Tuesday, April 15, 2025

कछुए की लंबी रेस

 आजकल कछुए दिन पर दिन बहुत चालाक होते जा रहे हैं। शायद चालाकी में भी खरगोश को मात देते हैं। यद्यपि चुस्ती में भी वे खरगोश को मात दे सकते हैं।

 अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है कि उड़ीसा के एक मादा कछुए ने निश्चय किया कि वह अपने अंडे उड़ीसा में नहीं देगी। बल्कि महाराष्ट्र के कोंकण के तट पर समुद्र तट पर वह अंडे देगी और इसके लिए उसने गजब की स्फूर्ति और साहस दिखाया।

       वह अरब सागर में 3500 किलोमीटर तैरती रही और आखिर में महाराष्ट्र के कोंकण तट पर पहुंच ही गई। वहां उसने 120 अंडे दिए। उसके 120 अंडों में से 107 अंडों के तो नन्हे नन्हे बच्चे भी निकले।

 वह मादा कछुआ अब बहुत खुश है। वह दिल से चाहती है कि महाराष्ट्र में उसके बच्चे हीरो या हीरोइन तो बनें या ना बनें; परन्तु कम से कम किसी फिल्म में उनका कुछ रोल अवश्य हो।

 उस मादा कछुआ की यह इच्छा नहीं रही होती; तो वह 3500 किलोमीटर तैर कर कोंकण के समुद्र तट पर अंडे देने, आखिर क्यों जाती? मानना पड़ेगा कि जीवन की लंबी रेस में भी कछुए खरगोश के मुकाबले बहुत ज्यादा आगे हैं।

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