अपनी गोद में उठा लिया। कुत्तों ने भी उसे वह बच्चा उठाने दिया। जब वह बच्चा उठा चुकी और कुत्तों ने देखा कि वह सुरक्षित है तो वे वहां से चले गए।
राधा ने अपनी बहू प्रीति को बुलाया और उसे वह बच्चा पकड़ा दिया। प्रीति तुरंत उसे पास के महेश गंज अस्पताल में ले गई। वहां के डॉक्टरों ने उस शिशु को कृष्णा नगर सदर अस्पताल में पहुंचा दिया। बच्चे के माथे पर थोड़ा खून था। परंतु डॉक्टर ने कहा कि वह जन्म के समय ही रहा होगा। बच्चे को जन्म के एक-दो घंटे के अंदर ही बेसहारा छोड़ दिया गया था। पुलिस वालों ने आसपास पूछताछ भी की। लेकिन कुछ पता न चला। उन्होंने उस बच्चे को बाल कल्याण समिति की सुरक्षा में भेज दिया।
वहां के लोग इस घटना से बहुत हैरान थे। लेकिन तभी उन्हें नौ वर्ष पहले कोलकाता में हुआ एक और किस्सा याद आ गया। तब भी गली के कुत्तों ने एक नवजात कन्या शिशु को कौवों से बचाया था। उन्होंने तब तक उस शिशु को बचाए रखा, जब तक कि लोग उस कन्या को अपनी सुरक्षा में लेने के लिए नहीं आ गए।
ये घटनाएं वास्तव में बहुत विस्मय और उत्सुकता से भरी हुई हैं।
गली के आवारा कुत्तों को हम परेशानी का कारण मानते हैं। हम यही मानकर चलते हैं कि यह कुत्ते अचानक काट सकते हैं। यह तो हम कल्पना ही नहीं कर सकते कि वे किसी नवजात मानव शिशु को ऐसे ही छोड़ देंगे। ऐसा लगता है कि सद्योजात मानव शिशु को तो शायद वे खा ही जाएंगे। यह बहुत अधिक आश्चर्य का विषय है कि उन मूक प्राणियों में सामूहिक रूप से, इतनी दया, करुणा और ममता एक इंसान के बच्चे के लिए विद्यमान थी। प्रकृति में जीव-जंतुओं का व्यवहार कभी-कभी तर्क और बुद्धि के परे होता है।
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