Saturday, April 19, 2025

नीम के लड्डू!

 त्वचा को तंदुरुस्त रखना है और अगर त्वचा के दाग धब्बे मिटाने हैं; तो रोज सुबह एक छोटा नीम का लड्डू खाएं। 

नीम का लड्डू! जी हां! यह नीम का लड्डू है; लेकिन यह मीठा नहीं है। इसे बनाने के लिए छः वस्तुओं की आवश्यकता है।

 नीम के पत्ते, काली मिर्च, हींग, जीरा, अजवाइन और सेंधा नमक। इन सबको अच्छी तरह पीस कर छोटे-छोटे लड्डू बना लें।। बिल्कुल छोटे लड्डू यानी छोटी-छोटी गोलियां। यदि पूरा परिवार छोटी-छोटी नीम की गोली सवेरे-सवेरे पानी के साथ खा ले; तो पूरे परिवार की ही त्वचा बहुत तंदुरुस्त रहेगी। 

बदलते मौसम में लगभग चालीस दिन तक तो यह प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए; क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की एलर्जी को भी ठीक करता है। इसके प्रयोग से ऋतु परिवर्तन में होने वाला मौसमी बुखार भी नहीं होता।

केवल इतना ही नहीं, इसके प्रयोग से मोटापा, थायराइड, बीपी, एसिडिटी, कब्ज इत्यादि बीमारी भी ठीक होती हैं।

फोड़े, फुंसी, गांठ

 बहुत ही सरल उपाय है। अगर शरीर में कहीं भी फोड़े फुंसी या गांठ हो जाए; तो थोड़ी हल्दी, एलोवेरा और शहद तीनों बराबर मात्रा में मिलाकर पेस्ट की तरह बना लें। अगर पेस्ट ज्यादा तरल हो तो सूखा हल्दी पाउडर मिलाकर थोड़ी गाढ़ी पेस्ट बना लें।

 इस पेस्ट को फुंसी, फोड़े या गांठ पर लगाते रहें। चार या पांच दिन में ही लाभ होना प्रारंभ हो जाएगा।

Tuesday, April 15, 2025

कछुए की लंबी रेस

 आजकल कछुए दिन पर दिन बहुत चालाक होते जा रहे हैं। शायद चालाकी में भी खरगोश को मात देते हैं। यद्यपि चुस्ती में भी वे खरगोश को मात दे सकते हैं।

 अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है कि उड़ीसा के एक मादा कछुए ने निश्चय किया कि वह अपने अंडे उड़ीसा में नहीं देगी। बल्कि महाराष्ट्र के कोंकण के तट पर समुद्र तट पर वह अंडे देगी और इसके लिए उसने गजब की स्फूर्ति और साहस दिखाया।

       वह अरब सागर में 3500 किलोमीटर तैरती रही और आखिर में महाराष्ट्र के कोंकण तट पर पहुंच ही गई। वहां उसने 120 अंडे दिए। उसके 120 अंडों में से 107 अंडों के तो नन्हे नन्हे बच्चे भी निकले।

 वह मादा कछुआ अब बहुत खुश है। वह दिल से चाहती है कि महाराष्ट्र में उसके बच्चे हीरो या हीरोइन तो बनें या ना बनें; परन्तु कम से कम किसी फिल्म में उनका कुछ रोल अवश्य हो।

 उस मादा कछुआ की यह इच्छा नहीं रही होती; तो वह 3500 किलोमीटर तैर कर कोंकण के समुद्र तट पर अंडे देने, आखिर क्यों जाती? मानना पड़ेगा कि जीवन की लंबी रेस में भी कछुए खरगोश के मुकाबले बहुत ज्यादा आगे हैं।

Monday, April 7, 2025

चुन्नू मुन्नू चंपा भोला

 चुन्नू, मुन्नू, चंपा, भोला।

 कंधों पर लटकाए झोला।

 साथ साथ चलते हैं ऐसे,

 मानो लिए पालकी जैसे।

 दूर गांव से पढ़ने आते।

 चलते चलते थक-थक जाते।

 पर किसान के बालक हैं ये,

 रुकते नहीं, नहीं घबराते।

 चारों चाहें आगे बढ़ना।

 उन्नति की चोटी पर चढ़ना।

 इसीलिए ये बड़े प्रेम से,

 सीख रहे हैं लिखना पढ़ना।


यदि किसी ने यह कविता अपनी तृतीय  कक्षा में पढी है, तो वे इस समय, अवश्य ही, वरिष्ठ नागरिक होंगे!

Saturday, April 5, 2025

प्यार पर प्रहार!

 मादा चीता के चारों शावक थोड़े बड़े हो गए थे। अब उन्हें शिकार करना भी सीखना था। जंगल में घूमते घूमते अचानक उन्हें नन्हे गाय के बछड़े दिखाई दिए और वे उसके पीछे चल दिए। शिकार करने के लिए उनमें से एक-दो बछडों को उन्होंने घायल भी कर दिया।

 चीता बच्चों को यह मालूम ही नहीं था कि वह जंगल से बाहर आ गए हैं। वह उनकी सीमा के बाहर का इलाका है।

 ग्रामीणों ने जब यह देखा तो वह आग बबूला हो गए। उन्होंने चीतों को पत्थर मारने शुरू कर दिए। उनकी मां, मादा चीता भी उनके पीछे-पीछे थी। उसने जब यह देखा तो वह बच्चों के साथ वापस जंगल में चली गई। 

यद्यपि वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को भी वहां से हटाया और उन्हें अपने बछड़े संभालने के लिए कहा। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि अब वे प्रयत्न करेंगे कि चीते दोबारा जंगल से बाहर न निकले।

अनिल वन विभाग में ही नियुक्त एक कर्मचारी था। उसे जंगली जानवरों से बहुत प्यार था। उसने चीता शावकों को पत्थरों की मार खाते हुए देखा, तो उसे बहुत बुरा लगा। उसने सोचा कि इन चीतों को थोड़ा प्यार भी देना चाहिए। चीते के बच्चे कितने परेशान हो गए होंगे; यह सोचकर उसने योजना बनाई कि किसी प्रकार से उनकी घबराहट मिटाई जाए। 

वन विभाग के वरिष्ठ कर्मचारियों के जाने के बाद उसने अपनी बोतल का पानी एक प्लेट में डालकर चीतों के सामने रख दिया और इंतजार करने लगा। चीते के बच्चे अनिल से थोड़ा बहुत परिचित तो थे ही। वे धीरे-धीरे उस प्लेट के पास आए और मज़े में पानी पीने लगे।

 इस घटना को किसी ने अपने कैमरे में कैद कर लिया और इसका वीडियो वायरल हो गया। जब यह वीडियो वन विभाग के वरिष्ठ प्रबंधकों ने देखा, तो उन्हें  अनिल पर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने उसे निलंबित कर दिया। उनका कहना था कि पशुओं से प्यार करना तो अच्छी बात है; परन्तु जंगली पशुओं को अपनी सीमा का आभास होना चाहिए। अगर वे सीमा से बाहर गांव की तरफ आएं तो उन्हें प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। अनिल ने ऐसा करके इस नियम का उल्लंघन किया था। इसीलिए उसे नौकरी से निलंबित कर दिया गया।

अनिल को पशु पक्षियों से प्यार था। लेकिन उसके प्यार जताने पर, इस प्रकार का प्रहार होगा; ऐसा उसने सोचा भी नहीं था।