हमारा शरीर वात , पित्त और कफ इन तीनों के संयोग से काम करता है । इनके संतुलन में गड़बड़ होने से शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है ।
वात - शरीर की सभी क्रियाओं को गति प्रदान करने का कार्य वात करता है । चाहे वह blood circulation की क्रिया हो ,या मल विसर्जन की ; वात ही सभी कार्य संपन्न करता है ।
पित्त - पित्त ऐसे सभी कार्य करता है ; जिसमे अग्नि की आवश्यकता हो । पाचन के कार्य में अग्नि की आवश्यकता होती है ।
कफ - शरीर में चिकनाहट या स्निग्धता बनाए रखना कफ का कार्य है ।
सुबह कफ प्रबल होता है । दिन में पित्त प्रबल होता है । रात्रि में वायु की प्रबलता होती है ।
रात्रि में वायु की प्रबलता बढ़ने से पहले ही सो जाना चाहिए । इससे गहरी नींद आएगी और पाचन तन्त्र भी भली प्रकार कार्य करेगा । लहभग 10 बजे के आसपास तो सो ही जाना चाहिए ।
सवेरे वायु की प्रबलता कम होने से पहले ही उठ जाना चाहिए । यह वाट और कफ का संधिकाल होता है । वायु का वेग मल को नीचे धकेलता है ; जबकि कफ (आँतों की चिकनाहट) मल को सुगमता से बाहर करने में मदद करती है ।
इस प्रकार सुबह उठने पर सुगमता से और भली प्रकार पूरी तरह से मल विसर्जन होता है ।
देर से उठने पर शरीर में वात अर्थात गति का प्रभाव कम हो जाने से मल विसर्जन में कठिनाई आती है । कफ का प्रभाव बढ़ने कारण मल आँतों में चिपक जाता है । फलत: कब्ज़ की शिकायत होने लगती है ।
इसलिए सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए ।
वात - शरीर की सभी क्रियाओं को गति प्रदान करने का कार्य वात करता है । चाहे वह blood circulation की क्रिया हो ,या मल विसर्जन की ; वात ही सभी कार्य संपन्न करता है ।
पित्त - पित्त ऐसे सभी कार्य करता है ; जिसमे अग्नि की आवश्यकता हो । पाचन के कार्य में अग्नि की आवश्यकता होती है ।
कफ - शरीर में चिकनाहट या स्निग्धता बनाए रखना कफ का कार्य है ।
सुबह कफ प्रबल होता है । दिन में पित्त प्रबल होता है । रात्रि में वायु की प्रबलता होती है ।
रात्रि में वायु की प्रबलता बढ़ने से पहले ही सो जाना चाहिए । इससे गहरी नींद आएगी और पाचन तन्त्र भी भली प्रकार कार्य करेगा । लहभग 10 बजे के आसपास तो सो ही जाना चाहिए ।
सवेरे वायु की प्रबलता कम होने से पहले ही उठ जाना चाहिए । यह वाट और कफ का संधिकाल होता है । वायु का वेग मल को नीचे धकेलता है ; जबकि कफ (आँतों की चिकनाहट) मल को सुगमता से बाहर करने में मदद करती है ।
इस प्रकार सुबह उठने पर सुगमता से और भली प्रकार पूरी तरह से मल विसर्जन होता है ।
देर से उठने पर शरीर में वात अर्थात गति का प्रभाव कम हो जाने से मल विसर्जन में कठिनाई आती है । कफ का प्रभाव बढ़ने कारण मल आँतों में चिपक जाता है । फलत: कब्ज़ की शिकायत होने लगती है ।
इसलिए सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए ।
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