Sunday, May 26, 2013

नन्हें का शब्दकोश !



सवेरे उठते ही बिस्तर के कोने पर जोर की गुहार लगती है " मम्में ". जब बार बार पुकारने पर कोई उत्तर नहीं आता तो पुकार आती है "नान्नें ".
           
                अनन्या को "नन्या " पुकारता नन्हा शिशु अपनी दोनों हथेलियाँ मलते हुए उसे हाथ धोने का इशारा करता है ।फिर उसे बुलाते हुए कहता है ,"आईदा " ।  नाचती कूदती हुई अनन्या जब घर पर आती है तो "बईटा " बोलते हुए गोद से नीचे उतरना चाहता है । " बो बो " करते हुए वह बाहर इशारा करके बता देता है कि बाहर कुत्ता भोंक रहा है । कबूतर को देखकर नन्हा " क -क " का शोर मचाता है । "कौवा कैसे बोलता है ?" यह प्रश्न सुनकर उसका जवाब होता है "का -का " ।
                              अचानक बिल्ली सामने से गुजरने लगी तो "माउ -माउ" की कोमल आवाज करता हुआ वह बिल्ली को पास आने का इशारा कर रहा होता है । अब तो नन्हें मुन्ने को प्यास लग आई और "मम -मम " का शोर शुरू हो गया ।पानी की बोतल को देखते ही नन्हा प्रसन्नता से बोल उठा ,"बोटअ "
               नहाने के लिए बाथरूम की ओर ले जाने पर नन्हा बहुत प्रसन्न होता है वह "न्याई - न्याई " का शोर मचा देता है । लेकिन बाथरूम से बाहर आने पर रोंना शुरू कर देता है । तब वह  बोलता है नैइ -नैइ" । वास्तव में वह पानी से खेलते ही रहना चाहता है । उसे चुप करने के लिए कूलर चलाया जाता है । तब वह खुश होकर बोलता है "कूअ - कूअ" । Room cooler के साथ खड़े होकर वह  सभी स्विच घुमा देता है और फिर हमें निहारता हुआ  हथेलियाँ गोल गोल घुमाता है । इसका मतलब होता है ; "वाह ! क्या बात है !"
            बच्चों को पार्क में खेलते देखकर वह बाहर जाना चाहता है । तर्जनी को बाहर निकालकर वह दरवाज़े की और संकेत करता हुआ कहता है "बा" और फिर बोल उठता है "बत्ते" अर्थात बच्चे ! गोद में बैठा-बैठा वह नन्हें हाथ दायें बाएँ हिलाता हुआ बोलता है ,"बए -बए "।
          तरबूज को देखते ही सलोना सा कोमल चेहरा खिल उठा और "बुज -बुज " की फरमाइश होने लगी । आम शब्द बोलना तो बहुत आसान है और नन्हें उस्ताद का मनचाहा फल भी है , तो " अम -अम " की आवाज़ तो पूरा आम खत्म होने पर ही बन्द होती हैं । केला खाने के लिए आतुर नन्हा " केआ " पुकारकर काम चला लेता है । दाल तो उसे बेहद पसंद है । "डाअ" कहता हुआ वह दाल को चम्मच से स्वयं खाना चाहता है । नतीजतन , उसकी प्यारी सी टी शर्ट पर दाल के पीले रंग बिखर जाते हैं ।
               किताब बंद करनी है , या खोलनी है ; बोतल बंद करनी है या खोलनी है ; कोई खिलौना बंद करना है या चलाना है ;  इन सभी क्रियाओं के लिए नन्हें शिशु के पास एक ही शब्द है " बन्न " । Turtle का खिलौना देखते ही वह कहता है ,"टअटअ" । कहीं टी वी पर कोई डांस का गाना आया नहीं कि "डन डन " और "ड्रीन ड्रीन" के साथ नन्हे मुन्ने का डांस शुरू हो जाता है । दोनों हाथों की मुट्ठी बंद करके,  तर्जनी को ऊपर अलग से निकालकर,  खूब थिरकता है वह !
             " माम्मा , नान्ना, बाब्बा  "  ये सभी शब्द बड़ी आसानी से बोलता है प्यारा सा नन्हा मुन्ना ! और पापा के कंधे पर सिर रखकर बड़ी कोमल आवाज़ में धीमे धीमे वह बोला करता है "पा -पा " !
         और जब सोने से पहले जब उसे good night बोलने के लिए कहा जाता है , तब वह बड़े लाड से बोलता है ,"'गुद नइ " ।

Thursday, May 16, 2013

uric acid बढने पर .......

शरीर में uric acid की मात्रा बढने पर इसे कम करना आसान नहीं होता । लेकिन शतावर (asparagus) की जड़ का चूर्ण 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन दूध या पानी के साथ लिया जाए , तो uric acid घटना प्रारम्भ हो जाता है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है ।
        साथ ही गाजर और चुकन्दर का जूस भी पीते रहें इससे और भी जल्दी लाभ होगा । 

Sunday, May 5, 2013

मेहमान या मेज़बान !

लम्बी प्रतीक्षा के बाद वह समय भी आया जब मुदित और ज्योति का हमारे घर पदार्पण हुआ !
                            बात यह है कि ऋचा से इंदुजी का विशेष स्नेह है । अत: इंदुजी के अनुग्रह को ऋचा टाल न सकी । छोले - भटूरे की फरमाइश के साथ ही रविवार को इंदुजी के यहाँ लंच का कार्यक्रम निश्चित हो गया । सबसे अधिक प्रसन्नता इस बात की भी थी की मुदित और ज्योति भी रविवार को मिलने वाले थे ।
                       इंदुजी ने फोन पर बताया, "सब कुछ तैयार है बस  मुदित तुम्हें लेने आ जाएगा ; कार में आराम से नन्हें नटखट के साथ आ जाना ।"
       "मुदित लेने आएगा !   अरे , फिर तो ज्योति और आप लोग भी साथ ही यहीं पर आ जाओ । यहीं पर लंच कर  लेते हैं । आपके घर खाना  खाया या यहाँ पर ; कोई फर्क थोड़े ही है ।" मैं सब कुछ चुस्ती से एक साथ ही बोल गई ।
        इंदुजी ने सहमति जताई । वे बोलीं ," ठीक है । तो तुम थोड़े से आलू उबाल लेना । बाकी सभी सामान हम कार में रखकर ले आयेंगे । आने से पहले हम फोन कर लेंगे ।"
          ऋचा ने नन्हें नटखट को नहलाया , स्वयम भी स्नान किया और तुरंत बाज़ार जाकर कुछ छुटपुट सामान ले आई । मैंने भी थोडा बहुत घर को व्यवस्थित किया । वास्तव में नन्हें बच्चों के साथ घर के अस्त व्यस्त होने की सम्भावना अधिक होती हैं । पूरे घर में नन्हें के नन्हें नन्हें खिलौने ही साधिकार विश्राम कर रहे होते हैं । सभी खिलौने एक बड़े से कार्टन में भरकर हमने कुछ चैन की सांस ली ।
              मैंने ऋचा को कहा , "  यह तो अच्छा नहीं लगता कि ज्योति और मुदित पहली बार हमारे घर आएँ  और हम उनके लिए अपनी तरफ से कुछ भी खातिरदारी  न करें। क्यों न पिज़्ज़ा मँगवा लिया जाए ?"
                ऋचा ने भी स्वीकृति दे दी । बस पिज़्ज़ा आर्डर हो गया ।
             दरवाजे की घंटी बजते ही नन्हा नटखट फुर्तीला हो गया । ज्योति और मुदित पहली बार हमारे  घर आए थे । मेरी प्रसन्नता द्विगुणित हो गई थी । सब आत्मीय एकत्र हो जाएँ तो घर भी भरा - भरा लगता है और मन भी हरा भरा हो उठता है ।
                 थोड़ी देर बार पिज़्ज़ा भी घर पहुँच गया । इंदुजी पिज़्ज़ा पसंद नहीं करती । उन्होंने तो कह भी दिया ," अरे ! पिज़्ज़ा क्यों मँगवाया है ? पिज़्ज़ा खाने के बाद छोले भटूरे का तो आनन्द कम हो जाएगा ।"
               " इंदुजी ! ऋचा का बहुत मन था । आप भी लीजिए न थोडा !"
   " आंटी दोनों ही व्यंजनों का मज़ा लेना है । पहले पिज़्ज़ा और फिर छोले भटूरे । आप भी थोडा लीजिए न !"
                              वास्तव में इंदुजी इतने स्वादिष्ट पकवान घर में ही बना लेती हैं कि बाज़ार के बने व्यंजन उन्हें अधिक पसंद नहीं आते । उन्होंने फटाफट बूंदी का रायता बनाया , सूखे आलू भूने ; और कढाई में तेल चढ़ाकर  भटूरे बेलने की तैयारी कर ली । बने बनाए छोले और गुंधा हुआ भटूरे का आटा  वे घर से ही लाई थी । और सब तो छोडिए;  वे मिष्ठान्न के लिए खीर भी घर से ही ले आईं थी ।
                  ज्योति  सबको खाना परोसने में लग गई । मुझे तो ज्योति भी बहुत फुर्तीली लगती है । पता ही नहीं चला कि उसने चुपके-चुपके क्या क्या काम कर  दिए । इंदुजी तो सब कुछ समेटकर भोजन के लिए बैठीं ।
                                  नन्हां  चुनमुन तो मुदित के साथ ही खेलता रहा । उसे मुदित इतना अधिक भा  गया कि  वह  मुदित की गोद से हमारे पास आने को तैयार ही नहीं था । उसने तो हमे बाय - बाय भी कह दिया । इस परिस्थिति में बच्चे को वापिस लेना कठिन हो सकता है । बच्चा रो - रो कर खूब शोर मचाता, उससे पहले ही ऋचा ने उसे दूर ले जाकर बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया । नन्हें नटखट के ध्यान भटकते ही मुदित ने कार स्टार्ट कर दी ।
          पता ही न चला कि कुछ घंटे पल भर में कैसे बीत गए ? परन्तु सबसे बड़ा प्रश्न मेरे मन में अभी तक है ;  इंदुजी हमारी मेहमान थीं या मेजबान ?