मैं किचन में चाय बना रही थी। उसमें अभी तुलसी के पत्ते डाल ही रही थी, कि अचानक ऋचा की आवाज आई, "मम्मी! कॉफी मत बनाओ। मुझे तो तुलसी की चाय पीनी है।"
मैंने कहा, "हां! हां! मैं तुलसी की चाय ही बना रही हूं।"
"तो फिर यह कॉफी की इतनी खुशबू कहां से आ रही है?" ऋचा बोली।
मैंने कहा, "मैं तो चाय की पत्ती डाल रही हूं। कॉफी की खुशबू कैसे आ सकती है?"
लेकिन मुझे भी कॉफी की खुशबू आ रही थी। मैंने चाय की पत्ती वाले डिब्बे को गौर से देखा। उसमें चाय ही थी और मैंने चाय ही डाली थी। लेकिन खुशबू तो कॉफी की आ रही थी। पूरा घर कॉफ़ी की खुशबू से महक रहा था।
मैं बाहर बालकोनी में गई। मुझे लगा शायद आसपास कोई कॉफ़ी बना रहा है। लेकिन बालकोनी में काफी की कोई खुशबू थी ही नहीं। तब मैंने घर जाकर डाइनिंग टेबल के ऊपर रखे हुए काफी के जार को देखा। सोचा, कि कहीं वह खुला तो नहीं रह गया या टूट तो नहीं गया। लेकिन काफी का जार तो सही सलामत बंद था।
फिर यह कॉफी की इतनी तेज खुशबू कहां से आ रही है? तभी मैंने ऋचा को देखा। उसने अभी-अभी ताजा अखबार पढ़ने के लिए खोला था। ऋचा अचानक बोली, "अरे! कॉफ़ी की खुशबू तो अखबार में से आ रही है।"
अखबार के मुखपृष्ठ पर, इंटरनेशनल कॉफी डे पर, टाटा कॉफी कंपनी का बहुत बड़ा विज्ञापन था। जिसमें से कॉफी की भीनी भीनी खुशबू भी आ रही थी। उसी से पूरा कमरा महक उठा था।
"तो अब पता चला कि कॉफ़ी की खुशबू कहां से आ रही है!"मैंने ऋचा को तुलसी वाली चाय का प्याला पकडाते हुए कहा।
"वाह मम्मी! यह तो मजा दोगुना हो गया। हाथ में तुलसी की चाय और कमरे में कॉफ़ी की खुशबू!"
तभी बाहर दरवाजे की घंटी बजी। दरवाजा खोला तो पाया कि ऊपर वाले फ्लैट की सुधा सामने खड़ी थी। "आओ सुधा!" मैंने कहा।
"आंटी! कॉफ़ी की बहुत बढ़िया खुशबू आ रही है। आपने कॉफी बनाई है क्या?"
मैं और ऋचा एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। सुधा सकपका गई। उसने पूछा, "कोई राज की बात है क्या?"
मैंने कहा, "हां सुधा! ऐसा ही समझो। बात यह है कि मैंने तो चाय बनाई है। लेकिन आज इंटरनेशनल कॉफी डे पर अखबार में कॉफ़ी का विज्ञापन आया है; जिसमें कि कॉफ़ी की खुशबू भी है।"
"अच्छा, तो यह बात है।" सुधा भी मुस्कुराई।
"इसीलिए आपका घर कॉफ़ी की खुशबू से महक रहा है। जब आज इंटरनेशनल कॉफी डे है, तो आंटी; हो जाए एक कॉफी! मौका भी है और दस्तूर भी!"
मैंने हंसकर कहा, "हां! हां! क्यों नहीं? आखिर कॉफ़ी की खुशबू से घर महक रहा है; तो हाथ में काॅफ़ी का प्याला भी तो होना चाहिए।"
इसके बाद, इंटरनेशनल कॉफी डे पर, सुधा ने भी कॉफ़ी के विज्ञापन में बसी हुई कॉफ़ी की महक के साथ, कॉफी के स्वाद का भी भरपूर आनंद उठाया।