Thursday, October 22, 2015

कहानी की वास्तविकता

संवेदनाओं के झूठे इतिहास
रच रच रचनाकार हार गए
वास्तविकता से जूझे कौन?
अपने अंतर्मन को कर मौन
कल्पनाओं के झुरमुट में
बुन डाला ताना बाना
अपरिचित व्यथा कथा
भुलाती निज व्यथा
पर दुःख में सुख अन्वेषण
कर लेता मानव मन
अपना समुद्र सा संताप
पचा पाना है दुस्तरतम
अपनी कथा गढ़ते गढ़ते
अस्तित्वहीनता का अवबोधन
घायल करता तन मन
और लेखक तब बाध्य हो
पर व्यथा की कहानी
कल्पना पर अवलम्बित कर
रखता है प्रस्तुति
सार्वजनिक पटल पर
भावविभोर हर्षित पाठक
आननदरस मग्न हो
भूल जाता है अपनी वास्तविकता
सच यह है कि
हर शख्स इक कहानी है
विडंबना है यह कि
निज कहानी का रसास्वादन
कौन कर पाया अब तक ?

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