हर किसी को प्रसन्न करने की चेष्टा छोड़ दें।
परिवर्तन से डरना छोड़ दें।
भूतकाल में अधिक अवस्थित रहना छोड़ दें।
अपने को किसी से कम समझना छोड़ दें।
बहुत अधिक सोच विचार करना छोड़ दें।
हर किसी को प्रसन्न करने की चेष्टा छोड़ दें।
परिवर्तन से डरना छोड़ दें।
भूतकाल में अधिक अवस्थित रहना छोड़ दें।
अपने को किसी से कम समझना छोड़ दें।
बहुत अधिक सोच विचार करना छोड़ दें।
जसमिंदर मैम की सेवा निवृत्ति के अवसर पर, कुछ भावभीनी पंक्तियां समर्पित करने से, अपने को रोक न पाई। आप भी उनके व्यक्तित्व को अनुभव करने का प्रयत्न करें।
शब्दों में कहां इतनी क्षमता?
जो आपके समुचित सम्मान की करें समता।
भावनाओं के धरातल पर,
आप तो सलोने हैं।
आच्छादित मूक अभिव्यक्ति पर,
सभी मापदंड बौने हैं।
पैनी दृष्टि और दक्ष अंतर्मन ने,
परखी परदुःख की परछाई।
अभी आभास भी नहीं हुआ,
और मदद स्वयं चली आई!
साहस और समर्पण का अद्भुत संगम!
कार्यशीलता और वाकपटुता सुंदरतम!!
ऐसे व्यक्तित्व को समर्पित मन।
शत-शत नमन! शत-शत नमन!!