रामरति नाम की एक वृद्ध महिला मध्य प्रदेश के एक गांव में रहती थी। उसका अपना तो कोई था नहीं। जंगल की लड़कियां बीन कर और उन्हें बेच कर जैसे तैसे अपना गुजारा कर रही थी। उम्र रही होगी लगभग बासठ वर्ष। लेकिन इस उम्र में भी वह बड़ी स्फूर्ति में रहती थी।
एक दिन शाम के वक्त वह लड़कियां बीन रही थी। तभी उसके पीछे से एक गीदड़ आया। उसने उसे दांतों से काटना शुरू कर दिया। रामरति ने पीछे मुड़कर देखा। एक बार तो वह घबरा गई। लेकिन फिर उसने गीदड़ भगाने का प्रयत्न किया। गीदड़ था, कि उसे दांतों से काटता ही जा रहा था। वहां आसपास कोई था भी नहीं, जिसको वह मदद के लिए पुकारती।
रामरति ने सूझबूझ से काम लिया। उसने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा और एक फंदा बनाकर गीदड़ के गले में डाल दिया। गीदड़ लगातार रामरति को अपने दांतों से काटता ही जा रहा था। लेकिन भयंकर दर्द सहती हुई, रामरति भी, फंदे को दूसरी ओर से खींचे चली जा रही थी। ऐसा करते-करते गीदड़ के गले में फंदा कस गया और वह मर गया। लेकिन रामरति भी बेहोश होकर गिर गई। उसे गीदड़ ने बहुत जगह काटा था और खून भी बह रहा था।
तभी वहां से कुछ व्यक्ति गुजरे। उन्होंने बेहोश रामरति को देखा तो उसे उठाकर तुरंत पास के अस्पताल में ले गए।
वहां रामरति का अच्छी तरह उपचार किया गया। होश में आने पर रामरति ने वह सब बताया, जो कुछ उसके साथ बीता था। सभी हैरान हो गए यह जानकर, कि वृद्धा रामरति ने इतना दर्द सहते हुए भी, बहुत फुर्ती और चतुराई से गीदड़ के गले में फंदा डालकर उसको मार दिया।
वहीं खड़े एक युवक ने चुटकी ली, "गीदड़ चला था अम्मा को शिकार बनाने! लेकिन यहां तो अम्मा ने ही गीदड़ का शिकार कर लिया।"
No comments:
Post a Comment