Thursday, September 25, 2025

जेल मिली या भैंस!

 उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में रणबीर का विवाह रजनी से तय हुआ। रणबीर ने विवाह के समय अपनी दो मांगें रखी थी। वह एक मोटरसाइकिल दहेज में चाहता था और एक भैंस। मोटरसाइकिल तो उसे विवाह के समय ही मिल गई थी। लेकिन शादी के दो-तीन वर्ष बीतने के बाद भी उसे भैंस नहीं मिली। इस बात पर उसे बहुत गुस्सा आया करता था।

 एक दिन तो वह रजनी पर बरस ही पड़ा। "तुम्हारे घर वाले अपना वायदा कब पूरा करेंगे? वे भैंस मुझे देंगे भी या नहीं?"

 रजनी बोली, "मोटरसाइकिल तो उन्होंने दे ही दी है। अब अपनी कमाई से भैंस खरीद लो।"

 यह बात सुनकर रणवीर आग बबूला हो गया। उसने कहा, "यह तो दहेज में लेने का वायदा था। मैं क्यों अपनी कमाई से खरीदूं? तुम्हारे घर वालों को मुझे भैंस देनी चाहिए।"

 रजनी ने कहा, "नहीं दी, तो नहीं दी! अब वे भैंस नहीं देंगे। तुम अपने आप ही भैंस खरीद लो।" 

बात इतनी बढ़ गई कि दोनों में बहुत तू तू मैं मैं होने लगी। रणबीर को बहुत गुस्सा आ रहा था। अचानक उसे पास में ईंट पड़ी दिखाई दी। उसने आव देखा ना ताव। गुस्से में वह ईंट उठाई और रजनी के सिर पर दे मारी। रणबीर ने ईंट इतनी जोर से मारी थी, कि रजनी का सिर फट गया। उसके सिर से खून निकलने लगा और वह बेहोश होकर गिर पड़ी। कुछ देर बाद उसका शरीर बेजान हो गया।

 अब रणबीर होश में आया। वह वह सकपका गया। अब वह क्या करें, उसे समझ ही न आया। वह माथा पड़कर बैठ गया।

 तभी उसके एक पड़ोसी ने दरवाजा खटखटाया। रणबीर के दरवाजा खोलने पर पड़ोसी ने जो कुछ देखा तो वह हैरान हो गया। उसने पूछा, "यह क्या हुआ?"

 रणबीर परेशान होकर बोला, "मैं तो गुस्से में अपना आपा खो बैठा। अब मैं क्या करूं?"

 पड़ोसी ने कहा, "थाने में जाकर चुपचाप अपनी गलती मान लो। इसी में तुम्हारी भलाई है। पुलिस तो वैसे भी तुम्हें पकड़ ही लेगी। अपनी गलती मानने से शायद तुम्हारी सजा कम हो जाए।" 

रणबीर थाने जाने के लिए तैयार तो नहीं था। लेकिन पड़ोसी के बार-बार समझाने पर वह उसके साथ थाने चला गया और अपना गुनाह कबूल कर लिया।

आज वह जेल की हवा खा रह रहा है। भैंस तो मिली नहीं, साथ में पत्नी से भी हाथ धो बैठा। जेल मिली सो अलग। बदनामी भी कोई कम नहीं हुई। ठंडा दिमाग रखता, तो अपनी कमाई से ही भैंस खरीद लेता। पत्नी भी प्रसन्न होती। जीवन सुख पूर्वक बीतता। 

कहावत है, "अकल बड़ी या भैंस।" रणबीर ने तो भैंस को ही बड़ा मान लिया था।

Sunday, September 21, 2025

मधुमेह का घरेलू उपचार

 थोड़ा करेला और कुछ पत्ते नीम के लेकर, उनकी पेस्ट बनाकर, इस पेस्ट को पैरों के तलवे से कुचलने पर, या इस पेस्ट का पैरों के तलवे से मर्दन करने से, मधुमेह की बीमारी काफ़ी हद तक ठीक हो जाती है।  यह भी देखा गया है कि अगर इस पेस्ट का पैरों के तलवे से बीस मिनट से लेकर 25 मिनट तक मर्दन किया जाए, तो शुगर का लेवल 400 से 200 तक आ जाता है। यह बहुत ही चमत्कारिक प्रक्रिया है।

इसके अतिरिक्त एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर, इनका जूस पीते रहना चाहिए। खाने में कुछ दिनों के लिए एटीएम (एलोवेरा, हल्दी और मेथी) की सब्जी ही खाएं। मेथी अगर अंकुरित हो तो और भी अच्छा रहेगा। हल्दी भी अगर ताज़ी कच्ची मिल जाए, तो बेहतर रहती है।

 एक सेब भी रोज खा सकते हैं। अनाज और बाकी सभी प्रकार का खाना कुछ दिनों के लिए छोड़ दें।

कपालभाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम भी नियमित रूप से करते रहें।

Saturday, September 13, 2025

गीदड़ का शिकार!

रामरति नाम की एक वृद्ध महिला मध्य प्रदेश के एक गांव में रहती थी। उसका अपना तो कोई था नहीं। जंगल की लड़कियां बीन कर और उन्हें बेच कर जैसे तैसे अपना गुजारा कर रही थी। उम्र रही होगी लगभग बासठ वर्ष। लेकिन इस उम्र में भी वह बड़ी स्फूर्ति में रहती थी। 

एक दिन शाम के वक्त वह लड़कियां बीन रही थी। तभी उसके पीछे से एक गीदड़ आया। उसने उसे दांतों से काटना शुरू कर दिया। रामरति ने पीछे मुड़कर देखा। एक बार तो वह घबरा गई। लेकिन फिर उसने गीदड़ भगाने का प्रयत्न किया। गीदड़ था, कि उसे दांतों से काटता ही जा रहा था। वहां आसपास कोई था भी नहीं, जिसको वह मदद के लिए पुकारती।

 रामरति ने सूझबूझ से काम लिया। उसने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा और एक फंदा बनाकर गीदड़ के गले में डाल दिया। गीदड़ लगातार रामरति को अपने दांतों से काटता ही जा रहा था। लेकिन भयंकर दर्द सहती हुई, रामरति भी, फंदे को दूसरी ओर से खींचे चली जा रही थी। ऐसा करते-करते गीदड़ के गले में फंदा कस गया और वह मर गया। लेकिन रामरति भी बेहोश होकर गिर गई। उसे गीदड़ ने बहुत जगह काटा था और खून भी बह रहा था। 

तभी वहां से कुछ व्यक्ति गुजरे। उन्होंने बेहोश रामरति को देखा तो उसे उठाकर तुरंत पास के अस्पताल में ले गए।

वहां रामरति का अच्छी तरह उपचार किया गया। होश में आने पर रामरति ने वह सब बताया, जो कुछ उसके साथ बीता था। सभी हैरान हो गए यह जानकर, कि वृद्धा रामरति ने इतना दर्द सहते हुए भी, बहुत फुर्ती और चतुराई से गीदड़ के गले में फंदा डालकर उसको मार दिया। 

वहीं खड़े एक युवक ने चुटकी ली, "गीदड़ चला था अम्मा को शिकार बनाने! लेकिन यहां तो अम्मा ने ही गीदड़ का शिकार कर लिया।"